गोवर्धन पूजा इंद्र के अहंकार को ध्वस्त करने की लीला है- स्वामी भास्करानंद

  
Last Updated:  January 8, 2021 " 11:40 pm"

इंदौर : द्वापर युग की पूतना की तरह हम सबके जीवन में भी दो बार अविद्या रूपी पूतना का आगमन होता है। यदि घर में सारे भौतिक साधनों के बाद भी यदि हमें सुख-शांति की अनुभूति नहीं हो रही है तो समझ लें कि अविद्या का प्रवेश हो गया है। भगवान ने सबसे पहले अविद्या का नाश किया। घर में दोनों समय संध्याकाल में प्रकाश का प्रतीक दीपक अवश्य लगाना चाहिए। गोवर्धन पूजा ब्रज के भक्तों को इंद्र के प्रकोप से बचाने और उसका अहंकार ध्वस्त करने की लीला है।
श्रीधाम वृंदावन के महामंडलेश्वर स्वामी भास्करानंदजी ने खेल प्रशाल के सामने रेसकोर्स रोड पर चल रही संगीतमय भागवत कथा में भगवान की बाल लीला और गोवर्धन पूजा प्रसंगों के दौरान उक्त विचार व्यक्त किए। कथा के दौरान गोवर्धन पूजा उत्सव भी मनाया गया। गोवर्धन पर्वत एवं भगवान को छप्पन भोग समर्पित किए गए। कथा शुभारंभ के पूर्व समाजसेवी विनोद अग्रवाल, प्रेमचंद गोयल, दिनेश मित्तल, अरविंद बागड़ी, विष्णु बिंदल, गोपालदास मित्तल, नारायण अग्रवाल 420वाले एवं अन्य स्नेहीजनों ने व्यासपीठ का पूजन किया। आयोजन समिति की ओर से अरूण गोयल मामा ने सभी संतों एवं अतिथियों का स्वागत किया। आरती में सैकड़ों भक्तों ने भाग लिया। कथा में साध्वी कृष्णानंद ने भी स्वामी भास्करानंद के सान्निध्य में अपने विचार रखे।

रूक्मणी विवाह- संयोजक अरूण गोयल मामा ने बताया कि शनिवार 9 जनवरी को कथा में रूक्मणी विवाह तथा रविवार 10 जनवरी को सुदामा चरित्र प्रसंगों की कथा होगी। जीवंत उत्सव भी मनाए जाएंगे। कथा प्रतिदिन दोपहर 3 से सांय 6 बजे तक हो रही है। जिला प्रशासन की गाइडलाइन के अनुसार कथा स्थल पर सेनेटाइजर, मास्क एवं सोशल डिस्टेंस का पूरी तरह पालन किया जा रहा है।

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