इंदौर : विमुक्त, घुम्मकड़ व अर्द्ध घुम्मकड़ जनजाति संगठन के सदस्य वरुण पाल ने विमुक्ति दिवस पर पत्र के माध्यम से केंद्र सरकार से मांग की है, कि विमुक्त जनजातियों की बेहतरी के लिए सरकार रेनके आयोग व दादा भीकुराम इदाते आयोग की सिफारिशों को लागू करें।
वरुण पाल ने कहा कि 1871 में अंग्रेजों ने भारत की 193 जनजातियों को अपराधी जनजाति घोषित कर दिया था, लेकिन आजादी के बाद 1952 में केन्द्र सरकार ने अपराधी के ठप्पे से तो मुक्त कर दिया लेकिन वास्तविक आजादी आज भी नहीं मिल पाई है। पूर्व की केंद्र सरकारों ने इन जनजातियों की बेहतरी के लिये ठोस उपाय नहीं किये, जिसके कारण आज भी ये जनजातियां अभिशप्त जीवन जीने को मजबूर हैं। 15 करोड़ से ज्यादा आबादी वाले जनजातीय समाज की मांग आजादी के 72 साल बाद भी पूरी नही हुई है। इस बड़े जनसमूह का शासन व्यवस्था के तीनों अंगों में अल्पतम प्रतिनिधित्व है। आज भी देश में इन जनजातियों के लोग बेघर, अशिक्षित, विपन्न व निर्धन होकर शासन के आंकड़ों में दर्ज नहीं हैं। पत्र के माध्यम से केंद्र व राज्य सरकार से मांग की गई है, कि केंद्र सरकार 2006 में गठित रेनके आयोग व 2015 में गठित दादा इदाते आयोग की महत्वपूर्ण सिफारिशों को लागू करें, साथ ही साथ राज्य सरकार भी आगामी निकाय चुनावों में वार्डो व पंचायतो के आरक्षण में विमुक्त जनजातियों को स्थायी प्रतिनिधित्व प्रदान करें।
रेनके व इदाते आयोग की सिफारिशें लागू करें सरकार
Last Updated: September 4, 2019 " 03:53 pm"
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