“माँ शैलपुत्री प्रदान करती अखंड सौभाग्य।
मनुष्ययोनि में ईश आराधना खोलती है भाग्य॥
माँ ब्रह्मचारीणी देती है दिव्य अनुभूति।
नवरात्रि में स्वयं की बुराइयों की आहुति॥
माँ चन्द्रघण्टा हमें देती है सकारात्मक ऊर्जा।
माँ की आराधना तो मिटाती है पाप का कर्जा॥
माँ कुष्मांडा करती है हम पर अतुलनीय कृपा।
बड़े भाग्य से मिलती है जीवन में माँ की अनुकंपा॥
माँ स्कंदमाता प्रदान करती है सही दिशा।
माँ के आह्वान से नहीं आती दु:ख की निशा॥
माँ कात्यायनी प्रदान करती है अभय की मुद्रा।
माता की भक्ति से नहीं आती दु:खस्वप्न की निद्रा॥
माँ कालरात्रि करती है तम का विनाश।
देवी तो चाहती है भक्त का सच्चा विश्वास॥
माँ महागौरी की उपासना करती सन्मार्ग की ओर अग्रसर।
नवरात्रि तो है माँ की सेवा-प्रार्थना का अवसर॥
माँ सिद्धिदात्री बनाती हमारा प्रारब्ध बलवान।
डॉ. रीना कहती, पूर्ण निष्ठाभाव से करें नौ दिन माँ का आह्वान॥
डॉ. रीना रवि मालपानी (कवयित्री एवं लेखिका)