पढ़े – लिखे लोग गांव में जाकर वैज्ञानिक तरीके से खेती करेंगे तो बड़ा बदलाव आ सकता है

  
Last Updated:  June 8, 2023 " 02:26 am"

Lअभ्यास मंडल के मंच पर धरातल और जल आंदोलन विषय पर पर्यावरणविद डॉ. क्षिप्रा माथुर का व्याख्यान।

कुएं,बावड़ी,नदी से हमने पानी लेना छोड़ दिया इसलिए टूट गया रिश्ता।

जल वितरण को लेकर विषमता सबसे अधिक।

75 वर्ष में आबादी 4 गुना बढ़ी ,लेकिन जल स्त्रोतों में हुई मामूली बढ़ोतरी।

इंदौर प्रेस क्लब परिसर में किया नीम और बिल्व पत्र के पौधे का रोपण।

इंदौर : भारत में केवल आर्थिक असमानताएं ही नही है, जल वितरण को लेकर भी असमानताएं हैं।एक तरफ ग्रामीण महिलाएं रोजाना 4-5 किलोमीटर दूर पैदल जाकर पानी ला रही हैं तो दूसरी ओर कुछ लोग स्वीमिंग पूल में नहा कर पानी की बर्बादी कर रहे हैं। हमारे परंपरागत जल स्रोत कुएं,बावड़ी, कुई, तालाब की हम लगातार उपेक्षा कर रहे हैं ,इसलिए वे दिनो दिन सूखते जा रहे हैं। ऐसे में जरूरी है कि जल के लिए लगातार आंदोलन चलाएं जाएं।

ये कहना है पर्यावरणविद और लेखिका डॉ.क्षिप्रा माथुर का।वे अभ्यास मंडल के मंच पर इंदौर प्रेस क्लब के सभागृह में मासिक व्याख्यान में मुख्य वक्ता बतौर बोल रही थी।

धरातल और जल आंदोलन विषय पर बोलते हुए डॉ.क्षिप्रा माथुर ने कहा कि हमारे जीवन की सबसे बुनियादी जरूरत पानी है। उसके बिना हम जी नही सकते, लेकिन उसी पानी के लिए आज चारों और हाहाकार मचा है।दक्षिण अफ्रीका के केप्टाउन जैसी स्थिति चेन्नई ही नही और भी कई शहरों में बनती जा रही है। गंगा, यमुना सहित कई बड़ी नदियां प्रदूषित हो रहीं हैं।

जल स्त्रोतों से टूट गया है रिश्ता।

डॉ. क्षिप्रा ने कहा कि पानी से हमारा रिश्ता टूटता जा रहा है। अब हम नदी, तालाब,झरने,सागर के पास नही जाते है ,उनकी कल कल की आवाज नहीं सुनते और उनसे रिश्ता नही रखते। पहले कुएं पर पानी लेने जाते थे तो उसकी पूजा करते थे, मंगल गीत गाते थे,।अगर कम पानी है तो उसकी गाद निकाल कर उसको गहरा करते थे।आज हमारे घरों में नल लग गए। हैंडपंप है,बोरिंग है इसलिए कुएं- बावडियो से हमारा कोई सरोकार नहीं रहा।

गांव वालों ने जीवित की 37 किमी लंबी नदी।

डॉ.क्षिप्रा माथुर ने जल आंदोलन से जुड़े कई अनुभव श्रोता बिरादरी के साथ साझा करते हुए कहा कि सोलापुर जिले के एक गांव में 10 हजार किसानों ने मिलकर 37 किलोमीटर नदी को जीवित किया। आज वहां 20 फीट पर पानी है। यह आंदोलन किसान और ग्रामीणों के सहयोग से संभव हुआ। ऐसे आंदोलन देश भर में चलाए जाए तो जल समस्या दूर हो सकती है। जल आंदोलन में समाज की भूमिका के साथ सरकार की भी भूमिका जरूरी है। सरकार ने जल शक्ति मंत्रालय,जल आयोगआदि तो बना लिए लेकिन वहां क्या हो रहा है इस पर किसी का ध्यान नही है।

जल स्त्रोत गांव के,शहर वाले उठा रहे लाभ।

हमारे समाज में बहुत बड़ा तबका पढ़ा- लिखा है, अगर वह गांवो में जाकर वैज्ञानिक तरीके से खेती करे तो समाज में बड़ा बदलाव आएगा। उत्पादन अधिक होगा। कृषि फायदे में होगी। दुर्भाग्य यह है कि सबसे अधिक जल स्रोत गांवो में है,लेकिन उसका लाभ शहरवासी अधिक उठा रहे है। गांव की महिलाओं को पानी के लिए कई किलोमीटर दूर जाना पड़ रहा है।

जल स्त्रोतों में हुई मामूली वृद्धि।

जब देश आजाद हुआ उस समय हमारे यहां 20 लाख जल स्रोत थे।75 वर्ष बाद इसकी संख्या में मात्र 4 लाख की वृद्धि हुई है, जबकि हमारी आबादी 4 गुना बढ़ी।यानी जल के प्रति हमारी उपेक्षा लगातार जारी है।

डॉ. माथुर ने कहा कि हमारे पुराणों,उपनिषदों में जल के महत्व को लेकर कई मंत्र,सूत्र,श्लोक, सूक्तियां आदि है। जल को सहेजने परंपरा है,लेकिन आज हमने उसे तिरोहित कर दिया। अब हमारे सरोकार कम हो गए। नदियों से जितना पानी नहीं सुखा उतना हमारा मन सुख गया है।।

जिनके पास रसूख है,संसाधन है,पैसा है,ताकत है उन्हे तो भरपूर पानी मिल रहा है,लेकिन जो इनसे वंचित हैं, उन्हें पानी के लिए दर- दर भटकना पड़ रहा है। इस मौके पर श्रोता बिरादरी द्वारा पूछे गए सवालों के संतोषजनक जवाब भी डॉ.शिप्रा माथुर ने दिए।

कार्यक्रम में प्रारंभ में डॉ. क्षिप्रा माथुर ने स्वप्निल व्यास,कुणाल भंवर,किशन सोमानी और ग्रीष्मा त्रिवेदी के सहयोग से इंदौर प्रेस क्लब परिसर में नीम और बिल्व पत्र के पौधे लगाए।इस मौके पर अध्यक्ष रामेश्वर गुप्ता, पदमश्री भालू मोढे विशेष रुप से मौजूद थे।

अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में पदमश्री भालू मोढे ने कहा कि दुर्भाग्य से हम नर्मदा के पीने योग्य पानी का इस्तेमाल वाहन धोने आदि में कर रहे जो गलत है। इंदौर के नागरिकों को यदि 24 घंटे पानी मिलेगा तो लोग पानी का अनावश्यक संग्रह नही करेगे।

अतिथि स्वागत मुरली खंडेलवाल, अजिंक्य डगावकर और अर्चना श्रीवास्तव ने किया। प्रतीक चिन्ह कीर्ति राणा और नैनी शुक्ला ने प्रदान किए। कार्यक्रम का संचालन मनीषा गौर ने किया। आभार वैशाली खरे ने माना। कार्यक्रम में इंदौर प्रेस क्लब अध्यक्ष अरविंद तिवारी, मदन राने,डॉ.ओ पी जोशी,ब्रजभूषण चतुर्वेदी,प्रवीण जोशी,अरविंद पोरवाल,नूर मोहम्मद कुरेशी,,शफी शफी शेख सहित बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

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