बलाई समाज के वोटों में सेंध लगाने के लिए सांवेर से विक्रम गेहलोत को दिया टिकट

  
Last Updated:  October 3, 2020 " 04:37 pm"

*प्रदीप जोशी*

इंदौर : विधानसभा उपचुनाव में बहुजन समाज पार्टी भी खुल कर मैदान में आ गई है। पार्टी प्रमुख मायावती ने शुक्रवार को प्रत्याशियों की दूसरी लिस्ट जारी कर दी। दस प्रत्याशियों वाली इस सूची में मालवा क्षेत्र की चार सीटें भी शामिल हैं। इनमे सबसे अहम नाम पूर्व तहसीलदार विक्रम सिंह गेहलोत का है। गेहलोत को बसपा ने सांवेर विधानसभा क्षेत्र से प्रत्याशी घोषित किया है। भ्रष्टाचार के दोषी रहे गेहलोत को बलाई समाज के वोटों के भरोसे मैदान में उतारा गया है। सिर्फ एक सामाजिक आधार पर दिए गए इस टिकट का बसपा को क्या फायदा होने वाला है यह तो चुनाव परिणाम के बाद पता लगेगा। पर गेहलोत की मौजूदगी प्रेमचंद गुड्डू और तुलसी सिलावट दोनों के समीकरण बिगाड़ सकती है।

बलाई महासंघ ने की थी टिकट की मांग

सांवेर विधानसभा क्षेत्र में बलाई समाज के मतदाताओं की तादाद फैसला बदलने जैसी है। यहीं कारण है कि हर बार चुनाव में इस समाज का टिकट का दावा बना रहता है। कभी समाज से ताल्लुक रखने वाले राधाकिशन मालवीय सांवेर का प्रतिनिधित्व करते थे। उनके बाद कांग्रेस से तुलसी सिलावट झंडाबरदारी करते रहे। वही भाजपा से प्रकाश सोनकर स्थाई उम्मीदवार रहे। यह दोनों परस्पर प्रतिद्वंदी खटिक समाज से आते है। यही कारण रहा कि हर चुनाव में बलाई समाज अपना दावा रखता आ रहा है। इस बार भी समाज के महासंघ ने दोनों दलों से टिकट की मांग की थी। बात नहीं बनी तो महासंघ ने बसपा के पाले में जाने का फैसला कर लिया। बसपा को मालवा निमाड़ में पैर जमाने का मौका चाहिए लिहाजा पार्टी ने भी महासंघ की मांग को तत्काल मंजूर कर लिया।

सूबे की चार सीटों पर उतारे प्रत्याशी

बसपा ने सांवेर सहित चार सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे हैं। इनमे दो सीट सामान्य और दो अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। सांवेर में विक्रम सिंह गेहलोत के साथ खंडवा जिले की मांधाता सीट पर जितेंद्र वाशिन्दे, मंदसौर जिले की सुवासरा सीट पर शंकरलाल चौहान और आगर सीट से गजेंद्र बंजारिया को प्रत्याशी घोषित किया गया है।

भ्रष्टाचार के आरोप में सुनाई गई थी सजा…

सांवेर सीट से प्रत्याशी बनाए गए विक्रम सिंह गेहलोत भ्रष्टाचार के दोषी ठहराए जा चुके है। इंदौर में तहसीलदार रहे गेहलोत के खिलाफ लोकायुक्त पुलिस ने 30 मार्च, 2004 को कार्रवाई की थी। तब गेहलोत धार जिले के गंधवानी में तहसीलदार के रूप में तैनात थे। छापे में अनुपातहीन संपत्ति उजागर हुई थी। विशेष लोकायुक्त अदालत में प्रकरण चलता रहा। इस प्रकरण के चलते हुए उन्हें शासन ने एसडीएम के रूप में प्रमोट कर दिया। पर चार्जशीट दायर होने के बाद निलंबित कर दिया गया। बाद में विशेष न्यायालय ने गेहलोत को तीन साल कैद और एक लाख रुपए जुर्माने की सजा सुनाई थी। हालांकि बाद में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें बेदाग करार दिया था।

बसपा का पांच प्रतिशत वोटों पर है कब्जा
 
2018 के विधानसभा चुनाव परिणाम पर नजर डाले तो बसपा को कुल मतदान का 5 प्रतिशत वोट हांसिल हुआ था। प्रदेश में 2 सीटों के साथ बसपा तीसरे और सपा 1 सीट के साथ दुसरे और 4 सीट निर्दलियों के खाते में आई थी। वोटों के प्रतिशत पर नजर डाले तो बसपा को मालवा निमाड़ क्षेत्र में कोई खास दखल तो नहीं फिर भी प्रदेश में उसका 5 प्रतिशत वोटों पर अधिकार है। यह 2013 के मुकाबले एक प्रतिशत कम हुआ है। इससे उलट गोंडवाना गणतंत्र पार्टी का हाल रहा जिसे कोई सीट नहीं मिली मगर वोट प्रतिशत बढ़ गया।

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