इंदौर : (राजेंद्र कोपरगांवकर)मराठी फिल्म, टीवी सीरियल्स और रंगमंच पर कई ऐसे दिग्गज कलाकार अवतरित हुए हैं, जिन्होंने अपनी अलग पहचान कायम की है। नए जमाने की ऐसी ही एक कलाकार हैं मुक्ता बर्वे। हिंदी भाषी दर्शकों के लिए ये नाम भले ही अनजाना सा हो पर मराठी मनोरंजन इंडस्ट्री की वे एक सुपर स्टार हैं। मराठी फिल्म जोगवा, आघात, मुंबई -पुणे – मुंबई, एका लगनाची दूसरी गोष्ट, लग्न पहावे करून, डबल सीट, वाय – जेड, गणवेश जैसी सुपरहिट फिल्में दे चुकी मुक्ता बर्वे ने कई मराठी सीरियल्स और नाटक भी किए हैं। उनका अपना प्रोडक्शन हाउस भी है। उनकी एक और विशेषता साहित्य के प्रति उनका लगाव होना है। मराठी कथा, कविताओं की मंचीय प्रस्तुति देने में भी वे सिद्धहस्त हैं।
हाल ही में मराठी नाटक चारचौघी के मंचन के सिलसिले में वे इंदौर आई। सानंद के पांच दर्शक समूहों के लिए इस नाटक के पांच प्रयोग पेश किए गए। तीन दिनों तक इस नाटक की प्रस्तुति देने के बाद मुक्ता बर्वे अगले ही दिन याने सोमवार शाम प्रीतमलाल दुआ सभागृह में एक नए परिवेश में नजर आई।
दरअसल, यहां मप्र मराठी साहित्य संघ और मप्र मराठी अकादमी भोपाल के बैनर तले प्रदेश स्तरीय मराठी साहित्य सम्मेलन आयोजित किया गया है। सम्मेलन के पहले दिन की शाम मुक्ता बर्वे के नाम रही। वे ‘प्रिय भाई.. एक कविता हवी आहे’ नामक कार्यक्रम लेकर मंच पर अवतरित हुई। मराठी साहित्य जगत के कालजयी हस्ताक्षर पु. ल. देशपांडे और सुनीता देशपांडे के स्नेहिल सहजीवन एवं कवि व कविताओं को लेकर उनके दिली लगाव पर आधारित इस कार्यक्रम में अभिनय, कविता वाचन, काव्य गायन और कवितानुरूप परदे पर झलकते चित्रों के दर्शन एक साथ हुए।
कवि रवींद्रनाथ टैगोर की एक दुर्लभ कविता के लिए आई रिक्वेस्ट पूरी करने को लेकर पु. ल. देशपांडे और उनकी जीवन संगिनी सुनीता देशपांडे की जद्दोजहद को आधार बनाकर इस कार्यक्रम की स्क्रिप्ट समीर कुलकर्णी द्वारा रची गई है। मुक्ता बर्वे ने इसमें सुनीता देशपांडे की भूमिका को साकार किया। कविवर्य टैगोर की कविता को ढूंढते हुए देशपांडे दंपत्ति के खुद कविता सृष्टि में खो जाने की अवस्था को मुक्ता बर्वे ने शिद्धत के साथ साकार किया। उन्होंने सुनीता देशपांडे के ममतामय व्यक्तित्व और कविता के प्रति अनन्य प्रेम को कुछ इस तरह पेश किया कि दर्शक – श्रोता मंत्रमुग्ध हो गए। कविताओं के इस सफर में दिल को छूने वाली कई कविताओं से श्रोताओं का साक्षात्कार हुआ। मुक्ता बर्वे के साथ अमित और मानसी वझे, निनाद सोलापुरकर, अंजलि मराठे और अन्य कलाकारों ने कार्यक्रम को आपसी संवाद और काव्य गायन के जरिए आगे बढ़ाया। कार्यक्रम में संगीत और प्रकाश योजना का भी समुचित उपयोग किया गया था।
इस अनूठे कार्यक्रम को देखने – सुनने के लिए बड़ी संख्या में दर्शक- श्रोता उमड़ पड़े, जिन्हें हॉल में जगह नहीं मिल पाई, उन्हें बाहर स्क्रीन पर इस कार्यक्रम को देख – सुनकर संतोष करना पड़ा।
कुल मिलाकर मराठी साहित्य सम्मेलन के पहले दिन की ये शाम यादगार रही।