बच्चे की शिकायत होती है कि घर में खिलौने तो बहुत है लेकिन छूना मना है।
हम पारंपरिक सोच और अपने जमाने की शैली को बच्चों के पालन पोषण में शामिल करते हैं।
माधव सृष्टि में डॉ माया बोहरा का व्याख्यान।
इंदौर : सत्य साई विद्या विहार के समीप स्थित माधव सृष्टि परिसर में रविवार को आयोजित व्याख्यान माला में प्रसिद्ध साइकोलॉजिस्ट, साइकोथेरेपिस्ट व काउंसलर डॉ. माया बोहरा ने ‘पालनपोषण में चुनौतियां’ विषय पर अपने विचार व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि हम बच्चे के शरीर की चिंता तो करते है, लेकिन उसके मन की नहीं। हेलीकॉप्टर पेरेंटिंग याने 24 घंटे बच्चे के पास मंडराते रहते है, जबकि उसे unschool Mind में रखकर उसकी समस्या का समाधान खुद करने दे। हमें अपनी सोच बच्चों पर नहीं थोपनी चाहिए। हम अपनी पारंपरिक सोच और अपने जमाने की शैली को बच्चों के पालन – पोषण में शामिल करते हैं जबकि समय के साथ आए बदलाव को ध्यान में रखा जाना चाहिए।
डॉ. बोहरा ने कहा कि हमें विकास और बढ़त में अंतर को समझते हुए, बच्चे के अच्छे काम को तुरंत प्रोत्साहित करना चाहिए, ना कि लालच की खराब आदत लगाए। निज पर शासन, स्वयं अनुशासन यह आचार्य तुलसी का ध्येय वाक्य सामने रखना चाहिए।
कार्यशाला के रूप में आयोजित इस व्याख्यान में कई विषयों को समाहित करते हुए डॉ. माया बोहरा ने श्रोताओं की जिज्ञासाओं का समाधान भी किया ।
कार्यक्रम में डॉ. मुकेश मोड़ व दिनेश गर्ग विशेष रूप से मौजूद रहे।अतिथि वक्ता डॉ. माया बोहरा का स्वागत डॉ. मोहिनी कुचेरिया ने किया। संचालन कपिल जोशी ने किया।