‘पांडेयजी छज्जे पर का विमोचन’, ‘खामोशियों की गूंज’ पर हुई सार्थक चर्चा

  
Last Updated:  March 21, 2022 " 05:35 pm"

इन्दौर : विश्व कविता दिवस की पूर्व संध्या पर संस्मय प्रकाशन द्वारा इन्दौर प्रेस क्लब में रविवार को डॉ. लालित्य ललित के व्यंग्य संग्रह ’पाण्डेय जी छज्जे पर’ का विमोचन एवं अदिति सिंह के काव्य संग्रह खामोशियों की गूँज पर चर्चा रखी गई। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि व्यंग्य यात्रा, दिल्ली के संपादक डॉ. प्रेम जनमेजय, लोकसभा सचिवालय के संपादक रणविजय राव व नेशनल बुक ट्रस्ट के संपादक डॉ. लालित्य ललित रहे।

दीप प्रज्वलन के साथ प्रारम्भ हुए इस कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत अमित सिंह भदौरिया, शिखा जैन, भावना शर्मा, यशोधरा भटनागर, रमेश शर्मा व विघ्नेश दवे ने किया। अतिथियों का शब्द स्वागत डॉ. अर्पण जैन ’अविचल’ ने किया।

भावना प्रधान हैं, अदिति की कविताएं।

स्वागत के बाद पुस्तक परिचय अदिति सिंह ने दिया और अपनी कविता सन्नाटे की गूँज सुनाई। प्रथम चर्चाकार के रूप में सुषमा व्यास ने खामोशियों की गूँज का पक्ष रखा और कहा कि अदिति की कविताओं में भावनाएँ प्रधान हैं। उन्होंने रिश्तों को ध्यान में रखकर लेखन कार्य किया।

कविताओं का भाव पक्ष प्रबल है।

वरिष्ठ कहानीकार डॉ. गरिमा दुबे ने पुस्तक चर्चा के दौरान बताया कि काव्य संग्रह की सभी कविताएँ कमाल हैं, कविताओं का भावपक्ष, कला पक्ष सार्थक है, पीड़ा मुखर हुई है, आगे निश्चित तौर पर अद्भुत होगी। तकनीकी रूप से सशक्तता आएगी।’

व्यवस्थाओं पर तंज कसते हैं डॉ
ललित के व्यग्य।

व्यंग्य संग्रह ’पाण्डेय जी छज्जे पर’ में लेखक डॉ. लालित्य ललित के चुनिंदा व्यंग्य सम्मिलित हैं, जो राजनीति और सामाजिक व्यवस्थाओं पर प्रहार करते हैं।’

दिल्ली से आए प्रो. राजेश कुमार ने कहा कि ‘अदिति की किताब में प्रकृति, परिवेश, आकांक्षा, चाहत, प्रेम सभी का समावेश है और साथ में, कविताओं में व्यंग्यात्मक लहज़ा है।’
उन्होंने पाण्डेय जी छज्जे पर प्रकाश डालते हुए यह भी कहा कि ‘लालित्य ललित जी का व्यंग्य संसार व्यापक है, उसमें पाण्डेय जी जैसे पात्र के साथ राजनीति, साहित्य, अमीरी, गरीबी विषयक व्यंग्य लिखकर करारा तंज किया है।’

आम आदमी की कसक को व्यक्त किया है पांडेयजी छज्जे में।

विशिष्ट अतिथि रणविजय राव ने कहा कि ‘खामोशियों की गूंज’ की कविता भावप्रधान हैं। साथ ही, ’पांडेय जी छज्जे पर’ में आम आदमी की कसक, उनके दुख–दर्द को पांडेय जी नामक किरदार के माध्यम से ललित जी ने व्यक्त किया है।’

रचनाकार पर अपनी समझ नहीं लादें।

मुख्य वक्ता डॉ. प्रेम जनमेजय ने कहा कि रचनाकार ने जो लिखा है, उसे उसकी समझ के अनुसार पढ़ना चाहिए। उसपर अपनी समझ लादना उचित नहीं है।

इन्हें मिला भाषा सारथी सम्मान।

पुस्तक चर्चा के बाद शिक्षाविद डॉ. संजीव कुमार, ख्यात लेखक राजेश कुमार व मंचीय कवि मौसम कुमरावत को भाषा सारथी सम्मान से नवाजा गया। पुस्तक विमोचन व चर्चा में शहर के सतीश राठी, अश्विनी दुबे, मुकेश तिवारी, डॉ. नीना जोशी, ज्योति जैन, डॉ. दीपा व्यास, मनीष व्यास, डॉ. कमल हेतवाल, हर्षवर्धन प्रकाश, व्योमा मिश्रा, वाणी जोशी इत्यादि सहित गणमान्य सुधि साहित्यिकजन सम्मिलित हुए।

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