नई दिल्ली : केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने शनिवार को एबीजी शिपयार्ड कम्पनी और उसके निदेशकों के खिलाफ बैंकों के साथ 22,842 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने के आरोप में मामला दर्ज किया। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) ने एबीजी शिपयार्ड के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। एसबीआई की शिकायत पर कार्रवाई करते हुए सीबीआई ने एबीजी शिपयार्ड के निदेशक ऋषि अग्रवाल और संथानम मुथुस्वामी को आरोपी के रूप में नामजद करते हुए प्राथमिकी दर्ज की। इस मामले को नीरव मोदी मामले से भी बड़ा बताया जा रहा है।
एसबीआई सहित कई बैंकों से हजारों करोड़ का लोन लिया।
कंपनी ने अपने निदेशकों के माध्यम से एसबीआई से 2,925 करोड़ रुपये का कर्ज लिया, लेकिन चुकाया नहीं। उन्होंने कई और बैंकों से भी कर्ज लिया पर कभी भुगतान नहीं किया।
सूत्रों के मुताबिक, एबीजी शिपयार्ड ने इंडियन ओवरसीज बैंक से 1,228 करोड़ रुपये, पंजाब नेशनल बैंक से 1,244 करोड़ रुपये, बैंक ऑफ बड़ौदा से 1,614 करोड़ रुपये, आईसीआईसीआई बैंक से 7,089 करोड़ रुपये और आईडीबीआई बैंक से 3,634 करोड़ रुपये का कर्ज लिया, मगर चुकाया नहीं। बैंकों ने आंतरिक जांच शुरू की तो पाया कि कंपनी अलग-अलग संस्थाओं को धन भेजकर बैंकों के संघ को धोखा दे रही थी।
सीबीआई ने इस मामले में प्राथमिकी दर्ज की है। मामले की गंभीरता को देखते हुए इसकी जांच के लिए अधिकारियों की एक टीम बनाकर सीबीआई ने एबीजी शिपयार्ड के ठिकानों पर छापामार कार्रवाई शुरू कर दी है। कई दस्तावेज भी जांच के लिए कब्जे में लिए गए हैं। सीबीआई, एबीजी शिपयार्ड के निदेशकों को भी जांच में शामिल होने के लिए बुलाकर उनके बयान दर्ज करेगी।एबीजी ग्रुप के निदेशकों की गिरफ्तारी की भी संभावना है।
एबीजी शिपयार्ड, एबीजी समूह की कंपनी से जुड़ा है, जो जहाज की मरम्मत और निर्माण के कारोबार में है। इसके शिपयार्ड गुजरात में हैं।