इंदौर : दिल्ली सीमा पर चल रहे किसान आंदोलन में किसान मजदूर महासंघ भी सक्रिय भागीदारी निभा रहा है।महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवकुमार शर्मा कक्काजी ने रविवार को पत्रकार वार्ता के दौरान तीनों नए केंद्रीय कृषि कानूनों की जमकर खिलाफत की। उन्होंने इन कानूनों को किसानों के लिए डेथ वारंट करार दिया। कक्काजी ने केंद्र सरकार के साथ सुप्रीम कोर्ट की मंशा और गुणवत्ता पर भी सवाल खड़े कर दिए। कृषि कानूनों को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी को भी उन्होंने सरकार परस्त बताते हुए खारिज कर दिया।
कृषि कानून सरकारी मंडियों का अस्तित्व खत्म कर देंगे।
शिवकुमार शर्मा कक्काजी ने दावा किया कि तीनों नए कृषि कानून बड़े कारोबारियों के हक में और किसानों के हितों के खिलाफ हैं। उनका कहना था कि इन कृषि कानूनों से सरकारी मंडियों का अस्तित्व खत्म हो जाएगा और प्राइवेट मंडियों का बोलबाला हो जाएगा। सरकारी मंडियों में टैक्स देने से बचने के लिए व्यापारी वहां का रुख ही नहीं करेंगे। प्रायवेट मंडियों में उन्हें कोई टैक्स नहीं देना होगा, इसलिए वे वहीं किसानों की उपज खरीदने को प्राथमिकता देंगे। कक्काजी ने दावा किया कि नए कृषि कानून आने के बाद मप्र में 47 सरकारी मंडियां बन्द हो गई हैं। उनका कहना था कि नए कृषि कानूनों से जमाखोरी बढ़ जाएगी क्योंकि व्यापारियों पर संग्रहण को लेकर कोई बंधन नहीं है। वे अनाज को गोदामों में भर रखेंगे और भाव बढ़ने पर बेचकर मोटा मुनाफा कमाएंगे। इसका खामियाजा आम जनता को भी भुगतना पड़ेगा।
कक्काजी के मुताबिक कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग में किसान की जमीन लीज पर लेने के बाद उसपर कोई मॉल या गोदाम बनाया जाता है तो मॉर्गेज कानून के तहत कर्ज के एवज में वह जमीन भी गिरवी हो जाएगी। ऐसे में व्यापारी धोखा देकर भाग गया तो किसान अपनी जमीन से भी हाथ धो बैठेंगे। नए कृषि कानून में ऐसे मामलों में किसानों को कोई संरक्षण नहीं दिया गया है।
एमएसपी पर गारंटी कानून बने।
शिवकुमार शर्मा कक्काजी का कहना था कि सरकार को एमएसपी को कानूनी जामा पहनाना चाहिए। इससे किसानों को उपज का वाजिब दाम मिल सकेगा। उनका कहना था कि पीएम नरेंद्र मोदी ने 2011 में एमएसपी पर गारंटी कानून का समर्थन किया था। उस समय वे गुजरात के सीएम थे। कक्काजी का कहना था कि तिलहन की फसलों के सरकार उचित दाम दिलवा दें तो उसे उनका आयात नहीं करना पड़ेगा। 80 हजार करोड़ की विदेशी मुद्रा की बचत होगी और वो पैसा किसानों को मिलेगा। कक्काजी ने आयात- निर्यात नीति को किसानों के अनुकूल बनाने पर जोर दिया।
सुप्रीम कोर्ट की गुणवत्ता पर खड़े किए सवाल।
शिवकुमार शर्मा कक्काजी ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर किसानों से चर्चा के लिए गठित चार सदस्यीय समिति को सरकार समर्थक बताते हुए खारिज कर दिया। उनका कहना था कि कमेटी के एक सदस्य पहले ही उससे अलग हो चुके हैं। उन्हें कमेटी पर भरोसा नहीं है। कक्काजी ने सुप्रीम कोर्ट की साख पर ही सवाल खड़े करते हुए कहा कि कमेटी में लिए गए सदस्यों के नाम उसके पास कहां से आए ये उसे (सुप्रीम कोर्ट) को बताना चाहिए। हालांकि बाद में संभलते हुए उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का जो भी फैसला होगा, उसपर तमाम किसान संगठन मिलकर विचार करेंगे।
रास्ता हमने नहीं रोका, सरकार ने अवरोध खड़े किए हैं।
बीते 80 दिनों से दिल्ली सीमा पर रास्ता रोककर बैठने के सवाल पर कक्काजी का जवाब था कि रास्ते में अवरोध तो सरकार ने खड़े किए हैं। हमने दिल्ली के रामलीला मैदान पर आंदोलन की अनुमति दिल्ली पुलिस से मांगी थी, जो नहीं दी गई। सरकार रामलीला मैदान जाने की अनुमति दे दे तो हम रास्ते से हट जाएंगे।
राष्ट्र हमारे लिए भी सर्वोपरि।
कक्काजी ने 26 जनवरी को हुई हिंसा और लाल किले पर हुई घटना की निंदा करते हुए कहा कि वे लोग किसान आंदोलन का हिस्सा नहीं थे। कक्काजी के मुताबिक हमारे लिए भी राष्ट्र सर्वोपरि है। जिन विदेशी हस्तियों ने आंदोलन को समर्थन दिया उनके हम आभारी हैं लेकिन हमने साफ कर दिया है कि ये हमारा आपसी मामला है। इसे हम मिल- बैठकर सुलझा लेंगे।
सचिन तेंडुलकर पर साधा निशाना।
कक्काजी ने लता मंगेशकर व सचिन तेंडुलकर सहित अन्य हस्तियों के कथित रूप से सरकार के पक्ष में ट्वीट करने पर आपत्ति जताई। उनका कहना था कि सचिन तेंडुलकर ने कभी खेती नहीं की है। उन्हें इस बारे में नहीं बोलना चाहिए।