जनजातीय नृत्यों से सजेगी लोकोत्सव की शाम।
लोकोत्सव का हुआ औपचारिक शुभारंभ।
इंदौर : मालवा की लोक संस्कृति अपने आप में अनूठी है। देश के जनजाति गौरव को केंद्र में रखते हुए एवं लोक कला को पुनः स्थापित करने के उद्देश्य को लेकर लोक संस्कृति मंच ने इस वर्ष जनजाति लोक नृत्य और जनजातीय शिल्प एवं लोक कलाकारों को लेकर एक वृहद उत्सव लाल बाग परिसर में आयोजित किया गया है।
मंच के संयोजक एवं सांसद शंकर लालवानी के नेतृत्व में मनाए जा रहे इस लोकोत्सव में भारिया ,कोरकू, बैगा, गोंड ,भील ,कौल जनजाति के नृत्य देखने को मिलेंगे। रविवार को इस लोकोत्सव का औपचारिक शुभारंभ हुआ।
लोक संस्कृति मंच के संयोजक शंकर लालवानी ने बताया कि इस वर्ष तंदुरुस्त बालक प्रतियोगिता, भारतीय खेल प्रतियोगिता एवं स्वास्थ्य मेले का आयोजन भी किया जा रहा है इसमें खो-खो, सितोलिया, कबड्डी सहित भारतीय खेलों को शामिल किया गया है, जिसमें जिले की टीमे भाग लेंगी।
विशाल गिदवानी एवं पवन शर्मा ने बताया सांस्कृतिक संध्या का प्रारंभ प्रतिदिन सायंकाल 7:30 से होगा।
जनजातीय परिवेश के अनुरूप की गई है मंच सज्जा।
लोक संस्कृति मंच के सचिव दीपक लंवगड़े ने बताया ग्रामीण परिवेश में रहने वाले जनजाति रहन-सहन को आधार बनाकर झोपड़ी नुमा आकृति में बनाए गए मंच पर घास फूस का उपयोग किया गया है। बांस एवं जूट के उपयोग से बने मंच, जिसकी ऊंचाई 40 फीट,चौड़ाई 100 फीट है। इसका संपूर्ण आकल्पन दीपक लंवगड़े स्वाति लंवगड़े व साथियों द्वारा किया गया है।
अनूठे शिल्पों से सजा शिल्प बाजार।
रितेश पिपलिया ने बताया शिल्प बाजार में इस वर्ष मुख्य आकर्षण कश्मीर, कर्नाटक ,पश्चिम बंगाल ,आसाम के शिल्प होंगे जिनमें पश्मीना शॉल, कश्मीरी ऊनी स्वेटर, पोचमपल्ली साड़ियां ,जूट वर्क की कलाकृतियां सहित छत्तीसगढ़ का पीतल वर्क, महेश्वरी साड़ियां, नागालैंड का ड्राई फ्लॉवर ,पंजाब की फुलकारी ,हरियाणा का टेराकोटा, पोकरण के मिट्टी शिल्प हैं। आसाम का केन फर्नीचर व बांस शिल्प भी यहां होगा। साथ ही यहां बच्चों के मनोरंजन के लिए झूले एवं विभिन्न प्रकार के खेल भी मौजूद रहेंगे । मालवीय व्यंजनों के साथ देश भर के व्यंजनों का स्वाद भी यहां लिया जा सकेगा।