♦️ डेविश जैन ♦️
इंदौर : जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण और तीव्र गति से कम हो रही जैव विविधता, दुनिया भर में पर्यावरणीय असंतुलन के प्रमुख कारक हैं। एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, मानवीय गतिविधियों ने पृत्वी का तापमान लगभग 1.1 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ा दिया है, जिससे समुद्र के स्तर में वृद्धि, लू, सूखा और बाढ़ जैसी चरम आपदाएं जन्म लेने लगी हैं। जलवायु परिवर्तन के कारण गर्मी, सूखा और बाढ़ जैसी मौसम की स्थिति पांच गुना अधिक हो रही हैं।
अन्य देशों की तरह, भारत भी हवा और पानी से संबंधित जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से अछूता नहीं है। भले ही हाल के वर्षों में भारत की वायु गुणवत्ता में मामूली सुधार हुआ है, लेकिन 2022 की भारत की पर्यावरण रिपोर्ट के अनुसार, यह अभी भी दुनिया में सबसे खराब है। भारत वैश्विक ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन में 7% का योगदान देता है। वनों की कटाई और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन, ग्लोबल वार्मिंग के प्रमुख कारण हैं।
प्रेस्टीज एजुकेशन फाउंडेशन के चेयरमेन डॉ डेविश जैन ने देश में पर्यावरण संतुलन को बनाए रखने के लिए रिड्यूस, रीयूज एवं रिसाइकल के मंत्र को अपनाने के साथ नवीकरणीय ऊर्जा को अपनाने एवं बड़ी संख्या पेड़ लगाने की बात पर जोर दिया है। उन्होंने लोगों से आह्वान किया कि वे पर्यावरण के संतुलन को बनाए रखने में व्यक्तिगत एवं सामूहिक रूप से योगदान दें। इससे हरित भारत एवं विश्व के निर्माण में मदद मिल सकेंगी।
(लेखक डेविश जैन प्रेस्टीज एजुकेशन फाउंडेशन के चेयरमैन और प्रेस्टीज यूनिवर्सिटी के कुलगुरु हैं)