इंदौर : टैक्स प्रैक्टिशनर्स एसोसिएशन इंदौर व इंदौर सीए शाखा के सयुंक्त तत्वावधान में आयकर कानून के तहत टीडीएस प्रावधानों पर सेमिनार का आयोजन किया गया। सेमिनार में मुख्य वक्त आयकर के उपयुक्त (टीडीएस) योगिश मिश्रा थेl यह सेमिनार अपने आप में अनूठा था कारण इसमें चार्टर्ड अकाउंटेंट्स एवं कर सलाहकारों की टीडीएस सम्बंधित समस्या का समाधान स्वयं आयकर उपायुक्त ने कियाl
टीडीएस, टीसीएस दोनों में रिटर्न फाइल करना जरूरी।
मुख्य वक्ता आयकर उपायुक्त योगिश मिश्रा ने कहा कि टैक्स डिडक्शन ऐट सोर्स (टीडीएस) और टैक्स कलेक्शन एट सोर्स (टीसीएस) टैक्स वसूल करने के दो तरीके हैं। टीडीएस का मतलब स्रोत पर कटौती है। टैक्स कलेक्शन एट सोर्स का मतलब स्रोत पर टैक्स कलेक्शन से है। दोनों ही मामलों में रिटर्न फाइल करने की जरूरत होती है।
उन्होंने कहा कि टीडीएस के कारण सरकार को न केवल समय पर टैक्स मिलता है वरन जो ट्रांजेक्शन किया जा रहा है उसकी रियल टाइम मेनर में इन्फॉर्मेशन भी मिल जाती है जिससे कर प्रशासन सुदृढ़ होता है और कर अपवंचन की सम्भावना भी नहीं रहती l
उन्होंने टीडीएस के बारे में कहा कि अगर किसी की कोई आय होती है तो उस आय से टैक्स काटकर उस व्यक्ति को बाकी रकम दी जाए तो टैक्स के रूप में काटी गई रकम को टीडीएस कहते हैं। सरकार टीडीएस के जरिए टैक्स जुटाती है। यह अलग-अलग तरह के आय स्रोतों पर काटा जाता है जैसे सैलरी, किसी निवेश पर मिले ब्याज या कमीशन आदि पर। कोई भी संस्थान (जो टीडीएस के दायरे में आता है) जो भुगतान कर रहा है, वह एक निश्चित रकम टीडीएस के रूप में काटता है।
टीसीएस के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि टीसीएस टैक्स कलेक्टेड ऐट सोर्स होता है। इसका मतलब स्रोत पर एकत्रित टैक्स (इनकम से इकट्ठा किया गया टैक्स) होता है। टीसीएस का भुगतान सेलर, डीलर, वेंडर, दुकानदार की तरफ से किया जाता है। हालांकि, वह कोई भी सामान बेचते हुए खरीदार या ग्राहक से वो वसूलता है। वसूलने के बाद इसे जमा करने का काम सेलर या दुकानदार का ही होता है। इनकम टैक्स एक्ट की धारा 206C में इसे कंट्रोल किया जाता है। कुछ खास तरह की वस्तुओं के विक्रेता ही इसे कलेक्ट करते हैं। इन वस्तुओं में टिंबर वुड, स्क्रैप, मिनरल, तेंदु पत्ता शामिल हैं। इस तरह का टैक्स तभी काटा जाता है, जब पेमेंट एक सीमा से ज्यादा होता है।
उन्होंने कहा कि सरकार ने टीडीएस का दायरा अब बढा दिया हैl 21 अप्रैल 2022 से लागू नए नियमों के अनुसार अगर किसी व्यक्ति की इनकम 2.5 लाख रुपये की छूट से कम है लेकिन TDS और TCS 25,हजार रुपये या उससे ज्यादा है तो अब उसे आईटीआर भरना ही पड़ेगा। बता दें कि ये नया नियम सीनियर सिटीजन के मामले में टीडीएस या टीसीएस 50,000 रुपये से ज्यादा होने पर लागू होगा।
उन्होंने कहा कि आयकर कानून के तहत करदाता को कुछ खास तरह की आय (जैसे ब्याज, लाभांश, किराया, बीमा, कमीशन आदि) स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) के बगैर ही प्राप्त करने का अधिकार हैl मान लीजिए कि आपकी ब्याज से आय 60 हजार रुपए है और अन्य स्रोतों से शून्य या एक लाख लाख रुपए आय है. यानी आपकी कुल आय इनकम टैक्स लिमिट से कम हैl फिर भी, बैंक टीडीएस का नियम बताकर टैक्स काट लेंगे. लिहाजा, सरकार ने ऐसे लोग जिनकी कुल आय टैक्सेबल लिमिट से कम है, उनके लिए फार्म15 जी व 15एच की सुविधा दी हैl फार्म 15जी का उपयोग 60 साल से कम उम्र वाले और हिंदू अविभाजित परिवार तथा 15एच सीनियर सिटीजन के लिए होता हैl यह फार्म जमा करने के बाद बैंक टीडीएस कटौती नहीं करते हैंl
श्री मिश्रा ने कहा कि टीडीएस न काटने पर विभाग ब्याज और पेनल्टी लगा सकता है लेकिन टीडीएस काटकर सरकार को जमा न कराना बड़ा जुर्म है और विभाग पेनल्टी, इंटरेस्ट के साथ साथ प्रॉसिक्यूशन की कार्रवाई भी कर सकता है l
सेमिनार का संचालन टैक्स प्रैक्टिशनर्स एसोसिएशन के मानद सचिव सीए अभय शर्मा ने कियाl टैक्स प्रैक्टिशनर्स एसोसिएशन की और से स्वागत भाषण प्रेसिडेंट सीए शैलेन्द्र सिंह सोलंकी ने दियाl इंदौर सीए शाखा की और से स्वागत भाषण सीए अमितेश जैन ने दियाl सेमिनार में सीए सोम सिंघल, सीए मनोज गुप्ता, सीए अजय सामरिया, एडवोकेट गोविन्द गोयल सहित बड़ी संख्या में सदस्य मौजूद थे।