इंदौर : बांग्लादेश से युवतियों को काम दिलाने के बहाने अवैध रूप से भारत में लाकर उनसे देह व्यापार कराने वाले गिरोह का पर्दाफाश करते हुए इंदौर पुलिस ने उसके सरगना सहित 5 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। पकड़े गए आरोपियों में सरगना के सहयोगी और स्थानीय एजेंट शामिल हैं। गिरोह का सरगना मूलतः बांग्लादेशी होकर बीते कई वर्षों से नाम बदलकर भारत में रह रहा था। अब तक वह हजारों बांग्लादेशी युवतियों को भारत में प्रवेश करवाकर देह व्यापार के धंधे में धकेल चुका है।
गैंग की 04 महिला सदस्य जो बांग्लादेशी युवतियो को देह व्यापार के लिये विवश करती थीं, उन्हें भी गिरफ्तार किया गया है।
एसपी पूर्व इंदौर, आशुतोष बागरी ने बुधवार को प्रेस वार्ता के जरिए ये खुलासा किया। सीएसपी जयवीरसिंह भदौरिया और विजयनगर थाना प्रभारी तहजीब काजी और अन्य पुलिस अधिकारी भी इस दौरान मौजूद रहे।
विजय दत्ता और उसके साथियों के नाम आ रहे थे सामने।
एसपी पूर्व बागरी ने बताया कि इंदौर पुलिस द्वारा बीते वर्ष दिनांक 25.9.2020 को विजयनगर , लसुडिया और एम आईजी थाना क्षेत्रों में दबिश देकर कुल 21 युवतियो को देह व्यापार से मुक्त कराया था। इन्हें बाग्लादेश से अवैध रुप से सीमा पार करवाकर भारत लाकर देह व्यापार में धकेला गया था। इन मामलों में आरोपी गुजरात – सूरत के प्रमुख एजेन्ट मुनिर अहमद , टीटू बंगाली , आरोज खान , मीना चौहान , ज्योति , पलक ,शिवनारायण , सहजल उर्फ राकेश सितलानी , अमरिन , अफरीन , सोनाली , परवेज अंसारी सहित कुल 33 आरोपियों को बन्दी बनाया गया था।
उक्त प्रकरण के मुख्य आरोपी विजय दत्ता, बबलु मुम्बई एवं उज्जवल ठाकुर की तलाश की जा रही थी। पुलिस ने दिनांक 15.11.2021 को विजयनगर स्थित एक होटल पर दबिश देकर 6 युवक व 5 युवतियों को देह व्यापार में गिरफ्तार किया था, जिनसे पूछताछ पर जानकारी मिली की जेल में बन्द एजेन्टों के साथी प्रदीप जोशी और सोनू ठाकुर, मुम्बई के विजय दत्ता और बबलु, इंदौर के उज्जवल ठाकुर , दिलीप बाबा , प्रमोद पाटीदार , नेहा , रजनी के साथ मिलकर बाग्लादेशी युवतियों से देह व्यापार करवा रहे हैं। उपरोक्त दोनों मामलों में विजय दत्ता, उज्ज्वल ठाकुर एवं बबलु का नाम आ रहा था।
किसी ने नहीं देखा था गिरोह के सरगना दत्ता उर्फ मामून को।
एसपी बागरी के मुताबिक उक्त गैंग का मुखिया विजय दत्ता उर्फ मामून बहुत शातिर होकर उसे किसी भी पीडित युवती या एजेन्ट द्वारा नहीं देखा गया था इसलिए इसकी गिरफ्तारी पर 20,000 रुपए ईनाम भी घोषित किया गया था ।
विजय दत्ता का सही नाम, फोटो और पता स्पष्ट रुप से पुलिस के पास कभी सामने नही आया और ना ही कोई लडकी बताने की स्थिती में थी, क्योंकि आज तक किसी एजेन्ट ने प्रत्यक्ष रुप से उसे नही देखा था परन्तु हर बांग्लादेशी लडकी उसी का नाम लेती थी। उसको पकडना पुलिस के लिए बहुत बडा चैलेन्ज था।
25 सालों से फर्जी दस्तावेज बनाकर रह रहा था भारत में।
एसपी पूर्व बागरी के अनुसार गैंग के मुख्य आरोपियों की गिरफ्तारी हेतु एक टीम तैयार की गई जिसमें मराठी व बंगाली बोलने और समझने वाले आरक्षक, सायबर एक्सपर्ट एवं महिला उपनिरीक्षक शामिल थे। इस टीम को मुम्बई के नालासोपारा भेजा गया। टीम वहाँ करीब एक सप्ताह किराए का मकान लेकर जानकारी इकट्ठा करती रही। उन्होंने वहां स्थानीय रहवासियों से परिचय बढाया और कुछ सुराग हासिल किए। उनसे मिली जानकारी के आधार पर दो और टीमें गठित कर सुराग जुटाने में लगाई गई।
पुलिस टीमों द्वारा जानकारी एकत्रित की गई कि विजय दत्ता उर्फ मामून हमेशा पर्दे के पीछे रहकर काम करता था। उसकी फोटो कभी सार्वजनिक नही हुई थी। 25 सालो से वह भारत में फर्जी दस्तावेज के जरिए आधार कार्ड , पेन कार्ड , पासपोर्ट बनाकर रह रहा था। भारत में वह नालासोपारा, मुम्बई में रहता था।
बांग्लादेश में रहनेवाली पत्नी, लड़कियों को भेजती थी भारत।
एसपी बागरी के अनुसार बाग्लादेश में उसकी पत्नी ज्योत्सना खातुन है। उसके दो बच्चे हैं,शबाना एवं दीपा। सरगना विजय, किशोर अवस्था में बाग्लादेश से भारत पं.बंगाल में कृष्ण घाट नदिया आया था और खेतो में मजदूरी का काम करता था। इसके बाद यह मुम्बई आ गया और होटल में काम करने लगा इसने भारत में भी एक महिला से शादी की जिससे एक बच्चा है। बाग्लादेशी पत्नी महिला कल्याण के लिए काम करने वाले NGO से जुडी है। वह मजबूर और बेसहारा लड़कियों को भारत में घरेलू काम दिलाने के नाम पर बार्डर पार कराकर भारत भेजती है। बांग्लादेश के दूरस्थ क्षेत्र में रहने वाली कम पढी-लिखी लडकियां उसके झासे में आ जाती थीं और वैश्यावृत्ति के धंधे में फंस जाती थीं।
हजारों बांग्लादेशी लड़कियों का जीवन किया बर्बाद।
आरोपी विजय ने अपनी गैंग के माध्यम से अब तक हजारों बांग्लादेशी लड़कियों को पिछले 10 साल में देह व्यापार के धंधे में धकेला है। म.प्र के अलावा देश के अन्य राज्यों में भी उसने अपने एजेंट बना रखे हैं। म.प्र में इंदौर, भोपाल , जबलपुर , खण्डवा , राजगढ , पीथमपुर , आदि शहरों में इसके एजेन्ट और नेटवर्क फैला हुआ है।
ये हैं गिरोह से जुड़े एजेंट।
इंदौर में गिरोह के मुख्य एजेन्ट सहजल , उज्जवल , प्रमोद बाबा , सत्तार , दिलीप बाबा , ज्योति , पलक आदि बताए गए हैं, जो बांग्लादेशी युवतियो से वैश्यावृत्ति करवाते थे। निमाड क्षैत्र में प्रमोद पाटीदार प्रमुख एजेन्ट बताया गया है। म.प्र के अलावा मुम्बई , पुणे , पालघर, सूरत ,अहमदाबाद , चैन्नई , बैगलोर , हैदराबाद , जयपुर , उदयपुर आदि शहरो में हजारो की संख्या में गिरोह के सरगना विजय दत्ता उर्फ मामून द्वारा लडकियाँ सप्लाय की गई हैं।
लड़कियों को दी जाती थी ड्रग्स।
इन लडकियों को दिन में 6 से 7 ग्राहक से संबंध बनाने के लिए विवश किया जाता था। इनकी क्षमता बढाने के लिए ड्रग्स की लत भी लगाई जाती थी और मना करने पर एजेंटों द्वारा प्रताडित किया जाता था। पीड़ित लड़कियां पुलिस के पास अपनी शिकायत लेकर नही आती , क्योंकि एजेन्टो द्वारा उन्हें डराया जाता है कि तुम यदि पुलिस के पास गई तो जेल भेज दिया जाएगा, तुम बांग्लादेशी हो तुम्हारे पास वैध दस्तावेज नही है। इसलिये ये लड़कियां चुपचाप शोषण सहन करती है। इन्हे काम के बदले बमुश्किल 500-600 रु मिलते थे। बाकी सारा पैसा दलाल रख लेते थे। कई बार पैसे की जरुरत होने पर लड़कियों द्वारा इन्हीं दलालों से पैसा लिया जाता है, जिसपर 50 प्रतिशत तक मासिक ब्याज लगाते थे। लड़कियों को जो भी पैसा मिलता है वह पैसा इन्ही के पास चला जाता है।
हवाला के जरिए भेजता था रुपए।
गिरोह का मुख्य सरगना (विजय दत्ता उर्फ मामुन) बीच बीच में बाग्लादेश जाता रहता था। वह हुण्डी एवं हवाला के माध्यम से पैसे भेजता था। बांग्लादेश बार्डर एवं मुम्बई , सूरत , अहमदाबाद आदि बडे शहरो में हुण्डी एवं हवाला के जो कारोबारी सक्रिय हैं, उनके बारे में पूछताछ की जा रही है।
बाणगंगा क्षेत्र से पकड़ा गया सरगना।
सरगना विजय उर्फ मामून की पत्नी ज्योत्सना खातुन ने बांग्लादेशी पासपोर्ट बनवा रखा है। वह वीजा लेकर मुम्बई आती रहती है। पुलिस टीम द्वारा मुम्बई में 07 दिन रहकर सरगना की रैकी की गई। पुलिस टीम द्वारा स्थानीय लोगो एवं भाषा का उपयोग कर पतारसी की जा रही थी इसे टीम के मराठी भाषा में बात करने से सरगना को लगा की मुम्बई पुलिस उसे तलाश कर रही है तो वह अपने सहयोगियो के साथ इंदौर आ गया।इस पर पुलिस अधीक्षक पूर्व आशुतोष बागरी द्वारा आई पी एस एम यु रहमान के नेतृत्व में टीम गठित कर घेराबन्दी कराई गयी, जिसमें विजय दत्ता की सपूर्ण गैग बाणगंगा क्षेत्र में छुपी होने की सूचना मिली। पुलिस टीम द्वारा दबिश देने पर विजय उर्फ मामून व उसके साथियों ने दीवार और छत से कूदकर भागने का प्रयास किया पर पुलिस ने उन्हें धर- दबोचा।
पूछताछ में गिरोह के सरगना ने अपना नाम विजय पिता विमल दत्ता निवासी नदिया पं.बंगाल होना बताया परन्तु कडाई से पूछताछ करने पर बताया कि उसका असली नाम मामुन पिता वफज्जुल हुसैन है जो पाबना जिला रसई बांग्लादेश का रहने वाला है। फर्जी दस्तावेजो के आधार पर नाला सुपारा मुम्बई में रहता है। उसके साथ उसकी महिला सहयोगी जो बाग्लादेश से लडकियों को लाकर उन्हे देह व्यापार हेतु विवश करने वाली आकीजा पिता माणिक शेख निवासी बाग्लादेश , दीपा शेख पिता तोसिफ मुल्ला शेख निवासी बांग्लादेश को गिरफ्तार किया गया। आरोपी विजय उर्फ मामुन के साथ रहने वाले गैंग के एजेन्ट उज्जवल पिता अवधेश प्रसाद निवासी कालिन्दी गोल्ड बाणगंगा इंदौर, एनजीओ चलाने वाली उसकी पत्नी तथा देह व्यापार में उसका साथ देने वाली नेहा उर्फ निशा तथा उसकी साथी रजनी निवासी एमआईजी, इंदौर में बाग्लादेशी लडकियो को देह व्यापार हेतु इधर उधर भेजने वाले दिलीप बाबा पिता द्वारका दास सावलानी निवासी स्कीम न. 78 लसुडिया इंदौर को भी गिरफ्तार किया गया। विजय उर्फ मामुन दत्ता का एजेन्ट जो बाग्लादेश की युवतियों को निमाड़ , धार , पीथमपुर भेजता था उसे भी गिरफ्तार किया गया। आरोपी बबलू उर्फ पलाश सरकार निवासी नालासोपारा मुम्बई जो अपनी पत्नी के सहयोग से बाग्लादेश से युवतियाँ लाकर देह व्यापार करवाता है। को भी गिरफ्तार किया गया है। आरोपियों को रिमांड पर लेकर आगे पूछताछ की बात भी पुलिस ने कही है।