प्राजक्ता की सुरीली आवाज ने जीता श्रोताओं का दिल

  
Last Updated:  December 7, 2019 " 04:16 pm"

इंदौर : गुलाबी ठंड से ठिठुरन पैदा करती सर्द हवा के बीच शनिवार शाम सुखलिया स्थित माथुर सभागार में गूंजती सुरमयी स्वर लहरियां श्रोताओं के कानों में मिठास घोल रही थी। मुम्बई से आयी 14 वर्षीय स्वर किशोरी प्राजक्ता सातरडेकर की आवाज में कुछ ऐसा जादू था कि रसिक श्रोताओं का दिल बेकरार हुए जा रहा था। मौका था संगीत कला सन्देश और स्टार फैंस क्लब की मेजबानी में सजाई गई महफ़िल का। इसे नाम दिया गया था ‘बेकरार दिल, तू गाए जा’ । छोटी सी उम्र में भी प्राजक्ता की आवाज में वो कशिश है जो श्रोताओं को सुकून का अहसास कराती है तो झूमने पर भी विवश करती है। ये दिल और उनकी निगाहों के साये, मैं तुलसी तेरे आंगन की, यारा सिली- सिली, मैं पिया तोरी तू माने या न माने, ये कहां आ गए हम, राम तेरी गंगा मैली हो गई, सलामें इश्क़ जैसे सदाबहार गीतों को उतनी ही शिद्दत के साथ पेश कर प्राजक्ता ने समां बांध दिया। प्राजक्ता का साथ निभाने के लिए मौजूद थे विवेक वाघोलिकर, गिरीश चौरसिया और वैभव तिवारी। योगेश पाठक ने की बोर्ड, नितेश शेट्टी व स्वप्निल कौशल ने गिटार, सचिन भोसले ने तबला, रवि खेड़े ने ढोलक, विशाल पाठक ने बांसुरी और कपिल राठौर ने ऑक्टोपड पर पूरे तालमेल के साथ संगत कर कार्यक्रम को ऊंचाई प्रदान की। संगीत संयोजन नितेश भोला का था और गीतों को लड़ियों में पिरोकर कारवाँ बनाने अहम जिम्मेदारी निभाई संस्कृतिकर्मी संजय पटेल ने।
प्रारम्भ में दिलीप कवठेकर, चंदुराव शिंदे, प्रेमचंद गोयल, दिनेश मित्तल, प्रयोग गर्ग, गोविंद सिंघल और सुरेश काबरा ने दीप प्रज्ज्वलन किया। अतिथियों और मेहमान कलाकारों का स्वागत अभिषेक गावड़े, संजीव गवते और हेमंत अग्रवाल ने किया। आभार प्रदर्शन के साथ यह सुरीला कार्यक्रम अपनी मंजिल तक पहुंचा।

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