# दिल की बात #
छोटी सी थी पंछी प्यारी..
फुदकती थी पेड़ों की डाली
कभी यहां..कभी वहां..फिरती थी मैं क्यारी..क्यारी।
पर अब…
न हूं मैं अब पंछी प्यारी,
कैसे फुदकु पेड़ों की डाली.?
कभी यहां..कभी वहां.
नहीं फिरती मैं क्यारी- क्यारी।
अब छोटा सा है पिंजरा मेरा.. छोटी सी है मेरी डाली।
छोड़ दो मुझे..फिरने दो,
कभी यहां..कभी
वहां..क्यारी क्यारी।
रेणु कुमारी
{ कवयित्री रेणु कुमारी ईटीवी न्यूज़ 18 में हमारी सहकर्मी रही हैं। वे बहुत अच्छी ग्राफिक डिजाइनर हैं। कविता लेखन उनका शौक है। उनकी इस कविता को राजस्थान पत्रिका में भी जगह मिली है। }
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