विश्व जूनियर निशानेबाजी प्रतियोगिता में गोल्ड व कांस्य पदक विजेता मानवी जैन ने स्टेट प्रेस क्लब मप्र के रूबरू कार्यक्रम में कही ये बात।
मानवी ने विश्व जूनियर निशानेबाजी स्पर्धा में टीम इवेंट में गोल्ड और व्यक्तिगत स्पर्धा में कांस्य पदक जीतकर बढ़ाया देश, प्रदेश व इंदौर का मान।
स्टेट प्रेस क्लब ने मानवी की इस उपलब्धि पर उन्हें किया सम्मानित।
इंदौर : हाल ही में अफ्रीकी देश पेरू की राजधानी लीमा में आयोजित विश्व जूनियर निशानेबाजी स्पर्धा में भारतीय दल में शामिल मानवी जैन ने एक गोल्ड व एक कांस्य पदक जीतकर इंदौर और प्रदेश का नाम रोशन किया है। मानवी ने 25 मीटर एयर पिस्टल की व्यक्तिगत स्पर्धा में कांस्य जीता, वहीं इसी इवेंट के टीम मुकाबले में भारतीय टीम को गोल्ड मेडल जितवाने में भी अहम भूमिका अदा की।
स्टेट प्रेस क्लब ने किया सम्मान।
मानवी की इस उपलब्धि पर स्टेट प्रेस क्लब मप्र ने एक गरिमामय समारोह में उन्हें सम्मानित किया। इस दौरान अतिथि के बतौर मौजूद बीजेपी के प्रदेश सह मीडिया प्रभारी टीनू जैन, कारोबारी अश्विन मेहता और स्टेट प्रेस क्लब के अध्यक्ष प्रवीण खारीवाल ने मानवी को अंगवस्त्र, बुके और स्मृति चिन्ह भेंटकर सम्मानित किया।
क्रिकेट के अलावा अन्य खेलों को भी मिले तवज्जो।
इस मौके पर पत्रकारों से चर्चा करते हुए मानवी जैन ने कहा कि विश्व जूनियर निशानेबाजी स्पर्धा में करीब 25 पदक जीतकर भारतीय टीम ने ओवरऑल चैंपियनशिप जीती। मानवी ने कहा कि निशानेबाजी और अन्य खेलों में भारतीय खिलाड़ी बेहद अच्छा प्रदर्शन कर देश के लिए पदक जीत रहे हैं लेकिन हैरत की बात है कि जो तवज्जो क्रिकेट खिलाड़ियों को मिलती है, वो अन्य खेलों के खिलाड़ियों को नहीं मिल पाती। सरकार और कारोबारी जगत को इस और ध्यान देना चाहिए। सुविधाएं मिलेंगी तो खिलाड़ी ज्यादा मेहनत कर और अच्छे परिणाम दे सकते हैं।
पिता ने निशानेबाजी के लिए किया प्रेरित।
मानवी ने बताया कि उनके पिता विवेक जैन राष्ट्रीय स्तर पर निशानेबाजी स्पर्धा में भाग ले चुके हैं। उन्होंने ही मुझे व मेरी बहन को निशानेबाजी को अपनाने के लिए प्रेरित किया। प्रैक्टिस की दिक्कत न हो, इसके लिए उन्होंने घर के परिसर में ही शूटिंग रेंज स्थापित कर दी। हालांकि अब उन्हें महू में आर्मी की शूटिंग रेंज में भी प्रैक्टिस की अनुमति मिल गई है।
ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करना है लक्ष्य।
डीएवीवी के स्कूल ऑफ जर्नलिज्म से पत्रकारिता का कोर्स कर रही मानवी का कहना है कि उनका लक्ष्य अपने प्रदर्शन में निरंतर सुधार कर भारतीय निशानेबाजी टीम में अपनी जगह बनाना है, ताकि आगामी ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व कर सकूं और देश के लिए मेडल जीत सकूं।इसके लिए वे कड़ी मेहनत कर रहीं हैं।खुद को फिट रखने और मानसिक मजबूती को बढ़ाने के लिए वे योगासन भी करती हैं।
बेहद खर्चीला खेल है निशानेबाजी।
मानवी के पिता विवेक जैन बताते हैं कि निशानेबाजी बेहद खर्चीला खेल है। मानवी अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं के मापदंडों के अनुरूप निशानेबाजी की प्रैक्टिस कर सकें, इसके लिए उन्होंने विदेशों से पिस्टल मंगवाई हैं। इसी के साथ हजारों की संख्या में कारतूस भी विदेश से बुलवाते हैं, ताकि मानवी की प्रैक्टिस में कोई दिक्कत न आए। विवेक जैन का ये भी कहना था कि निशानेबाजी बेहद खर्चीला खेल है। दुर्भाग्यवश इसमें सरकार, संबंधित खेल संगठन और कॉरपोरेट जगत से कोई खास मदद नहीं मिल पाती। उन्होंने निशानेबाजी के लिए पिस्टल और कारतूस मंगवाने हेतु शासन – प्रशासन स्तर पर अनुमति के लिए आनेवाली कठिनाइयों का भी जिक्र किया और खिलाड़ियों के हित में जटिल प्रक्रिया के सरलीकरण पर जोर दिया।