महाकाल लोक की तर्ज पर अन्नपूर्णा लोक के नाम से जाना जाएगा नव श्रृंगारित मंदिर परिक्षेत्र

  
Last Updated:  February 4, 2023 " 12:49 am"

नूतन अन्नपूर्णा मंदिर में विधिविधान के साथ संपन्न हुआ प्राण प्रतिष्ठा समारोह।

स्वामी अवधेशानंद जी के सान्निध्य में की गई मां अन्नपूर्णा, मां कालिका और मां सरस्वती की प्रतिमाओं की प्राण प्रतिष्ठा।

मंदिर निर्माण में सहयोग देने वालों का किया गया सम्मान।

मंदिर के इतिहास पर केंद्रित स्मारिका का किया गया विमोचन।

स्वामी अवधेशानंद जी ने दिए प्रेरक आशीर्वचन।

इंदौर की स्वच्छता, संस्कार, दान की प्रवृत्ति और उत्सव धर्मिता की सराहना की।

इंदौर : शहर के पश्चिम क्षेत्र स्थित नवश्रृंगारित अन्नपूर्णा मंदिर पर शुक्रवार को दिनभऱ श्रद्धा और आस्था का समंदर हिलोरे भरता रहा। सुबह अभिजीत मुहूर्त में जूना पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि ने आश्रम के महामंडलेश्वर स्वामी विश्वेश्वरानंद गिरि के सानिध्य में मां अन्नपूर्णा, मां कालिका एवं मां सरस्वती की प्रतिमाओं की प्राण प्रतिष्ठा की तो दोपहर में उन्होंने नूतन मंदिर को मालवांचल के भक्तों को समर्पित किया। उन्होंने स्थापित देवताओं के पूजन के बाद शिखर कलश की प्रतिष्ठा की विधि भी संपन्न की। इसके बाद नए मंदिर में ध्वजा फहराने लगी। संध्या को मंदिर परिसर में आयोजित धर्मसभा में स्वामी अवधेशानंद गिरि ने नवश्रृंगारित परिसर को ‘ अन्नपूर्णा लोक ’ का नाम दिया और मंदिर संचालन समिति के अध्यक्ष स्वामी जयेन्द्रनंद गिरि को महामंडलेश्वरजी की सहमति से भविष्य में मंदिर के विभिन्न दायित्वों के लिए अधिकृत करने की घोषणा भी की। स्वामी अवधेशानंद ने अन्नपूर्णा आश्रम के न्यासियों तथा मंदिर निर्माण में सहयोगी बंधुओं का सम्मान भी किया। शाम को नूतन मंदिर के पट भक्तों के दर्शनार्थ खोल दिए गए।

स्वामी श्री अवधेशानंदजी के सान्निध्य में हुई प्राण प्रतिष्ठा।

अन्नपूर्णा आश्रम पर चल रहे प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव एवं लोकार्पण समारोह में शुक्रवार को चौथे दिन नूतन मंदिर में विधिविधान के साथ आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि के सान्निध्य में मां अन्नपूर्णा, मां कालिका और मां सरस्वती की प्रतिमाओं की प्राण प्रतिष्ठा की गई। स्वामी अवधेशानंद जी ने सुबह आते ही आश्रम के महामंडलेश्वर स्वामी विश्वेश्वरानंद गिरि एवं न्यासी मंडल के सदस्यों से मुलाकात की और स्वागत के बाद सीधे प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव में भाग लेने नए मंदिर में जा पहुंचे। इस दौरान बड़ी तादाद में भक्तगण मंदिर परिसर में मौजूद थे। आतिशबाजी, ड्रोन से रंग बिरंगी पन्नियों की बरसात और ग्लाइडर से पुष्प वर्षा के साथ भक्तों द्वारा किया जा रहा मातारानी का जयघोष अलौकिक दृश्य उपस्थित कर रहा था। मुख्य यजमान विनोद –नीना अग्रवाल एवं यजमान समूह के साथ करीब एक घंटे आचार्य पं. कल्याणदत्त शास्त्री के निर्देशन में चली प्राण प्रतिष्ठा के बाद स्वामी अवधेशानंद प्रस्थित हो गए। दोपहर में वे पुनः 4.40 बजे आश्रम पहुंचे। नूतन मंदिर में 56 भोग एवं पूजा-अर्चना के बाद उन्होंने शिलालेख का अनावरण किया और धर्मसभा को संबोधित करने पहुंचे। इस अवसर पर भाजपा के राष्ट्रीय महासिचव कैलाश विजयवर्गीय, सांसद शंकर लालवानी, महापौर पुष्यमित्र भार्गव, इविप्रा के अध्यक्ष जयपालसिंह चावड़ा, वरिष्ठ समाजसेवी पुरुषोत्तम अग्रवाल, विधायक जीतू पटवारी, आकाश विजयवर्गीय, पूर्व विधायक गोपीकृष्ण नेमा, मनोज पटेल, सावन सोनकर सहित शहर के अनेक गणमान्य नागरिक भी मौजूद थे। राज्य के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा भी मंदिर पहुंचे, लेकिन स्वामी अवधेशानंद तब तक मंदिर नहीं पहुंचे थे इसलिए गृहमंत्री उनके आगमन के पूर्व ही मंदिर से प्रस्थित हो गए।

न्यासी मंडल के सदस्यों और मंदिर निर्माण में सहयोगियों का किया सम्मान।

धर्मसभा में स्वामी अवधेशानंद गिरि ने आश्रम के न्यासी मंडल के सदस्यों, विनोद –नीना अग्रवाल, गोपालदास मित्तल, जगदीश भाई पटेल, दिनेश मित्तल, पवन सिंघानिया, टीकमचंद गर्ग, सत्यनारायण शर्मा, श्याम सिंघल, वरजिंदरसिंह छाबड़ा एवं सुनील गुप्ता को रजत मंडित स्मृति चिन्ह के रूप में नए मंदिर का मॉडल भेंटकर सम्मानित किया। इस अवसर पर मंदिर निर्माण में सहयोगी रहे समाजसेवी प्रेमचंद गोयल, विष्णु बिंदल, निर्मल रामरतन अग्रवाल, नितिन अग्रवाल, शैलेन्द्र सिंघल, नीलेश अग्रवाल, महेन्द्र अग्रावल, राम ऐरन, अशोक ऐरन, राधेश्याम बागवाला, कैलाश शर्मा एवं मंदिर के वास्तुकार अहमदाबाद के सत्यप्रकाश राजपूत का भी सम्मान किया गया। अधिकांश न्यासियों को सपत्नीक मंच पर आमंत्रित किया गया। मंदिर निर्माण के लिए मार्बल एवं अन्य मटेरियल सप्लाय करने वाले मकसूद भाई को भी सम्मानित किया गया।

अन्नपूर्णा मंदिर के इतिहास पर केंद्रित स्मारिका का विमोचन।

मंदिर के इतिहास पर आधारित एक स्मारिका का लोकार्पण भी इस अवसर पर ओंकारेश्वर अन्नपूर्णा आश्रम के महामंडलेश्वर स्वामी सच्चिदानन्द गिरि, स्वामी आत्मप्रकाश यति, जम्मू के स्वामी हृदयानंद गिरि, दत्त माउली संस्थान के अण्णा महाराज, स्वामी वामदेव तीर्थ, स्वामी प्रभुतानंद आदि ने किया।

मंदिर जीर्णोद्धार प्रकल्प के अध्यक्ष विनोद अग्रवाल ने मंदिर निर्माण की पृष्ठभूमि बताते हुए कहा कि यह स्वामी विश्वेश्वरानंद गिरि के दृढ़ संकल्प का ही परिणाम है कि विपरीत हालातों के बावजूद इतने कम समय में नया मंदिर बनकर तैयार हो गया। इसमें राजस्थान, उड़ीसा, छत्तीसगढ़ एवं मध्यप्रदेश सहित चार राज्यों के श्रमिकों एवं अन्य लोगों का योगदान रहा है।

महामंडलेश्वर स्वामी विश्वेश्वरानंद गिरि ने त्रयंबकेश्वर एवं इंदौर में निर्मित नए मंदिरों से जुड़े प्रेरक प्रसंग बताए। अतिथियों का स्वागत स्वामी जयेन्द्रानंद गिरि, सांसद शंकर लालवानी, कैलाश विजयवर्गीय, महापौर पुष्यमित्र भार्गव, विधायक जीतू पटवारी, पुरुषोत्तम अग्रवाल, किशोर गोयल, सुशील बेरीवाला, कृष्ण मुरारी शर्मा, सुरेश बंसल आदि ने किया। धर्मसभा का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ। इस दौरान सभा स्थल पूरी तरह खचाखच भरा रहा। अनेक लोगों ने खड़े होकर संतों के आशीर्वचन सुने।

इंदौर स्वच्छता, संस्कार, आध्यात्म सहित हर बात में आगे।

आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि ने अपने आशीर्वचन में इंदौर की दिल खोलकर प्रशंसा की। उन्होंने कहा – यह कल्याणी धर्म धरा, मालवा की ऐतिहासिक, पौराणिक और आध्यात्मिक नगरी है, जहां देवी अहिल्या बाई होल्कर के संस्कार देखने को मिलते हैं। यहां का खान-पान, रहन-सहन, परिधान, दान की प्रवृत्ति, कथाओं, यज्ञों और शोभायात्राओं में उमड़ने वाला जन सैलाब अदभुत है। देश में इतने उत्सव और कहीं नहीं होते, जितने इंदौर में होते हैं। गरबे गुजरात में होते हैं, लेकिन इंदौर में सरस गरबे याद रहते हैं। इसका कारण यह लगता है कि इंदौर के लोग देवताओं और पितरों को हमेशा आगे रखते हैं। इसीलिए इंदौर इतना आगे बढ़ रहा है। इंदौर में विभिन्न प्रकार की विभूतियां भी मौजूद हैं। उन्होंने मंदिर जीर्णोद्धार प्रकल्प को बहुत छोटा शब्द बताते हुए कहा कि यह प्रकल्प नहीं महासंकल्प है। यहां की सनातनता यही है कि सभी धर्म के लोग जुड़ते चले जाते हैं। जो बैठ जाते हैं उनका भाग्य भी बैठ जाता है और जो सो जाते हैं उनका भाग्य भी सो जाता है, लेकिन जो खड़े होकर चलने लगते हैं, उनका भाग्य भी चलने लगता है।

उन्होंने कहा कि अहम और इदम के लिए ही सारे संघर्ष एवं विवाद होते हैं। मैं और तू के कारण ही जीवन में कई तरह के कष्ट आ जाते हैं। जैसे भगवान भी अपनी ओर से जल, वायु, अग्नि, नक्षत्र, प्रकाश और हर तरह का परमार्थ का कार्य करते हैं, वैसे ही अब मां अन्नपूर्णा का यह मंदिर भी उसी तरह इंदौर के भक्तों को उपलब्ध रहेगा जैसा काशी में मां अन्नपूर्णा दर्शन देती है।

मंदिर में स्थापित प्रतिमाओं का भी विस्तार से किया उल्लेख।

स्वामी अवधेशानंद जी ने मंदिर में स्थापित प्रतिमाओं का भी विस्तार से उल्लेख करते हुए कहा कि इस नए मंदिर में जैसे ही प्रवेश करेंगे, प्रवेश द्वार पर भगवान शिव मां अन्नपूर्णा से भिक्षा लेते दर्शन देंगे। मां अन्नपूर्णा ही मां गौरी है। वे बहुत करूणा से भगवान को भिक्षा दे रही हैं। भिक्षा देने बाहर आना होता है, इसीलिए महादेव बाहर खड़े हैं। मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश करेंगे तो मां अन्नपूर्णा, मां कालिका और मां सरस्वती के दर्शन होंगे। दक्षिण भाग में गणेशजी सिद्ध विनायक के रूप में विराजित हैं, उनके सामने हनुमानजी संकट मोचन के रूप में दर्शन दे रहे हैं। मां अन्नपूर्णा के साथ वीणा और ज्ञान दायिनी मां सरस्वती भी यहां भक्तों पर कृपा और करुणा की वर्षा करेंगी।

मंदिर परिक्षेत्र का नामकरण किया अन्नपूर्णा लोक।

स्वामी अवधेशानंद जी ने कहा कि ज्ञान, भक्ति और कर्म की इन देवियों के आगमन से अब इंदौर में भी काशी और उज्जैन की तरह ‘ अन्नपूर्णा लोक ’ बन गया है। यहां महामंडलेश्वरजी और ट्रस्ट मंडल ने नए मंदिर का नामकरण ‘ अन्नपूर्णा लोक ’ करने का निर्णय लिया है। मेरी कामना है कि यह नया मंदिर इंदौर में सम्पूर्ण लोक लोकांतर की दिव्य सत्ता के रूप में अवतरित हुआ है।

ब्रज में भी नहीं मनता इंदौर जैसा फाग उत्सव।

स्वामी अवधेशानंद ने मंदिर निर्माण में सहयोग देने वाले सभी बंधुओं, विशेषकर विनोद अग्रवाल का उल्लेख करते हुए कहा कि हमारे जैसे संकल्प होते हैं, वैसी दृष्टि बनती हैं और जैसी दृष्टि बनती है वैसे फल मिलते हैं। इंदौर जैसे उदारमना, सेवाभावी, संस्कारी और शालीन शहर में फाग भी जिस उत्साह से मनता है, वैसा ब्रज में भी नहीं मनता। उन्होंने मंदिर संचालन समिति के अध्यक्ष स्वामी जयेन्द्रानंद गिरि को नई पीढ़ी के रूप में प्रतिस्थापित करने की घोषणा भी की और कहा कि यह प्रसन्नता की बात है कि समय रहते हम अपनी नई पौध को तैयार कर रहे हैं। अंत में आभार मंदिर जीर्णोद्धार प्रकल्प के अध्यक्ष विनोद अग्रवाल ने माना।

शनिवार के कार्यक्रम – महोत्सव में पांचवे दिन शनिवार 4 फरवरी को सुबह के सत्र में स्थापित देव पूजन के बाद सप्तशती हवन एवं दोपहर के सत्र में भी सप्तशती हवन के बाद आरती होगी। यज्ञशाला में शनिवार से स्वाहाकार की मंगल ध्वनि गूंजने लगेगी।

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