इंदौर जिला कोर्ट में 11 सितंबर को लगेगी लोक अदालत, आपसी समझौते के आधार पर होगा लंबित प्रकरणों का निराकरण

  
Last Updated:  August 29, 2021 " 12:15 am"

इंदौर : दिनेश कुमार पालीवाल प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश/अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, इन्दौर के मार्गदर्शन में (दिनांक 11 सितम्बर, 2021 शनिवार) को नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया जा रहा है। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव मनीष श्रीवास्तव ने बताया कि इस नेशनल लोक अदालत में न्यायालयों में लंबित मोटर दुर्घटना दावा, सिविल, विद्युत चोरी से संबंधित, चेक बाउन्स, भरण पोषण, घरेलू हिंसा, श्रम प्रकरण एवं राजीनामा योग्य दांडिक/आपराधिक प्रकरणों एवं प्रीलिटिगेशन मामलों का निराकरण आपसी समझौतों के आधार पर किए जाने हेतु गठित खण्डपीठों में भेजे जाएंगे।
सचिव श्रीवास्तव ने बताया कि लोक अदालत में ऐसे प्रकरणों को रखा जाता है, जिनमें पक्षकारों के बीच समझौते की संभावना हो, ऐसे पक्षकारों को लोक अदालत की खण्डपीठ द्वारा समझाईश दी जाती है। यदि पक्षकारों के मध्य राजीनामे की सहमति बनती है, तो पक्षकारों के मध्य तय शर्तो के अनुसार राजीनामा न्यायालय के समक्ष हो जाता है। लोक अदालत में मामले का निराकरण समझौते के आधार पर होने से पैसे और समय दोनों की बचत होती है।
सचिव मनीष श्रीवास्तव ने यह भी जानकारी दी कि दीवानी मामलों में राजीनामा लोक अदालत के समक्ष किए जाने की स्थिति में वादी द्वारा जो कोर्ट फीस हजारों-लाखों रूपए की स्टाम्प के रूप में दी गई होती है, वह पूरी की पूरी कोर्ट फीस वादी को वापस प्राप्त करने का अधिकार होता है। इसी प्रकार चेक बाउन्स वाले मामलों में भी परिवादी द्वारा हजारों-लाखों रूपये कोर्ट फीस जमा करते हुए चेक बाउन्स के संबंध में परिवाद न्यायालय में पेश किया जाता है, यदि चेक बाउन्स वाले मामलों में भी लोक अदालत में राजीनामा होता है, तो दी गई कोर्ट फीस की राशि भी पूरी-की-पूरी परिवादी को वापस प्राप्त करने का अधिकार होता है। इसी प्रकार वाहन दुर्घटना वाले मामलों में भी बीमा कंपनी या विरोधी पक्षकार से लोक अदालत में राजीनामा के फलस्वरूप मामले का शीघ्र निराकरण हो जाता है। पक्षकार को शीघ्र ही मुआवजा राशि मिल सकती है।
चेक बाउन्स वाले मामलों में राजीनामा करने हेतु अभियुक्त को निर्धारित समन/राजीनामा शुल्क भी देना होता है। ऐसे सभी व्यक्ति जिनके विरूद्ध न्यायालयों में चेक बाउन्स के मामलें प्रस्तुत हुए है। यदि वे न्यायालय में प्रथम बार उपस्थिति के समय ही राजीनामा करना स्वीकार करते हैं, तो उन्हें चैक राशि का 10 प्रतिशत धन राशि, समन/राजीनामा शुल्क के रूप में भुगतान करने की आवश्यकता नहीं रहती है। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण ऐसे सभी व्यक्ति जिनके विरूद्ध धारा 138 परक्राम्य लिखित अधिनियम के तहत चेक बाउन्स के मामलें न्यायालय में प्रस्तुत हुए हैं, और उन्हें न्यायालय में उपस्थित होने का प्रथम बार सूचना पत्र मिला हो या उन्हें उनके विरूद्ध प्रकरण प्रस्तुत होने की जानकारी हो गई हो, परन्तु उन्हें न्यायालय से कोई सूचना पत्र उपस्थिति बाबद प्राप्त नहीं हुआ हो, तो भी वे फरियादी को राजीनामा के आशय की जानकारी देते हुए आयोजित नेशनल लोक अदालत में फरियादी के साथ उपस्थित होकर राजीनामा कर प्रकरण समाप्त करा सकते हैं। ऐसे व्यक्तियों को राजीनामा शुल्क के रूप में कोई अतिरिक्त धनराशि का भुगतान नहीं करना होगा।
ऐसे पक्षकार जिनके मध्य किरायेदारी वाले मकान को खाली कराने या बकाया किराया के संबंध में मामले न्यायालय में विचाराधीन है, तो ऐसे मकान मालिक एवं किरायेदार भी लोक अदालत के माध्यम से अपने मामलों में सुलहवार्ता कर समझौता करा सकते हैं।
इसी तरह ऐसे पक्षकार जिनके मध्य संविदा/अनुबंध या करार के पालन के मामले चल रहे हैं, वे भी नेशनल लोक अदालत में उपस्थित होकर लोक अदालत के माध्यम से अपने प्रकरण में सुलहवार्ता कर समझौता के आधार पर मामले का त्वरित निराकरण कराकर वर्षों तक चलने वाले मुकदमें के तनाव और अदालती खर्चों के बोझ से बच सकते हैं।
ऐसे पति-पत्नि जिनके मध्य घरेलू हिंसा, भरण-पोषण राशि से संबंधित विवाद न्यायालय में विचाराधीन हो, वे भी नेशनल लोक अदालत में उपस्थित होकर लोक अदालत के माध्यम से अपने प्रकरण में समझौता कर मुकदमें के तनाव और अदालती खर्चों के बोझ से बच सकते हैं और पारिवारिक जीवन में मुकदमें के कारण उत्पन्न तनाव-कड़वाहट से मुक्त हो सकते हैं।
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, इन्दौर ऐसे सभी व्यक्तियों से ‘‘जिनके मामलें जिला न्यायालय में लम्बित है‘‘ अपील करता है कि यदि उनके द्वारा प्रस्तुत किए गए मामले में या उनके विरूद्ध कोई मामला चल रहा हो, जो राजीनामा योग्य हो, में सुलह समझौते की संभावना हो तो वे सुलह समझौते हेतु अपने प्रकरण 11 सितम्बर, 2021 को आयोजित होने वाली नेशनल लोक अदालत में रखवा सकते हैं।

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