नई दिल्ली : भारतीय अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री शिरिषा बांदला का सितारों के भी परे जाने का सपना सच हो गया। वह भारतीय मूल की कल्पना चावला और सुनीता विलियम्स के बाद तीसरी ऐसी महिला है, जिसने अन्तरिक्ष की सैर की। न्यू मैक्सिको से 34 वर्षीय एरोनॉटिकल इंजीनियर बांदला वर्जिन गैलेक्टिक के अंतरिक्ष यान टू यूनिटी में ब्रिटिश अरबपति रिचर्ड ब्रैनसन और चार अन्य लोगों के साथ अंतरिक्ष के छोर पर पहुंचीं।
बचपन से ही आसमान पर थी शिरिषा की नजर।
शिरिषा के दादा बांदला रागैया का कहना है कि बचपन में उसकी नजर हमेशा आसमान पर रहती थी। वह तारों, हवाई जहाज और अंतरिक्ष की तरफ बेहद तन्मयता से देखती और बातें करती थी।
उसके माता-पिता अमेरिका में बस गए थे। दादा रागैया के मुताबिक 4 साल की उम्र में ही शिरिषा अमेरिका चली गई थी।
उसका अंतरिक्ष में जाने का सपना सच हो गया।
बेटी की सफलता पर खुश हुए पिता।
शिरिषा के पिता मुरलीधर अपने पिता की तरह एक कृषि वैज्ञानिक हैं। अब वह नयी दिल्ली में अमेरिकी दूतावास में पदस्थ हैं। उनका कहना था कि “अंतरिक्ष के लिए वर्जिन गैलेक्टिक की उड़ान सफल रही। इससे वे बेहद खुश हैं।”
अंतरिक्ष में जाने का सपना सच हुआ।
अंतरिक्ष की सैर कर लौटी शिरिषा का कहना था कि ” वहां से धरती का नजारा देखना जिंदगी बदलने वाला पल होता है। अंतरिक्ष में जाना और वहां से लौटने की पूरी यात्रा शानदार थी।
शिरिषा ने इस पल को बेहद भावनात्मक बताते हुए कहा, जब वह छोटी थी तभी से अंतरिक्ष में जाने के सपने देखती थी। वास्तव में यह सपने के सच होने जैसा है।”