अध्यात्म के मार्ग पर चलने के लिए श्रमणशील होना जरूरी

  
Last Updated:  July 26, 2019 " 07:05 am"

इंदौर: रेसकोर्स रोड स्थित मोहता भवन में चल रहे चातुर्मासिक अनुष्ठान के तहत पूण्य कलश तप आराधना में बड़ी संख्या में श्रावक भाग ले रहे हैं। गुरुवार को हजारों श्रावकों को अपने अमृत वचनों से लाभान्वित करते हुए आचार्यश्री रत्नसुन्दर महाराज ने कहा कि अध्यात्म के मार्ग पर चलने के लिए हमें श्रमणशील होना चाहिए। इसका मतलब ये की हममें दूसरों की बातें सुनने की क्षमता होना चाहिए। इसी के साथ हमें समझशील और ग्रहणशील भी होना चाहिए। प्रवचनों को समझने और उन्हें अंगीकार करना भी आना चाहिए। सारे पाप न सही पर जिन्हें हम छोड़ सकते हैं उन्हें जरूर छोड़ना चाहिए। आचार्यश्री ने श्रद्धालुओं को संकल्प दिलाया कि वे रात 10 बजे बाद घर से बाहर नहीं रहेंगे। किसी काम से जाना भी पड़े तो 10 बजे तक घर लौट आएंगे। आचार्यश्री के प्रवचन प्रतिदिन सुबह 9 से 10 बजे तक हो रहे हैं।

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