आपातकाल लगाकर इंदिराजी ने संविधान की हत्या की थी..

  
Last Updated:  June 25, 2025 " 08:25 pm"

लोकतंत्र के चारों खंभों का घोंट दिया था गला..

हिटलर के नाजीवाद से प्रेरित थी कांग्रेस और इंदिरा गांधी..

आपातकाल की 50 वी बरसी पर पत्रकार वार्ता में बोले बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद सुधांशु त्रिवेदी।

इंदौर : 50 साल पूर्व आज ही के दिन (25 जून 1975) तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा लगाया गया आपातकाल देश का सबसे दुर्दांत अध्याय रहा है। उस दौरान लोकतंत्र के चारों खंभों को ध्वस्त कर दिया गया था। एक लाख से अधिक राजनेताओं और लोकतंत्र के प्रहरियों को जेलों में ठूंस दिया गया था। मीडिया का गला घोंट दिया गया था।हर खबर सेंसर होकर जाती थी। मनमाने ढंग से विधायिका का कार्यकाल एक साल के लिए बढ़ा दिया गया था। सही मायने में संविधान की हत्या कर दी गई थी।

ये कहना है बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता, प्रखर वक्ता और राज्यसभा सांसद सुधांशु त्रिवेदी का, वे बुधवार को ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर में आयोजित पत्रकार वार्ता के जरिए अपनी बात रख रहे थे।

इंदिराजी ने कुर्सी बचाने के लिए लगाया आपातकाल।

सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि चुनाव में धांधली को लेकर लगाई गई याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का चुनाव अवैध घोषित कर दिया था। इसी के चलते अपनी कुर्सी बचाए रखने के लिए इंदिराजी ने देश पर आपातकाल थोप दिया। न्यायपालिका हो या आम आदमी सभी के अधिकार छीन लिए गए थे। जनसंघ सहित तमाम विपक्षी दलों के नेताओं को जेल में ठूंस दिया गया था। भारत में वैदिक काल से लोकतंत्र की परंपरा रही है लेकिन आपातकाल लगाकर लोकतंत्र को खत्म करने का काम किया गया।

जेपी आंदोलन से हुआ राजनैतिक चेतना का प्रादुर्भाव।

बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री त्रिवेदी ने कहा कि देश में राजनैतिक चेतना का प्रादुर्भाव जेपी आंदोलन से हुआ। असल लोकतंत्र आपातकाल के बाद ही आया जब 1977 में इंदिराजी और कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा और गैर कांग्रेसी सरकार केंद्र की सत्ता पर काबिज ही। उन्होंने कहा कि इसी तरह सांस्कृतिक जागरण की शुरुआत देश में राम मंदिर आंदोलन से हुई।

हिटलर के पदचिन्हों पर चलती थी इंदिराजी।

सुधांशु त्रिवेदी ने कांग्रेस पर हमलावर होते हुए कहा कि देवी अहिल्याबाई सहित सभी वीरांगनाओं और महापुरुषों ने भारत भूमि को माता का दर्जा दिया पर कांग्रेस के नेताओं ने ‘इंदिरा इज इंडिया’ का नारा देकर इंदिरा गांधी को देश का पर्याय बताने की धृष्टता की। असल में कांग्रेस व इंदिराजी नाजीवाद से प्रेरित थे। ‘हिटलर इज जर्मनी और जर्मनी इज हिटलर’ का नारा जर्मनी में बुलंद किया जाता था। उसी तर्ज पर कांग्रेस के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष देवकांत बरुआ ने ‘इंदिरा इज इंडिया ‘ का नारा दिया था। हैरत की बात ये है कि कांग्रेस को कभी इस बात पर शर्म नहीं आई। उसने इंदिरा को इंडिया बताने की बात को कभी गलत नहीं ठहराया। इससे उनका दंभ झलकता है। यही सिलसिला आज भी जारी है। कांग्रेस अपने आपको देश से ऊपर रखती है।

अपनी बात रखने के बाद सुधांशु त्रिवेदी ने पत्रकारों के सवालों के भी जवाब दिए।

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