अपने कर्म में परमात्मा के प्रति समर्पण का भाव रखे तो हर तरह के तनाव से मुक्ति मिलेगी

  
Last Updated:  December 13, 2023 " 07:45 pm"

‘द आर्ट एंड साइंस ऑफ हैप्पीनेस’ विषय पर बोलते हुए स्वामी मुकुंदानंद ने रखे विचार।

स्वामी मुकुंदानंद के आशीर्वचन – ऑटोग्राफ के लिए लगी लंबी कतारें

इंदौर : आज के भौतिक चकाचौंध भरे युग में हर कोई तनाव में जी रहा है। हमें तनाव कोई और नहीं देता, हम स्वयं ही उसे आमंत्रित करते हैं। घर-परिवार से लेकर दफ्तर और यहां तक कि हमारे धर्म स्थलों को लेकर भी हम तनाव से जूझ रहे हैं। इन तनावों से मुक्त होने के लिए हमें परमात्मा से प्रेम करने का एक और तनाव लेने की जरूरत है। हम यदि कुरूक्षेत्र के मैदान में भगवान कृष्ण द्वारा अर्जुन को दिए गए निष्काम कर्म का संदेश आत्मसात कर लें और अपने कर्मों में सम्पूर्ण सजगता व अपने प्रत्येक कर्म में परमात्मा के प्रति का समर्पण का भाव रखें तो हमें हर तरह के तनाव से मुक्ति मिल जाएगी। तनाव से मुक्ति ही सुख, आनंद और प्रसन्नता का मूल आधार है।

देश के बेस्ट सेलिंग पुस्तकों के लेखक और आध्यात्मिकता, योग एवं ध्यान के विश्व प्रसिद्ध प्रशिक्षक स्वामी मुकुंदानंद ने रेसकोर्स रोड, अभय प्रशाल स्थित लाभ मंडपम सभागृह में लाइफ ट्रांसफार्मेशन प्रोग्राम के तहत जीवन को सहज-सरल और सार्थक बनाने के सूत्रों पर आधारित सत्संग ‘द आर्ट एंड साइंस ऑफ हैप्पीनेस’ विषय पर देशभर से आए प्रबुद्धजनों को संबोधित करते हुए उक्त प्रेरक विचार व्यक्त किए। । प्रवचन शुभारंभ के पूर्व जे.के. योग केन्द्र इंदौर की ओर से राजेन्द्र माहेश्वरी, महेश गुप्ता, उमेश भराणी, कुशल चौरे, पंकज पंचोली, जे.पी. फड़िया आदि ने उनका स्वागत किया। महापौर के प्रतिनिधि के रूप में योगाचार्य राकेश चौधरी एवं आर.एस. एस. के प्रचारक वासुदेव पाटीदार भी स्वामीजी से मिले और उनका स्वागत किया।

उन्होने कहा कि हम जब तक भगवान के नाम, रूप, लीला, गुण, धाम में अपने मन का लगाव नहीं करेंगे, तनाव हमारा पीछा नहीं छोड़ेगा। तनाव के लिए किसी नए कुरूक्षेत्र की जरूरत नहीं, यह कहीं से भी, कभी भी, कहीं भी सृजित हो सकता है। दुनिया का शायद ही कोई जीव होगा, जो तनाव में नहीं जीता होगा। इस तनाव से मुक्ति के लिए हमें एक और तनाव लेना होगा और वह तनाव है – भगवान से प्रेम करने का। तनाव से पिंड छुड़ाने के लिए तय कर लें कि हम जो भी कर्म करेंगे भगवान से प्रेम करने के लिए करेंगे और अपने सभी कर्मों का समर्पण भगवान को करेंगे। यदि हमने ऐसा किया तो हम अपने स्वकर्म के अनुसार प्रवृत्त होंगे और कर्म करते हुए अपने मन का लगाव परमात्मा के प्रति समर्पित रखेंगे।

लाभ मंडपम पर आयोजित इस सत्संग कार्यक्रम के दौरान बड़ी संख्या में शहर के प्रबुद्धजनों ने कतारबद्ध होकर स्वामी मुकुंदानंद से उनके आशीर्वाद एवं उनके पुस्तकों पर ऑटोग्राफ लिए। स्वामीजी ने इस सत्संग में प्रश्नोत्तरी सत्र, ध्यान, कीर्तन आदि के माध्यम से भक्तों की जिज्ञासाओं को भी शांत किया।
अंत में जे.के. योग केन्द्र की ओर से राजेन्द्र माहेश्वरी ने आभार माना।

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