कॉलोनी में प्रशासन करने वाला था कार्रवाई।
इंदौर : न्याय नगर, कृष्णबाग कॉलोनी के रहवासियों को मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिल गई। कोर्ट ने प्रशासन और नगर निगम की कार्रवाई पर रोक लगाते हुए हाई कोर्ट से कहा है कि इस मामले में चल रही याचिकाओं का तीन माह में निराकरण कर दें। तब तक तोड़फोड़ की कोई कार्रवाई नहीं हो सकेगी। हाई कोर्ट में इस मामले को लेकर कई याचिकाएं लंबित हैं। जिला प्रशासन ने 26 जुलाई को न्याय नगर में कार्रवाई करते हुए 15 मकानों को ढहा दिया था।
स्टे वाले मकानों पर भी चला दिया था बुलडोजर।
आरोप लगाया गया है कि जो 15 मकान तोड़े गए थे, उनमें पांच मकान ऐसे भी थे जिन पर कोर्ट का स्टे था। बावजूद इसके, उन्हें तोड़ दिया गया। प्रशासन की कार्रवाई के दौरान जमकर हंगामा भी हुआ था। रहवासियों का आरोप था कि उन्हें घर खाली करने तक का समय नहीं दिया गया। भारी पुलिस बल की मौजूदगी में हुई कार्रवाई के दौरान एक महिला ने आत्महत्या का प्रयास भी किया था। रहवासियों के हंगामे और सुप्रीम कोर्ट में छह अगस्त को होने वाली सुनवाई को देखते हुए प्रशासन ने कार्रवाई बीच में रोक दी थी।
हाईकोर्ट में लंबित हैं याचिकाएं।
मंगलवार को इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई, जिसके बाद कृष्णबाग के रहवासियों को तीन माह की राहत मिल गई।
याचिकाकर्ताओं की ओर से पैरवी करने वाले एडवोकेट पद्मनाभ सक्सेना ने बताया कि सहकारिता विभाग की अनुमति के बाद न्याय नगर संस्था ने श्रीराम बिल्डर को जमीन बेची थी। बाद में सहकारिता विभाग ने अनुमति वापस ले ली। इस संबंध में कई याचिकाएं हाई कोर्ट में लंबित हैं।
प्रशासन ने कार्रवाई की तैयारी की थी।
इंदौर जिला प्रशासन ने बचे हुए मकानों के खिलाफ कार्रवाई करने की तैयारी कर ली थी। पुलिस बल और नगर निगम की टीम को भी अलर्ट रहने के लिए कहा था। न्याय नगर की जमीन को लेकर हाई कोर्ट में चल रही अवमानना याचिका में भी गुरुवार को सुनवाई होना थी,इसीलिए जिला प्रशासन अवमानना याचिका में सुनवाई से पहले कार्रवाई पूरी करना चाहता था। अब सुप्रीम कोर्ट से तीन माह के लिए रोक लग गई है तो प्रशासन ने प्रस्तावित कार्रवाई निरस्त कर दी।