आईआईटी इंदौर के 15 स्टार्टअप्स को मिली 05 करोड़ की फंडिंग

  
Last Updated:  March 4, 2025 " 01:50 am"

आईआईटी इंदौर में बन रहा है नया हेल्थ प्लेटफॉर्म चरक डीटी।

कैंसर, अल्जाइमर जैसी कई बीमारी होने से पहले पता लगेगी, ट्रेन एवं प्लेन में भी हो सकेंगे इमरजेंसी टेस्ट।

दिल्ली में केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह और सांसद लालवानी ने सौंपे पत्र।

दिल्ली : नई दिल्ली स्थित हैबिटेट सेंटर में ऐसे 15 स्टार्टअप को फंडिंग दी गई जो हेल्थ केयर सेक्टर में अनूठे नवाचार कर रहे हैं। साइंस एंड टेक्नोलॉजी मंत्री जितेंद्र सिंह और इंदौर के सांसद शंकर लालवानी ने इन स्टार्टअप्स को फंडिंग का लेटर दिया। 15 स्टार्टअप्स को 5 करोड़ रु की फंडिंग दी गई है। ये राशि प्रत्येक स्टार्टअप के लिए बढ़ाकर 1 करोड़ रु की जा सकती है।

इन 15 में से कुछ स्टार्टअप आईआईटी के प्रोफेसर्स ने शुरू किए हैं तो कुछ भोपाल एम्स के डॉक्टर्स ने बनाए हैं वहीं कुछ स्टार्टअप्स डॉक्टर और इंजीनियर्स ने मिलकर बनाए हैं।

इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि अब डॉक्टर्स, इंजीनियर का काम कर रहे हैं और कई इंजीनियर, डॉक्टर्स के मेडिकल क्षेत्र में काम कर रहे हैं। टेक्नोलॉजी की मदद से यह संभव हुआ है। नई शिक्षा नीति 2020 के कारण बहुत जल्द छात्र विभिन्न विषयों का अध्ययन कर सकेंगे।

इंदौर के सांसद शंकर लालवानी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह का धन्यवाद करते हुए कहा कि आईआईटी इंदौर ने ऐसे स्टार्टअप्स की मदद की है जो हेल्थ केयर के क्षेत्र में क्रांतिकारी काम कर रहे हैं। आज से 10-20 साल पहले जिन बीमारियों का इलाज असंभव लगता था वह आज स्टार्टअप्स ने संभव कर दिखाया है। इन स्टार्टअप्स की मदद से ग्रामीण क्षेत्र में भी उच्च स्तरीय हेल्थ केयर सुविधा पहुंचना संभव है।

इस अवसर पर डिपार्मेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के सेक्रेटरी अभय करंदीकर, आईआईटी इंदौर के डायरेक्टर प्रोफेसर सुहास जोशी, साइंस एंड टेक्नोलॉजी मिनिस्ट्री के अंतर्गत आने वाले डिपार्मेंट आफ फ्यूचरिस्टिक टेक्नोलॉजी की हेड डॉ एकता कपूर मौजूद थे। बता दें कि लकवा या अन्य किसी कारण से चलने – फिरने में असमर्थ लोगों के लिए एक स्टार्टअप नोवा वॉक ने वियरेबल सॉल्यूशन बनाया है, जिसे आईआईटी इंदौर ने इंक्यूबेट किया है। एक अन्य नवाचार में किसी भी भाषा में डॉक्टर से बात करने के लिए एआई बेस्ड सॉल्यूशन बनाया गया है। ग्रामीण क्षेत्रों में अल्ट्रासाउंड रोबोट की मदद से सोनोग्राफी करना आसान हो गया है। इसके अलावा एक सूटकेस में आ जाने वाली पोर्टेबल ब्लड टेस्टिंग यूनिट भी स्टार्टअप की देन है। ऐसे तमाम नवाचार करने वाले स्टार्टअप्स को प्रोत्साहित करने के लिए केंद्र सरकार को दृष्टि योजना के तहत उन्हें फंडिंग दी गई है

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