बिना प्रभारी मंत्री से अप्रूवल लिए जारी किए गए थे ये अटैचमेंट।
जनजातीय विभाग मंत्री विजय शाह ने उपायुक्त को दिए थे जांच के निर्देश।
प्रभारी मंत्री विजयवर्गीय को धोखे में रखने वाले सहायक आयुक्त की पोलपट्टी।
इंदौर (कीर्ति राणा) जनजातीय कार्य विभाग मंत्री विजय शाह ने शिक्षकों के अटैचमेंट के नाम पर चल रहे खेल की जानकारी मिलने पर विभाग के उपायुक्त बृजेश पांडे को धार जिले में ऐसे प्रकरणों की जांच के निर्देश दिए थे।जांच में पाया गया कि पूर्व सहायक आयुक्त ब्रजकांत शुक्ला के कार्यालय से शिक्षकों के अटैचमेंट संबंधी आदेश जारी किए गए थे।उपायुक्त ने धार जिले के 13 विकासखंड शिक्षा अधिकारियों को समस्त अटैचमेंट तत्काल प्रभाव से समाप्त किए जाकर ऐसे शिक्षकों को कार्यमुक्त करने के निर्देश दिये हैं।इस पूरे मामले का चौंकाने वाला तथ्य यह भी कि न तो प्रभारी मंत्री विजयवर्गीय से एप्रूवल लिया गया और न ही विभागीय मंत्री विजय शाह के कार्यालय को शिक्षकों के अटैचमेंट आदेश की जानकारी थी।
पूर्व सहायक आयुक्त ब्रजकांत शुक्ला द्वारा अटैचमेंट के नाम पर किए गए भ्रष्टाचार की जानकारी सूचना के अधिकार में एक आवेदक ने जुटाई थी। ये सारे दस्तावेज विभागीय मंत्री शाह को भेजे गये थे। मंत्री ने उपायुक्त बृजेश पांडे को सत्यता का पता लगाने के निर्देश दिए थे। जांच में यह भी खुलासा हुआ कि पूर्व सहायक आयुक्त शुक्ला ने धार जिले के प्रभारी मंत्री विजयवर्गीय को भी धोखे में रख कर शिक्षकों के अटैचमेंट भारी लेनदेन कर नियम विरुद्ध आदेश खुद ही जारी कर दिये थे। धार जिले के ऐसे 57 शिक्षकों पर कार्रवाई की सूची जारी की गई है।
इनकी शिकायत पर हुई कार्रवाई।
पूर्व सहायक आयुक्त शुक्ला के कारनामों को उजागर करने वाले चेतन कैलाश चंद भाटी ने सूचना के अधिकार में अटैच किये गये शिक्षकों की सूची के साथ ऐसे प्रमाण जनजातीय विभाग इंदौर और विभागीय मंत्री को सौंपे थे। तबादले-अटैचमेंट के लिये शासन द्वारा एक निर्धारित प्रक्रिया अपनाई जाती है जिसमें सहायक आयुक्त द्वारा भेजी सूची को प्रभारी मंत्री द्वारा एप्रूवल दिया जाता है। ऐसी प्रक्रिया अपनाने की अपेक्षा शुक्ला और सभी विकासखंड अधिकारियों की आपसी साठगांठ के चलते विभागीय प्रक्रिया को नज़र अंदाज़ करते हुए लेन देन के माध्यम से अटैचमेंट आदेश जारी किये गये थे।
अब भी बचे हैं जुगाड़ से जमे कर्मचारी।
धार जिले के नालछा विकासखंड के शिक्षा अधिकारी चौरसिया के कारनामों की बात करे तो नियमों के विरुद्ध हुए कई तबादलों में इनका भी संरक्षण पाया गया है। शिकायत में दी गई सूची से कुछ नामों को छुपाए जाने की कोशिश भी की गई है। उदाहरण के लिए सोनाली साहू कुँवरसी से चन्दनखेड़ी, मंजुला डावर कुँवरसी से इंडोरामा, मजहर मोहम्मद मुंडाना से तलाबपुरा, रेखा खंडेला एवं संदीप खत्री छोटी सागोर में अन्यत्र से जुगाड़ से बैठे हैं। इन सबको विकासखंड चौरसिया का वरदहस्त प्राप्त है।
जिले में उपायुक्त के ध्यानाकर्षण के लिए बताया गया कि अपात्रों को भी जन शिक्षक बनाया गया है । प्राथमिक शिक्षक कई जगह जन शिक्षक बनकर विकासखंड शिक्षा अधिकारी के साथ मिलकर खेल कर रहे हैं। कई महिलाओं ने ऐसे अपात्रों के विरुद्ध सहायक आयुक्त शुक्ला के समक्ष प्रताड़ना के आरोप लगाए थे लेकिन इन अपात्रों को बचा लिया गया । अनुशासन का डंडा चलाने वाले उपायुक्त बृजेश पांडे के निशाने पर ये जन शिक्षक भी हैं।
प्रदेश स्तर पर प्रमुख सचिन जनजाति कार्य विभाग ने निर्देश जारी किया था कि जिलों से अतिशेष शिक्षकों की सूची भेजी जाए।धार उपायुक्त शुक्ला ने अपने ऊपर लटकती कार्रवाई की तलवार से बचने के लिए तत्काल आदेश जारी कर दिया था कि मेरे द्वारा जिले में जितने अटैचमेंट किए गए हैं सब निरस्त किये जाएं।यह कागजी आदेश ही था क्योंकि इस आदेश का किसी विकासखंड अधिकारी ने पालन नहीं किया और न ही शुक्ला ने उनसे आदेश पालन के संबंध में जानकारी ही तलब की।
यही नहीं अपात्र जनशिक्षक सिर्फ माध्यमिक स्तर पर कार्य कर सकता है।लेकिन उपायुक्त ने प्राथमिक शिक्षकों को जनशिक्षक बना दिया।
जिन शिक्षकों को अटैच किया उनका वेतन मूल स्थान से ही जारी किया जा रहा था। जैसे सरदारपुर वाले शिक्षक को नालछा अटैच किया तो उसका वेतन सरदारपुर की अपेक्षा नालछा से निकल रहा है, कागजी आदेश में वह सरदारपुर पदस्थ है।