अब पूरी तरह मप्र की राजनीति में रहेंगे सक्रिय।
मुख्यमंत्री मोहन यादव मंत्रिमंडल के सबसे ताकतवर मंत्री हैं विजयवर्गीय।
इंदौर : मप्र सरकार में कैबिनेट मंत्री बनने के बाद कैलाश विजयवर्गीय ने बीजेपी के ‘एक व्यक्ति एक पद’ के सिद्धांत का पालन करते हुए राष्ट्रीय महासचिव के पद से इस्तीफा दे दिया है। गुरुवार को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मिलकर विजयवर्गीय ने राष्ट्रीय महासचिव पद से अपना इस्तीफा उन्हें सौंप दिया। अब वे पूरी तरह मप्र की राजनीति में सक्रिय हो जाएंगे।
बता दें कि कैलाश विजयवर्गीय को 09 वर्ष पूर्व अमित शाह ने राष्ट्रीय महासचिव के पद पर मनोनीत किया था। जेपी नड्डा के बीजेपी अध्यक्ष बनने के बाद उन्होंने भी विजयवर्गीय को राष्ट्रीय महासचिव के पद पर बनाए रखा।
राष्ट्रीय महासचिव रहते कैलाश विजयवर्गीय ने कई अहम जिम्मेदारियां निभाई। उन्हें पहले हरियाणा और बाद में पश्चिम बंगाल का प्रभारी बनाकर पार्टी को मजबूती देने का दायित्व सौंपा गया था जिसे उन्होंने बखूबी निभाया। हरियाणा में बीजेपी की सरकार बनीं तो पश्चिम बंगाल में भी बीजेपी, कांग्रेस और सीपीएम को पीछे छोड़कर दूसरे नंबर की पार्टी बन गई।
पूर्व सीएम शिवराज सिंह से कैलाश विजयवर्गीय की पटरी नहीं बैठी। इस बार वे मुख्यमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा संजोए हुए थे लेकिन मोहन यादव को सीएम बनाए जाने के बाद उन्हें कैबिनेट मंत्री बनकर ही संतोष करना पड़ा। ये भी तय है की विजयवर्गीय को कोई वजनदार विभाग ही दिया जाएगा। इसके अलावा मुख्यमंत्री मोहन यादव से वरिष्ठता में भी वे आगे हैं, ऐसे में यह माना जा रहा है कि कैलाश विजयवर्गीय का दबदबा सरकार के साथ नौकरशाही पर भी नजर आएगा। इंदौर को उनसे बहुत उम्मीदें हैं अब वे इन उम्मीदों पर कितना खरा उतर पाते हैं, यह तो वक्त बताएगा।