प्रेरणादायी धारावाहिक अनुपमा

  
Last Updated:  October 4, 2021 " 12:29 am"

मनोरंजन भी हमारे लिए प्रेरणादायी हो सकता है, यह अहसास शायद स्टार प्लस के चर्चित धारावाहिक अनुपमा को देखने के बाद होता है। कैसे एक कुशल गृहिणी, सहनशीलता की मूरत, पतिव्रता स्त्री एक नई सोच के साथ उड़ने का आगाज करती है। अतीत को भूलकर आगे बढ़ने का निर्णय लेती है। पति द्वारा सदैव अपमानित होने एवं तलाक के बावजूद भी सदैव पति को सहयोग करने को तत्पर रहती है। धारावाहिक अनुपमा में अनुपमा को केवल परिवार के प्रति समर्पण और सेवाभाव दिखाया गया है। वह स्वयं के अस्तित्व को कोई महत्व नहीं देती परंतु परिवार में सम्मान के लिए उपेक्षा का शिकार रहती है। अनुपमा अपनी बहुओं के मनोभावों को भलीभाँति समझती है। वह उन्हें सदैव आगे बढ़ने और अपनी पहचान बनाने के लिए प्रेरित करती है। रसोईघर की जिम्मेदारियों को बहुओं के होने के बावजूद भी स्वयं खुशी से निभाती है। वह पति और काव्या के रिश्ते को भी सहजता से अपनाती है। अनुपमा ने ज्यादा शिक्षा प्राप्त नहीं की, यहीं कारण है कि उसके बच्चे और पति उसे पर्याप्त सम्मान और आदर नहीं देते। गुणवान होते हुए भी पारिवारिक जिम्मेदारियों के चलते वह अपनी नौकरी खो देती है, परंतु निराश होकर बैठना उसे पसंद नहीं है। वह फिर नए सिरे से प्रारम्भ करती है।
कला जीवन का एक महत्वपूर्ण अंग है जो जीवन की विषम परिस्थितियों में इंसान का साथ नहीं छोडता। इसी कला में निपुणता के कारण अनुपमा ने स्थितियों के अनुरूप स्वयं के लिए निर्णय लेना शुरू किया है। अब वह पति, सास-ससुर और बच्चों की कठपुतली नहीं है। तलाक के निर्णय से लेकर अपनी ऊँची उड़ान तक के निर्णय अब वह स्वयं लेती है। सबकी खुशियों के साथ अब उसने खुद की खुशियों को भी प्राथमिकता देना तय किया है। जब उसे अपने पति और काव्या के बीच गलत सम्बन्धों का ज्ञान होता है तभी से वह स्वहित में तलाक का मजबूत निर्णय लेती है। ससुराल पक्ष और बच्चों द्वारा उसके तलाक के फैसले को गलत ठहराया जाता है। उसके लिए भी उसे अनवरत संघर्षरत रहना पड़ता है, पर वह अडिग रहती है। उसका अपने पति के प्रति अनन्य प्रेम था पर जब वह सच जानती है तब उस सच को स्वीकार करके उसके अनुरूप अपनी जिंदगी जीने का निर्णय लेती है। पति के बारे में कड़वा सच जानने पर वह अब किसी प्रकार की दासता स्वीकार नहीं करती, पर बाकी सभी रिश्तों का ज्यों का त्यों मान रखती है। वह अपने बेटे-बहुओं, बेटी और परिवार की खुशी में सदैव उदरवादी सोच को अपनाती है और उन्हें संकीर्ण सोच से दूर रहने को प्रेरित करती है।
प्रत्येक परिस्थितियों का सामना भी अनुपमा को साहस से करते दिखलाया गया है। जब उसे समाजहित में कुछ नया करने का मौका मिलता है तब वह परिवार के निर्णय के विरुद्ध जाकर भी अपने लक्ष्य को अंजाम देती है। अनुपमा मन में किसी प्रकार का बोझ नहीं रखती। वह सत्य और निर्भीक संवाद को प्राथमिकता देती है। नियति के किसी भी निर्णय के लिए वह किसी को दोष नहीं देती बल्कि सदैव सकारात्मकता से सामना करती है। वह सदैव यह मानती है कि कोई और कुछ नहीं कर सकता, हमें स्वयं की उन्नति के लिए अविराम श्रम करना होगा। वह कभी भी किसी से कोई तुलना नहीं करती। अपनी परिस्थितियों के अनुरूप यथार्थ का सामना करती है। आज की अनुपमा उत्कंठा, घुटन, संत्रास और अंतर्द्वंद से बाहर निकल चुकी है। अब वह अपने सम्मान की रक्षा के लिए संघर्षरत है। अपनी जिंदगी को अपनी शर्तों पर जीने का जुनून रखती है। आशावान और मजबूती से अपनी बात पर कायम रहना यह अनुपमा की विशेषता है। यह धारावाहिक अनुपमा के माध्यम से हर विषम परिस्थिति में स्थिर बुद्धि के साथ कार्य करने को प्रेरित करता है। खुद के लिए कदम खुद ही उठाने होंगे यह शिक्षा अनुपमा के चरित्र से मिलती है।

डॉ. रीना रवि मालपानी (कवयित्री एवं लेखिका)

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