“अज्ञान के विनाशक, ज्ञान के उपासक होते है शिक्षक।
ज्योतिपुंज प्रकाश के संवाहक होते है शिक्षक।
शिष्यों में सृजनात्मकता को विकसित करते हैं शिक्षक।
विषाद के क्षणों में धैर्य रखना सिखाते हैं शिक्षक।
सच्चे पथ-प्रदर्शक बन सत्य की राह दिखाते हैं शिक्षक।
जीवन के यथार्थ का बोध कराते हैं शिक्षक।
विषम परिस्थितियों में साम्य का परिचय करवाते हैं शिक्षक।
प्रतिभा का मूल्यांकन कर चमकता हीरा बनाते हैं शिक्षक।
मानवता के उत्थान हेतु सहिष्णुता का पाठ पढ़ाते हैं शिक्षक।
ज्ञान पुंज देश और समाज के कल्याण को प्रेरित करते हैं शिक्षक।
विश्व बंधुत्व के संदेश के परिचायक हैं शिक्षक।
जीवन के सत्य से साक्षात्कार कराते हैं शिक्षक।
भविष्य के धरातल पर उन्नति के आयाम हैं शिक्षक।
अवगुणों का गुणों में परिष्कृत रूप है शिक्षक।
बच्चों की उन्नति में गर्वित होते हैं शिक्षक।
विचारों के कोलाहल को न्यून करते हैं शिक्षक।
जीवन की प्रखरता और मुखरता का प्रतीक है शिक्षक।
डॉ. रीना कहती, राष्ट्र के विकास का गर्व है शिक्षक।“`
डॉ. रीना रवि मालपानी (कवयित्री एवं लेखिका)