इंदौर : पिछड़ा वर्ग आरक्षण को लेकर कांग्रेस द्वारा अदालत का दरवाजा खटखटाए जाने से प्रदेश सरकार को त्रि स्तरीय पंचायत चुनाव निरस्त करने पड़े। क्योंकि बिना पिछड़ा वर्ग की भागीदारी के चुनाव नहीं करवाए जा सकते थे। अगर कांग्रेस पिछड़ा वर्ग विरोधी भूमिका नहीं अपनाती तो ओबीसी की भागीदारी के साथ पंचायत चुनाव सम्पन्न हो जाते और कोई संकट भी खड़ा नही होता। पिछड़ा वर्ग को हुए नुकसान के लिए कांग्रेस और उसके नेता जिम्मेदार हैं। इसके लिए कांग्रेस को ओबीसी वर्ग से माफी मांगनी चाहिए। बीजेपी ने सदैव पिछड़ा वर्ग सहित सभी वर्गों के हितों की रक्षा की है।
ये कहना है सांसद शंकर लालवानी, बीजेपी के जिलाध्यक्ष राजेश सोनकर और पिछड़ा वर्ग मोर्चा के जिलाध्यक्ष मुकेश पटेल का। वे रविवार को पत्रकार वार्ता के जरिए अपनी बात रख रहे थे। खाती समाज के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष सुभाष चौधरी, धाकड़ समाज के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष उमानारायण पटेल और जाट समाज के नेता गोपालसिंह चौधरी भी इस दौरान मौजूद रहे।
मप्र की आधी आबादी के साथ कांग्रेस ने किया छलावा।
सांसद लालवानी और जिलाध्यक्ष राजेश सोनकर ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने प्रदेश की आधी आबादी के साथ धोखा किया है। पूर्व की कमलनाथ सरकार ने विधानसभा में गलत जानकारी दी कि प्रदेश में ओबीसी की आबादी 27 फीसदी है, जबकि हकीकत में ओबीसी की आबादी 51 फीसदी है। कांग्रेस के इसी झूठ के कारण पिछड़ा वर्ग को नौकरियों में भी आरक्षण का पूरा लाभ नहीं मिल सका।
बीजेपी ने दिलाया पिछड़ों को हक़।
बीजेपी नेताओं ने कहा कि बीजेपी ने हमेशा पिछड़ा वर्ग का ध्यान रखा। केंद्र की मोदी सरकार ने पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा दिया, वहीं मप्र में शिवराज सिंह सरकार ने पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग का गठन कर पिछड़ा वर्ग के हित में कई योजनाएं चलाई। मोदी सरकार ने ही नीट एक्जाम में पिछड़ा वर्ग के विद्यार्थियों को 27 फीसदी आरक्षण देने का निर्णय लिया, जिसका लाभ उन्हें मिलेगा।