बिगड़ते पर्यावरण के कारण जीव जंतुओं की हर साल लाखों प्रजातियां समाप्त हो रही हैं।
नक्शे पास करने में पर्यावरण भी होगा एक बिंदु।
सेवा सुरभि द्वारा पर्यावरण पर प्रकाशित पुस्तक का निगमायुक्त ने किया विमोचन।
इंदौर : यह धरती किसी एक व्यक्ति विशेष या समूह की नही बल्कि पशु पक्षियों से लेकर सभी जैव प्रजातियों की है। अत हमें इसका न तो बहुत अधिक और दोहन करना चाहिए न ही शोषण। आने वाली पीढ़ी को विरासत में अच्छी धरती देने की चिंता हमें ही करना है।अगर धरती को बचाना है तो हमें जैव विविधता से भरे पर्यावरण को बचाना जरूरी है।
विकास और पर्यावरण के बीच साधेंगे संतुलन।
ये विचार पर्यावरणविद् जयश्री सिक्का और अन्य वक्ताओं ने सेवा सुरभि के मंच पर इंदौर प्रेस क्लब में आयोजित पर्यावरण परिचर्चा और पुस्तक विमोचन समारोह में व्यक्त किए। विश्व पर्यावरण दिवस के एक दिन पूर्व हुए इस आयोजन में निगमायुक्त हर्षिका सिंह ने कहा कि खासकर के युवाओं को अपनी ऐसी स्वस्थ जीवन शैली विकसित करने की महती आवश्यकता है ताकि पर्यावरण का कम से कम नुकसान हो। हमारे घरों से कम से कम कूड़ा कचरा निकले और सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग पूरी तरह से बंद हो। निगम एक फॉरेस्ट वन बनाएगा और शहर के हर एक बगीचे में एक कोना ऐसा भी होगा जहा नागरिक अवसर विशेष पर पौधे लगा सके। शहर के विकास और पर्यावरण में संतुलन कैसे बनाया जाए, इस पर प्राथमिकता से ध्यान दिया जाएगा। विकास कार्यों में बाधक पेड़ों का रिप्लांटेशन किया जाएगा। इसके अलावा नक्शे पास करने की प्रक्रिया में पर्यावरण से जुड़ा बिंदु भी शामिल करने का प्रयास किया जाएगा।
‘हमारा इंदौर, हमारा पर्यावरण’ पुस्तक का विमोचन।
इस मौके पर निगमायुक्त हर्षिका सिंह ने सेवा सुरभि द्वारा प्रकाशित पुस्तक ‘हमारा इदौर हमारा पर्यावरण’ का विमोचन भी किया।इस पुस्तक को पर्यावरण विद डॉ.ओ पी जोशी,डॉ.किशोर पवार,सुधींद्र मोहन शर्मा और भोलेश्वर दुबे ने तैयार किया है। विमोचन अवसर पर भाजपा प्रवक्ता गोविंद मालू, इंदौर प्रेस क्लब अध्यक्ष अरविंद तिवारी, शिक्षाविद डॉ. जयश्री सिक्का,कुमार सिद्धार्थ ,पर्यावरण विद डॉ.संदीप नारुलकर,उमाशंकर तिवारी, सेवा सुरभि के संयोजक ओमप्रकाश नरेड़ा,संस्कृतिकर्मी संजय पटेल विशेष रूप से उपस्थित थे।
विलुप्त हो रही जैव विविधता।
डॉ.जयश्री सिक्का ने कहा कि अभी तक हमने जीवों की 12 लाख प्रजातियों को ही पहचाना है जबकि इस से कही अधिक प्रजातियां इस भूमंडल पर हैं। आज जीव जंतुओं की हजारों प्रजातियां रोजाना नष्ट हो रही हैं। हम अभी भी नही चेते तो पृथ्वी से जैव विविधता विलुप्त होने के कगार पर पहुंच जाएगी। उन्होंने कहा कि पूरे देश में चावल की 2 लाख प्रजातियां है जिसमे से 45 हजार अकेले धान के कटोरे छत्तीसगढ़ में है। बढ़ते शहरीकरण के चलते गौरैया कम दिखाई देती,गिलहरी भी कम हो गई हैं।इसलिए पेड़ो को कटने से बचाएं।पेड़ ऑक्सीजन के सबसे बड़े स्त्रोत हैं।
नर्मदा पर निर्भरता कम करनी होगी।
डॉ.नारुलकर ने कहा हर व्यक्ति की पानी की खपत का राष्टीय ओसत 135 लीटर प्रति व्यक्ति है,लेकिन निगम अपने नागरिकों को प्रति व्यक्ति 98 लीटर पानी देता है।अब 1200 करोड़ खर्च कर निगम नर्मदा का चोथा चरण लाने की तैयारी में है। हमे नर्मदा पर निर्भरता कम करनी होगी। मृत पड़े कुएं बावड़ी और तालाबों को जिंदा करने की जरूरत है।
पर्यावरण बचाने की पहल खुद से करनी होगी।
पर्यावरणविद उमाशंकर तिवारी ने कहा कि केवल बातों से पर्यावरण नही बचेगा। हमें खुद पर्यावरण बचाने की पहल करनी होगी। मेरे घर परिवार ने संकल्प लिया कि वार त्योहार पर फटाखे नही जलायेगे। जिस परिवार में प्लास्टिक का उपयोग होगा वहा खाना नही खाएंगे। ऐसे संकल्प सभी को लेने होगे।
संस्था सेवा सुरभि की जानकारी कुमार सिद्धार्थ पटेल ने दी।कार्यक्रम का प्रारंभ पंचम निषाद के बच्चो ने पर्यावरण गीत गाकर किया। इसे पेश करने वालों में ऋषि,निखिल,मनोज,ग्रंथ,विपुल,प्रथम,अथर्व,गौतम,तरुण,अमन और दरविदर शामिल थे। धवल और मुकेश ने संगत दी।
अतिथि स्वागत कुमार सिद्धार्थ,, गोतम कोठारी, कमल कलवानी, अतुल शेठ, मेघा बर्वे,शिवाजी मोहिते,रामेश्वर गुप्ता ने किया। अतिथियों को प्रतीक चिन्ह मोहन अग्रवाल, गोविद मंगल,मुकुंद कारिया,अशोक मित्तल ने प्रदान किए।कार्यक्रम का संचालन संस्कृति कर्मी संजय पटेल ने किया आभार सयोजक ओमप्रकाश नरेडा ने माना।
इस मौके पर प्रो.रमेश मंगल,डॉ. दिलीप वाघेला,अशोक कोठारी,सुरेश मिंडा,डॉ.सम्यक जैन प्रवीण जोशी,डॉ.किसलय पंचोली, मुरली खंडेलवाल सहित बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।