🔹 नरेंद्र भाले 🔹
पैलवान यह कोई स्नीकर्स का ऐड नहीं है। एक ऐसी सच्चाई है जिसे आप विज्ञापन के अंदाज में ही ले रहे हैं, वाकई ऐसा ही प्रतीत होता है। यहां तो आप के नेतृत्व में ही गुलगपाड़ा चल रहा है। आगाज मे ही चहर की गेंद पर आपने पृथ्वी का कैच पकड़ा लेकिन आप और चहर ने अपील ही नहीं की। यहां यह बताना जरूरी है कि बहाना भी बनाया नहीं जा सकता की मैदान के शोर में पता ही नहीं चला ।चतरे पृथ्वी ने भी ऐसा दर्शाया मानो कुछ हुआ ही नहीं। फिर हेजलवुड से अपनी ही गेंद पर पृथ्वी का करारा प्रहार छूट गया। इससे भी मन नहीं भरा और एक कैच फिर से टपक गया। इस बार भी मुकद्दर का सिकंदर पृथ्वी ही रहे। इसमें संदेह नहीं है कि पृथ्वी तथा धवन ने बगैर किसी नुकसान के 10 ओवर निकाल दिए। धवन 35 तथा पृथ्वी 64 रन बनाकर पिटोडे चावला का शिकार बने। बाद में श्रेयस तथा पंत ने भी उम्दा पारिया खेल कर स्कोर 175 तक पहुंचा दिया। हेजलवुड तथा सेम करीना ने अवश्य प्रभावित किया। मैदान बड़ा था तथा विकेट में हरकत अवश्य थी। पृथ्वी ने शुरुआत में ही वाटसन का आसान कैच टपका दिया। इसका खामियाजा इंदौरी आवेश खान को चुकाना पड़ा। उनके पहले ही और में वाटसन ने 12 रन ठोक कर बेचारे को दबाव में ला दिया। चेन्नई के लिए व्यक्तिगत हजार रन पूरे करने के पश्चात वाटसन को अक्षर पटेल ने चलता कर दिया जबकि मुरली विजय नोतजे का शिकार बने। इस दौर में अक्षर पटेल तथा अमित मिश्रा ने लाजवाब गेंदबाजी कर चेन्नई की रनतंगी कर दी। फाफ डु प्लेसिस ने आउट होने के बहुतेरे प्रयास किए लेकिन ना वे आउट हुए और ना ही गेंद बल्ले पर ठीक से आ रही थी। जैसे तैसे फिर भी वे 43 तक पहुंच गए। इस दौरान उन्हें हेटमायर ने दो जीवनदान भी तोहफे में दिए। बेचारे आवेश का दुर्भाग्य रहा कि उनकी गेंद पर डुप्लेसिस का कैच तो छूटा ही कई हवाई शॉटस भी क्षेत्ररक्षको तक पहुंच नहीं पाए ।यहां धोनी ने एक बार फिर केदार जाधव को खुद से पहले भेजा और खुद उस समय मैदान पर आए हैं जिस समय रनों का लक्ष्य कुतुबमीनार बन चुका था। इसमें संदेह नहीं था कि दिल्ली के मुकाबले चेन्नई की एप्रोच ही खराब थी। नोतजे तथा रबाडा ने उम्दा गेंदबाजी की और जबरदस्त दबाव बनाए रखा साथ ही अक्षर तथा अमित मिश्रा ने ओझा बन कर उनकी जीत के दरवाजे बंद कर दिए। केएल राहुल से डु प्लेसिस ने नारंगी टोपी छीन ली जबकि जामुनी टोपी रबाडा के सिर चढ़ गई। 20 ओवर में एक बार भी ऐसा नहीं लगा की चेन्नई लक्ष्य के आसपास भी पहुंच सकती है। फिर माही के लिए कहा जा सकता है कि जेहन मे नहीं दाने और धोनी चले भुनाने। दिल्ली ने उन्हें भारत , दक्षिण अफ्रीका तथा अब यूएई में भी शिकस्त दे दी।