इंदौर : संस्कृति जतन के प्रयासों के तहत सानंद न्यास द्वारा आयोजित गोष्ट सांगा प्रतियोगिता का फायनल रविवार को संपन्न हुआ।
सानंद न्यास के अध्यक्ष जयंत भिसे, मानद सचिव संजीव वाविकर और स्पर्धा संयोजक रेणुका पिंगळे ने बताया कि हमारी पीढ़ी दादा दादी, नाना नानी की कहानियां सुनकर बडी हुई। कहानी..जो हमें कल्पना लोक में ले जाती थी, कहानी.जो हमारी गर्मियों की छुट्टियों का हिस्सा हुआ करती थी, जिन्हें सुनकर हम संस्कारित हुए, आज वही कहानियां इंटरनेट के जमाने में कहीं गुम हो गई हैं।
अपने सामाजिक दायित्व का निर्वाह करते हुए सानंद न्यास ने नाना – नानी और दादा – दादी की कहानियों की पुरातन परंपरा को पूर्नजीवित करने का बीड़ा उठाया है। इसके चलते गोष्ट सांगा प्रतियोगिता का आयोजन बीते अनेक वर्षों से अविरत किया जा रहा है। इस वर्ष प्रतियोगिता के फाइनल राउंड में 15 प्रतिभागियों ने अपनी संदेशप्रद और उद्धेश्यपरक
कहानियां रोचक अंदाज में सुनाई। ये कहानियां सुनकर श्रोताओं को अपना बचपन याद आ गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ एवं पुरस्कार वितरण मुख्य अतिथि डां. वृंदा कवठेकर ने किया। अतिथी स्वागत जयंत भिसे, संजीव वाविकर और ध्रुव देखणे ने किया। कार्यक्रम का सुत्र संचालन स्पर्धा संयोजक रेणुका पिंगळे ने किया। आभार जयंत भिसे ने माना।स्पर्धा के फाइनल राउंड के निर्णायक थे श्रीपाद जोशी, उज्जैन, सुमित नांदेडकर और सीमा देशमुख।
ये रहे विजेता :-
स्पर्धा में शालिनी पावड़े को प्रथम, निशा देशपांडे को द्वितीय और योगिनी श्रृंगारपुरे को तीसरा स्थान मिला। विजेताओं को वामन हरि पेठे ज्वेलर्स द्वारा सोने की नथ एवं पेंडन्ट से पुरस्कृत किया गया ।
कार्यक्रम में सभी प्राथमिक और सेमीफाइनल राउंड के निर्णायक, समन्वयक एवं मागदर्शकों का
सम्मान भी किया गया।