इंदौर प्रेस क्लब द्वारा स्व. इंगले के जन्मशताब्दी वर्ष पर परिसंवाद का आयोजन।
इंदौर : स्व. बालाराव इंगले एक कुशल पत्रकार ही नहीं आंदोलनकारी और सामाजिक कार्यकर्ता भी थे। सामाजिक सरोकारों से जुड़े मुद्दों को वे अपनी लेखनी से हमेशा उठाते थे। फक्कड़ होने के बावजूद उनके चेहरे पर प्रसन्नता सदैव झलकती रहती थी। उनकी स्मरण शक्ति अद्भुत और सोच राष्ट्रवादी थी। वीर सावरकर के विचारों से प्रभावित थे। उनका जीवन खुली किताब की तरह था। इंदौर का ऐतिहासिक राजवाड़ा बचाने का श्रेय उन्हीं को जाता है। ये विचार विभिन्न वक्ताओं एवं प्रबुद्धजनों ने व्यक्त किए। वे स्व. बालाराव इंगले जन्मशताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में ‘पत्रकारिता और सामाजिक सरोकार’ विषय पर इंदौर प्रेस क्लब द्वारा आयोजित परिसंवाद में बोल रहे थे।
इंदौर से जुड़े मुद्दों को लेकर वे चिंतित रहते थे।
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में पूर्व लोकसभा अध्यक्ष पद्मविभूषण सुमित्रा महाजन ने कहा कि स्व. बालाराव इंगले चिंतक होने के साथ स्पष्टवादी भी थे, लेकिन उनमें अपनत्व भी बहुत था। इंदौर को लेकर वे हमेशा चिंतित रहते थे। समाज में कहीं भी कुछ गलत होता तो वे अपनी लेखनी से उसे उजागर करने में हमेशा तत्पर रहते थे। सामाजिक सरोकार से जुड़े मुद्दों पर वे वेबाकी के साथ लिखते और बोलते थे। ताई ने आगे कहा कि नई पीढ़ी के पत्रकारों को स्व. बालाराव इंगले के जीवन से प्रेरणा लेना चाहिए और अपना काम पूरी ईमानदारी व निष्ठा के साथ करना चाहिए।
राजवाड़ा बचाने का श्रेय बालाराव इंगले को।
स्वागत भाषण देते हुए इंदौर प्रेस क्लब अध्यक्ष अरविंद तिवारी ने कहा कि स्व. बालाराव इंगले इंदौर प्रेस क्लब के संस्थापक सदस्यों में से एक थे। वे बेखौफ होकर अपनी बात को कहते ही नहीं थे बल्कि लिखते भी थे। शहर की शान ऐतिहासिक राजवाड़ा को बचाने के लिए उन्होंने संघर्ष किया और जीत हासिल की।
व्यवस्था के खिलाफ आवाज उठाने से नहीं डरते थे इंगले।
विषय प्रवर्तन करते हुए इंदौर प्रेस क्लब के पूर्व अध्यक्ष सतीश जोशी ने कहा कि स्व. बालाराव इंगले ने मीडिया को सम्मान दिलाया। सामाजिक सरोकारों से जुड़े वे एक ऐसे प्रतिनिधि पत्रकार थे जो व्यवस्था के खिलाफ आवाज उठाने से नहीं डरते थे। इंदौर में जब शराब कांड हुआ, जिसमें बड़ी संख्या में लोग मारे गए, उस दौर में स्व. इंगले ने धारदार ढंग से लेखनी चलाई और व्यवस्था की कमियों को उजागर किया।
पत्रकारिता अब बाजार की गिरफ्त में।
सामाजिक कार्यकर्ता अनिल त्रिवेदी ने कहा कि स्व. बालाराव इंगले ऐसे व्यक्ति थे, जो स्वातंत्र्य वीर सावरकर के घर में बगैर अनुमति के आ-जा सकते थे। श्री त्रिवेदी ने अपनी चिंता प्रकट करते हुए कहा कि आज बाजार की ताकत इतनी मजबूत हो गई है कि हम सब उसकी गिरफ्त में आ गए हैं। सारी व्यवस्थाएं बाजार पर चल रही हैं। मोबाइल की दुनिया में हम पढऩे के बजाय दिनभर खबरों को फारवर्ड करने में ही लगे रहते हैं। ऐसे में हमें स्व. गणेशशंकर विद्यार्थी जैसे पत्रकार याद आते हैं, जिन्होंने पत्रकारिता को एक मिशन माना और स्वयं को उसके लिए समर्पित कर दिया।
मुकुंद कुलकर्णी ने सुनाए संस्मरण।
वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता मुकुन्द कुलकर्णी ने स्व. बालाराव इंगले से जुड़े संस्मरण सुनाए।उन्होंने कहा कि मेरा स्व. बालाराव इंगले से गहरा नाता रहा। मैंने उनके जीवन संघर्ष को बहुत करीब से देखा। आकाशवाणी केंद्र पर मराठी भाषी कार्यक्रमों की शुरुआत करवाने और वीर सावरकर मार्केट बनवाने में स्व. इंगले की महत्वपूर्ण भूमिका रही। उनका निवास सामाजिक गतिविधियों और परामर्श का केंद्र था।
हैप्पी वांडरर्स मैदान को बचाने में निभाई बड़ी भूमिका।
वरिष्ठ पत्रकार और खेल प्रशासक अभिलाष खांडेकर ने कहा कि स्व. बालाराव इंगले ऐसे व्यक्ति थे, जो ताउम्र समाज के लिए ही जिए। संघर्ष और अभावों में जीते हुए भी अपने लिए उन्होंने कुछ नहीं किया। हैप्पी वांडरर्स मैदान को बचाने में उनकी उल्लेखनीय भूमिका रही।
सिरपुर तालाब की जमीन पर हो रहा अतिक्रमण।
अभिलाष खांडेकर ने इस बात पर चिंता जताई कि शहर में 850 एकड़ में फैले सिरपुर तालाब के बड़े हिस्से में अतिक्रमण हो चुका, जिस पर जिम्मेदारों का ध्यान नहीं है।
राजनीति धंधा नहीं धर्म।
पूर्व सांसद कल्याण जैन ने कहा कि स्व. इंगले को मैंने बहुत निकट से देखा और जाना। वे बेहद साहसी और निडर पत्रकार थे। व्यवस्था के खिलाफ आंदोलन करने में वे कभी पीछे नहीं हटे। बुराई के खिलाफ लिखने में वे सदैव आगे रहते थे। उन्होंने पत्रकारिता को एक मिशन माना था। श्री जैन ने आगे कहा कि मैंने राजनीति को एक धर्म माना, धंधा नहीं और इस पर मैं आज भी कायम हूं।
पत्रकारिता में धन का वर्चस्व बढा।
वरिष्ठ पत्रकार सुभाष खंडेलवाल ने कहा कि पत्रकारिता में आज संपादक का महत्व खत्म हो गया है। बीते वर्षों में जब किसान आत्महत्या कर रहे थे, तब हमारे कुछ पत्रकार भाई फैशन शो को कवर कर रहे थे। यह कोई पत्रकारिता नहीं है। समाज में धन का प्रभुत्व बढ़ता जा रहा है, ऐसे में हमें स्व. बालाराव इंगले बहुत याद आते हैं।
इंगले परिवार स्व. बालाराव की स्मृति में देगा पुरस्कार।
वरिष्ठ पत्रकार स्व. बालाराव इंगले के जन्मशताब्दी समारोह में इंगले परिवार की ओर प्रतिवर्ष स्व. बालाराव इंगले स्मृति पुरस्कार देने की घोषणा की गई। सामाजिक सरोकार से जुड़ी पत्रकारिता करने वाले चयनित पत्रकार को यह पुरस्कार दिया जाएगा।
कार्यक्रम के प्रारम्भ में अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलन के साथ स्व. बालाराव इंगले के चित्र पर माल्यार्पण किया। अतिथि स्वागत अरुणा जोशी, गजेन्द्र वर्मा, उदय इंगले, संजय इंगले, प्रो. माया इंगले, इंदौर प्रेस क्लब के उपाध्यक्ष दीपक कर्दम, कोषाध्यक्ष संजय त्रिपाठी, सचिव अभिषेक मिश्रा, कार्यकारिणी सदस्य विपिन नीमा, अभय तिवारी, राहुल वावीकर, प्रवीण बरनाले, अर्पण जैन, उमेश रेखे, एकनाथ हीरपाठक व प्रदीप मिश्रा ने किया। कार्यक्रम का संचालन इंदौर प्रेस क्लब उपाध्यक्ष प्रदीप जोशी ने किया और आभार महासचिव हेमन्त शर्मा ने माना। इस अवसर पर पद्मश्री भालू मोंढे, डीएवीवी के पूर्व कुलपति डॉ. भरत छापरवाल, वरिष्ठ भाजपा नेता गोविंद मालू, अभ्यास मंडल के शिवाजी मोहिते, इंटक के अध्यक्ष श्यामसुंदर यादव, वैशाली शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार प्रकाश हिंदुस्तानी, क्रांति चतुर्वेदी, शशि शुक्ला, रमण रावल, नवीन जैन, कीर्ति राणा, सामाजिक कार्यकर्ता किशोर कोडवानी, आलोक खरे, योगेन्द्र जोशी, सुभाष सातालकर, एस.के. बायस, अद्र्धेंदु भूषण,राजेन्द्र कोपरगांवकर, मुकेश तिवारी, प्रवीण जोशी, जयसिंह रघुवंशी, समाजसेवी अजय सारडा, विक्रम कुमार, किरण वाईकर, लक्ष्मीकांत पंडित, शिवप्रसाद चौहान, जितेंद्र भाटिया, नारायण जोशी, गोविंद शर्मा, मार्टिन पिंटो, अजीज खान, सुधाकर सिंह, सुभाष जैन वक्त, नियामत खान, उमेश शर्मा पुई, धर्मेश यशलहा, सुहासिनी कुलकर्णी, उज्जवल शुक्ला, दिनेश पुराणिक, शशिकांत गुप्ते सहित बड़ी संख्या में गणमान्यजन एवं मीडिया के साथी उपस्थित थे।