इंदौर : टैक्स प्रैक्टिशनर्स एसोसिएशन और इंदौर सीए शाखा ने “मॉक ट्रिब्यूनल” का आयोजन किया l TPA के प्रेसीडेंट सीए शैलेन्द्र सिंह सोलंकी एवं सीए शाखा के चेयरमैन सीए मौसम राठी ने कहा कि मूट कोर्ट वास्तविक अदालत का अनुकरण करने जैसा ही होता है, जहां प्रोफेशनल्स को वास्तविक अदालत में होने वाली कार्रवाई को उसी रूप में एक मॉडल की तरह समझाया जाता है। वास्तविक अदालत की प्रक्रिया और उसकी गतिविधियों को मूट कोर्ट के जरिए सीखते हैं। इसमें पार्टियों के बीच काल्पनिक विवाद पर काल्पनिक सुनवाई और सबूत पेश किये जाते हैं, जिससे प्रोफेशनल्स को अदालतों की प्रक्रिया प्रयोगात्मक तरीके से समझ में आ सके।
“मॉक ट्रिब्यूनल” के कन्वेयर सीनियर एडवोकेट सीए सुमित नेमा ने कहा कि “मॉक ट्रिब्यूनल” में
- किसी काल्पनिक, विशिष्ट वाद या विषय को चुना जाता है, और फिर उसी वाद/ विषय में वाद विवाद होता है।
- कुछ प्रोफेशनल्स द्वारा अधिवक्ता, वादी – प्रतिवादी और साक्षी की भूमिका निभाई जाती है। वे न्यायालय के समक्ष आते है।
- प्रोफेशनल्स में से ही एक कोई प्रोफेशनल न्यायिक अधिकारी की भूमिका निभाता है, और न्यायालय की कार्रवाई को आगे बढ़ाता है।
- प्रोफेशनल को सिविल केस में वाद पत्र तैयार करने, साक्षियों के परीक्षण एवं प्रतिपरीक्षण करने के साथ जिरह /बहस करने का भी मौका /अवसर प्राप्त होता है।
5.मामलो में परिवाद और आरोप पत्र तैयार करने का ज्ञान प्राप्त होता है।
- न्यायालय में कैसे पेश होना होता है, कैसे केस दायर किया जाता है, और केस की शुरुआत कैसे करनी है, इसका भी ज्ञान होता है।
- न्यायालय के समक्ष बोलने में जो संकोच और डर मन में होता है, वह मूट कोर्ट के जरिये समाप्त हो जाता है।
टीपीए के मानद सचिव सीए अभय शर्मा ने कहा कि मूट कोर्ट में दो सदस्यों को कोर्ट में आयकर विभाग का प्रतिनिधित्व करने की जिम्मेदारी सौंपी गई, जबकि चार सदस्यों ने निर्धारिती/क्लाइंट के वकील के रूप में कार्य किया। उन्होंने कोर्ट प्रोसीडिंग्स के दौरान यह प्रदर्शित किया कि कोर्ट में निम्न प्रोटोकॉल को ध्यान में रखने की आवश्यकता होती है :
- न्यायालय में प्रस्तुत होने का ढंग।
- अभिवचन का प्रारूप।
- वाद पत्र की विरचना।
- लिखित कथन एवं इसका प्रारूप।
- विचारण से पहले की तैयारी।
- विचरण की कार्रवाई।
- अभिवचन प्रस्तुत करने का ढंग।
- न्यायालय की कार्रवाई और उससे सम्बंधित शिष्टाचार कैसा होना चाहिए।
- न्यायालय में न्यायाधीश के समक्ष अपनी बात को प्रस्तुत करने का ढंग।
- न्यायालयों में होने वाली विभिन्न कार्रवाइयों का ज्ञान।
- जिरह व् बहस करने का ज्ञान और ढंग।
- पक्षकारो और साथियों से किये जाने वाले व्यवहार का ढंग।
- न्यायालय की गरिमा को बनाये रखने का ज्ञान।
- व्यावसायिक शिष्टाचार का ज्ञान।
- सुसंगत विधियों का ज्ञान।
- प्रोफेशनल्स की आचार संहिता आदि।
इस अवसर पर जज की भूमिका सीनियर एडवोकेट सीए सुमित नेमा एवं एडवोकेट सीए हितेश चिमनानी ने निभाई। ज्यूरी के रूप में इनकम टैक्स अपीलेट ट्रिब्यूनल के ज्यूडिशियल मेंबर विजय पाल रॉव, अकाउंटेंट मेंबर सीए बी. एम्. बियानी मौजूद थे l विशेष अतिथि के रूप में प्रिंसिपल कमिश्नर ऑफ इनकम टैक्स अजय अत्री और एस.बी. प्रसाद मौजूद थे l
विनर अवार्ड सीए अविनाश अग्रवाल को दिया गया। रनर अप अंकुर अग्रवाल रहे।
सचालन टीपीए के मानद सचिव सीए अभय शर्मा ने किया l धन्यवाद् अभिभाषण सीए स्वर्णिम गुप्ता ने दिया l
कार्यक्रम में सीए मनोज गुप्ता, सीए सुनील पी जैन, एडवोकेट गोविंद गोयल, सीए एस एन गोयल, सीए दीपक माहेश्वरी, सीए जे पी सराफ़ सहित बड़ी संख्या में सीए एवं कर सलाहकार मौजूद थेl।