सुर साम्राज्ञी को इंदौर की सुरीली गायिकाओं ने पेश की स्वरांजलि

  
Last Updated:  February 10, 2022 " 05:35 pm"

लता दीदी को इंदौर न ला पाने का अफसोस हमेशा रहेगा- कैलाश विजयवर्गीय

“आप अक्षरों की तरह अक्षर,स्वरों की तरह शाश्वत और आत्मा की तरह अजर- अमर रहेंगी। ” ये शब्द उन भावनाओं की अभिव्यक्ति है, जो सुरों की देवी लता मंगेशकर के लिए हर हिन्दुस्तानी के दिल से निकलती है। देवी अहिल्याबाई होलकर के बाद लता मंगेशकर ही वो शख्सियत है जिन्होंने देश और दुनिया में इंदौर के नाम को स्थापित किया। आज हम इंदौरी गर्व से कहते हैं कि स्वर कोकिला लता मंगेशकर इंदौर की बेटी थी। इसी इंदौर की बेटी को नमन करने के लिए संस्था विधायक रमेश मेंदोला ने कनकेश्वरी देवी विद्या विहार के बैनर तले श्रद्धांजलि और स्वरांजलि सभा का आयोजन किया। रेसकोर्स रोड स्थित लाभ मंडपम में संजोई गई इस सभा में बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, मप्र के कैबिनेट मंत्री विश्वास सारंग और तुलसी सिलावट एवं अनुसूचित जाति वित्त विकास निगम, मप्र के अध्यक्ष सावन सोनकर सहित कई विशिष्टजनों और बड़ी संख्या में संगीत प्रेमियों ने मौजूद रहकर लता दीदी को याद किया और उन्हें श्रद्धांजलि दी।

लता दीदी को इंदौर न ला पाने का हमेशा अफसोस रहेगा।

इस मौके पर लताजी को नमन करते हुए कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि उन्हें इस बात का अफसोस रहेगा कि वे इंदौर की बेटी लता दीदी को इंदौर नहीं ला सका। पता नहीं क्यों वे इंदौर आने से नाराज थीं। भैय्यू महाराज ने वादा किया था कि वे लता दीदी को इंदौर लेकर आएंगे पर वे भी चले गए और अब लताजी भी चली गई। कैलाश जी ने लता दीदी को उनके गाए युगल गीत ‘ शाम जब आंसू बहाती आ गई, हर तरफ गम की उदासी छा गई, दीप यादों के जलाकर रो दिए।’ गाकर भावुक स्वरांजलि दी।

लता दीदी का जीवन प्रेरणास्पद है।

चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने कहा कि सादगी ही लता दीदी का गहना था। उन्होंने अपनी शर्तों पर गीत गाए। उनकी सोच देश को समर्पित थी। संगीत के शिखर पर रहते हुए भी वे सादा जीवन जीती थी। उनकी जीवन शैली प्रेरणास्पद है। वे अपने गीतों के जरिए हमेशा अमर रहेंगी।

लता दीदी ने विश्व पटल पर अमिट छाप छोड़ी।

जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट ने लताजी को श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए कहा वे देश का गौरव थीं। उन्होंने विश्व पटल पर अपने आपको स्थापित किया। उनके गाए गीत हमेशा याद रखे जाएंगे। उनकी यादों को हम सदैव जीवित रखेंगे।

शहर की गायिकाओं ने पेश की स्वरांजलि।

लता दीदी की यादों को समेटे इस कार्यक्रम की शुरुआत वैशाली बकोरे ने ‘बाजे रे मुरलिया बाजे’ से की। उसके बाद वैशाली ने लताजी की गाई ग़ज़ल ‘रस्में उल्फत को निभाएं कैसे’ पेश की।

वैशाली के बाद मंच संभाला अर्पिता बोबडे ने मंच संभाला और पिया तोसे नैना लागे रे और वो भूली दास्तां… गाकर सुरों की मलिका लताजी को स्वरांजलि दी।
युवा गायिका सृष्टि जगताप ने ‘मेरी आवाज ही पहचान है।’ और चिट्ठिये गीत के जरिए सुरों की देवी को नमन किया।
रसिका गावड़े ने हिंदी के साथ लताजी का गाया बेहद खूबसूरत गीत ‘मेहँदीच्या पानावर’ उसी खूबसूरती के साथ पेश किया।
रसिका के बाद मंच पर आई श्रद्धा जगताप ने अपनी दमदार आवाज से श्रोताओं की दाद बटोरी। उन्होंने फिल्म लेकिन का गीत यारा सिली…सिली.. शिद्धत के साथ गाया। उनकी आवाज की रेंज इस गाने में अद्भुत थी। इसी के साथ श्रद्धा ने ‘तू जहां- जहां चलेगा, मेरा साया साथ होगा।’ गाकर रुखसत ली।

सारिका सिंह ने जमाया रंग।

इंदौर से मुम्बई जाकर देशभर में लताजी के गाए गीतों का परचम अपनी विशिष्ट शैली में फहराने वाली गायिका सारिका सिंह ने मंच सम्भाला और कार्यक्रम की जैसे रंगत ही बदल गई। अभी तक खामोश बैठे सुधि श्रोता सारिका के गाए हर गीत पर झूमते और दाद देते नजर आए। सारिका ने साबित किया कि वे असल स्टेज परफॉर्मर हैं। उनकी आवाज में वो खनक है जो सुनने वाले को मोहित कर लेती है। यशोदा का नंदलाला से शुरुआत कर सारिका ने जैसे लताजी के गाए गीतों की सरिता बहा दी। रहे न रहे हम, मौसम कोई हो इस चमन में, रंग बनके खिलेंगे, बेताब दिल की तमन्ना, पास आइये के हम नहीं आएंगे बार- बार, शीशा हो या दिल हो, तू चंदा मैं चांदनी, ऐ दिल-ए – नादान सहित कई गीत सारिका ने धमाकेदार अंदाज में पेश किए। श्रोता फरमाइश करते रहें और वे गाती रहीं। दीपेश जैन के संगीत संयोजन में वाद्यवृन्द का भी उन्हें भरपूर साथ मिला। सारिका ने कहा कि लताजी गीतों का इतना बड़ा साम्राज्य छोड़ गई हैं कि हम जिंदगीभर गाते रहें फिर भी कम नहीं पड़ेंगे।

कालजयी गायिका, कायनात का स्वर, सुरों की देवी और न जाने कितने विशेषणों से नवाजी गई लता दीदी के गाए गीतों के जरिए उनकी यादों को ताजा करने का ये सिलसिला देर रात तक चलता रहा।

Facebook Comments

Related Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *