इंदौर : शारदीय नवरात्रि में हर श्रद्धालु के दिल – दिमाग में माता भक्ति का सुरूर छाया रहता है। इसके चलते सभी माता मंदिरों में दर्शन – पूजन के लिए भक्तों की भारी भीड़ उमड़ रही है। इन्हीं देवालयों में शामिल है शहर के पश्चिम क्षेत्र स्थित बिजासन माता का मंदिर। अति प्राचीन मंदिरों में शुमार इस माता मंदिर को सिद्धपीठ भी माना जाता है। यहां प्रतिदिन लाखों श्रद्धालु दर्शनों के लिए पहुंच रहे हैं। अहम बात ये है की लोग माता के दर्शन के साथ मन्नत पूरी होने की कामना भी करते हैं। देवी अहिल्याबाई होलकर विमानतल के समीप स्थित पहाड़ी पर बिजासन माता, वैष्णोदेवी की तर्ज पर पाषाण की पिंडियों के स्वरूप में विराजमान हैं। इसे मां दुर्गा का ही रूप माना जाता है। इस मंदिर का इतिहास यूं तो सैकड़ों साल पुराना है पर होलकर रियासत के महाराजा शिवाजीराव होलकर ने 1760 में बिजासन माता मंदिर का निर्माण कराया था। इसके पूर्व माता एक चबूतरे पर विराजमान थीं।नवरात्रि में पूरा राजपरिवार माता के दर्शन – पूजन के लिए टेकरी पर पहुंचता था। बताया जाता है कि बुंदेलखंड के आल्हा – ऊदल ने भी तत्कालीन मांडू के राजा को परास्त करने के लिए बिजासन माता की आराधना कर उनसे मन्नत मांगी थी। बिजासन माता मंदिर को सिद्धपीठ की मान्यता होने के चलते अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए देशभर से श्रद्धालु और नवयुगल माता के दर्शन – पूजन के लिए आते हैं। चैत्र और शारदीय नवरात्रि में यहां मेला लगता है। बीते कुछ वर्षों में बिजासन माता टेकरी पर विकास के कई काम हुए हैं पर श्रद्धालुओं की बढ़ती तादाद को देखते हुए यहां स्थायी स्वरूप में भक्त निवास, संत निवास, पर्याप्त पार्किंग, मेले और दुकानों के लिए अलग स्थान की आवश्यकता शिद्दत से महसूस होने लगी है। बिजासन माता मंदिर के आसपास के परिसर को बेहतर ढंग से विकसित किया जाए तो यह मंदिर इंदौर के प्रमुख आध्यात्मिक केंद्र के रूप में उभर सकता है।
सिद्धपीठ माना जाता है इंदौर का बिजासन माता मंदिर
Last Updated: October 8, 2024 " 09:06 pm"
Facebook Comments