पीथमपुर इकोनॉमिक कॉरिडोर के खिलाफ किसान लामबंद

  
Last Updated:  July 8, 2023 " 12:32 am"

किसानों की जमीन कौड़ियों के मोल लेकर उद्योगों को देने का लगाया आरोप।

15 दिन में कॉरिडोर की योजना निरस्त नहीं किए जाने पर आंदोलन और विधानसभा चुनाव का बहिष्कार करने की दी चेतावनी।

इंदौर : पीथमपुर को क्षिप्रा के समीप एबी रोड से जोड़ने वाले इकोनॉमिक कॉरिडोर के विरोध में किसान लामबंद हो गए हैं। 16 गांवों के किसानों ने इकोनॉमिक कॉरिडोर के लिए जमीन अधिग्रहण के प्रयासों के खिलाफ आवाज बुलंद करते हुए ऐलान कर दिया है कि वे अपनी बेशकीमती जमीन कौड़ियों के मोल देने को तैयार नहीं हैं। उन्होंने जिला प्रशासन, आईडीए और एकेवीएन पर किसानों की सहमति संबंधी झूठी खबरें छपवाने का भी आरोप लगाया। आक्रोशित किसान आगामी विधानसभा चुनाव के बहिष्कार तक की बात कह रहे हैं।

विकसित प्लॉट नहीं लेंगे।

शुक्रवार को नैनोद, रिजलाय, सोनवाय, भैसलाय, धन्नड, शिवखेड़ा, बिसनावदा, नावदापंथ,सिंदौड़ा, सिंदौड़ी, श्रीराम तलावली, मोकलाय, डेहरी, बगोदा, कोरडियाबर्डी,नरलाय आदि गांवों के सैकड़ों किसान इंदौर प्रेस क्लब पहुंचे। उन्होंने शासन – प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी करते हुए कहा कि वे सरकारी एजेंसियों की शर्तों पर अपनी जमीन देने को तैयार नहीं हैं। सरकार उनकी जमीनें कौड़ियों के दाम लेकर उद्योगपतियों को देना चाहती है,जो उन्हें मंजूर नहीं है।

कॉरिडोर के अलावा दोनों तरफ 300 मीटर जमीन लेना चाहती है सरकार।

किसानों का कहना था कि पीथमपुर के लिए पहले ही तीन मार्ग बनें हुए हैं, ऐसे में नए इकोनॉमिक कॉरिडोर की बात समझ से परे है। उनका कहना था सरकारी एजेंसियां कॉरिडोर के अलावा दोनों तरफ तीन – तीन सौ मीटर जमीन भी लेना चाहती है ताकि उद्योगों को वहां बसाया जा सके। हमारा सवाल यही है कि खेती की उपजाऊ जमीन ही उद्योगों के लिए क्यों ली जा रही है। औद्योगिक क्षेत्र बसाना ही है तो बंजर जमीन देखकर वहां बसाया जाए।

जमीनों की कीमत के मुकाबले मुआवजा बेहद कम।

किसानों के अनुसार आईडीए व एकेवीएन जैसी सरकारी एजेंसियां उनकी बेशकीमती जमीनों का मुआवजा गाइड लाइन के हिसाब से देना चाहती हैं जबकि गाइडलाइन 2008 के बाद बढ़ी ही नहीं है। जमीनों का बाजार मूल्य कई गुना बढ़ चुका है। करोड़ों रूप कीमत की बेशकीमती जमीन हम किसान कौड़ियों के दाम दे देंगे तो परिवार कैसे पालेंगे और खेती नहीं करेंगे तो खाएंगे क्या..? किसानों का कहना था कि आईडीए जमीन के बदले 50 फीसदी विकसित प्लॉट देने की बात कह रहा है, वो फार्मूला भी हमें मंजूर नहीं है।

लैंड पूलिंग एक्ट को लेकर स्थिति स्पष्ट करें सरकार।

किसानों का कहना था कि लैंड पूलिंग एक्ट में प्रावधान किया गया है की 80 फीसदी किसानों की सहमति के बिना जमीन का अधिग्रहण नहीं होगा। ग्रामीण क्षेत्रों में जमीन के मूल्य का चार गुना मुआवजा दिया जाएगा पर सरकार इन प्रावधानों का भी पालन नहीं कर रही है। पिछले दिनों मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने देवास में लैंड पूलिंग एक्ट खत्म करने की घोषणा की थी। उसे अमलीजामा कब पहनाया जाएगा, इसे स्पष्ट किया जाना चाहिए।

झूठी खबरें छपवाना बंद करें प्रशासन।

किसानों का आरोप है कि इंदौर जिला प्रशासन और सरकारी एजेंसियां, इकोनॉमिक कॉरिडोर को लेकर किसानों के दावे – आपत्तियों का निराकरण करने और किसानों की सहमति संबंधी झूठी खबरें मीडिया में प्रकाशित करवा रहे हैं। जबकि हमारे दावे – आपत्तियों को लेकर आजतक कोई सुनवाई नहीं हुई है। न ही हमने जमीन अधिग्रहण की कोई सहमति दी है।

मास्टर प्लान को लेकर भी जताई आपत्ति।

किसानों का यह भी आरोप था कि सरकार शहर के मास्टर प्लान को गावों पर भी लागू करना चाहती है। खेती की जमीन को ग्रीन बेल्ट की बताए जाने से किसानों को भारी नुकसान सहना पड़ेगा। गावों का मास्टर प्लान उनकी जरूरतों के अनुरूप बनाया जाना चाहिए ताकि उनका समग्र विकास हो और गांवों से शहर की ओर पलायन रुक सकें।

15 दिन में निरस्त करें योजना अन्यथा करेंगे चुनाव का बहिष्कार।

किसानों ने प्रदेश सरकार को आगाह किया है कि वह 15 दिन में इकोनॉमिक कॉरिडोर की योजना को निरस्त करें अन्यथा वे सामूहिक रूप से धरना – प्रदर्शन करने के साथ आगामी विधानसभा चुनाव का बहिष्कार करेंगे।

Facebook Comments

Related Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *