पहलगाम में आतंकी हमले पर मार्मिक कविता

  
Last Updated:  April 27, 2025 " 02:49 pm"

🔺गोपी नेमा, पूर्व विधायक🔺

पहलगाम में पहल तुम्हारी
जाने निर्दोष गई हमारी,
बार-बार की इस लुका छुपी से
भारत माता दु:खी – दु:खी सी,
मस्तक मुकुट हिल – हिल जाता
बिखर आंखों से मोती जाता,
कितने मोती बिखेरोगे
कभी तो मां को हंसने दोगे,
बच्चों की मां को रुलाने वालों
मां के गम पर जश्न मनाने वालों,
अब यह सहन नहीं होता है,
देखा था देखेंगे, किया था करेंगे
सुन सुन कान पकाने वालों
तुम्हें कसम है भारत मां की,
पहल कर उन्होंने दिखा दिया
अंतिम अंजामअब तुम दिखा दो, सीखा दो ऐसा सबक,
दहशतगर्दी हो इतिहास में दफन,
हो इतिहास में दफन।

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