चुंगी क्षतिपूर्ति अनुदान बढ़ाने सहित अन्य कई मांगों संबंधी प्रस्ताव पारित कर शासन को प्रेषित किए गए।
इंदौर : महापौर सम्मेलन में भाग लेने आए प्रदेश की 16 में से 13 नगर निगमों के महापौरों ने बैठक के बाद अपना संयुक्त मांग पत्र जारी किया। इसके जरिए सरकार से मांग की गई की वह नगरीय निकायों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए महापौरों को वित्तीय और प्रशासनिक अधिकार दें। ऑल इंडिया काउंसिल ऑफ मेयर्स की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष पुष्यमित्र भार्गव ने बताया कि बैठक में पारित प्रस्तावों को प्रदेश सरकार को प्रेषित किया जाएगा। ये प्रस्ताव किए गए पारित :- नगरीय निकायों को दी जाने वाली चुंगी क्षतिपूर्ति राशि का पुनरीक्षण कर बजट बढ़ाया जाए। नगरीय निकायों में निचले स्तर पर आउटसोर्स के स्थान पर कर्मचारियों की भर्ती के अधिकार दिए जाएं। महापौरों को सुरक्षा गार्ड उपलब्ध कराएं जाएं। देश – विदेश में उत्कृष्ट कार्य कर रहे नगरीय निकायों के नवाचारों का अवलोकन करने के लिए भ्रमण कार्यक्रम बनाएं जाएं। संपत्तियों के कर योग्य मूल्य निर्धारण नियम 2020 और नगर पालिका ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, जल प्रदाय व जलमल निकासी सेवाओं पर उपभोक्ता प्रभार लागू करने संबंधी नियम – 2021 में संशोधन कर दर वृद्धि की अधिकतम सीमा को 10 और 15 प्रतिशत किया जाए। प्रदेश भर के नगरीय निकाय, जहां एमपीयूडीसी के जरिए परियोजनाओं का संचालन किया जा रहा है, की गुणवत्ता और काम में देरी को लेकर असंतोष है, अतः नगर निगम स्तर के नगरीय निकायों में एमपीयूडीसी के माध्यम से कोई काम नहीं कराया जाए। ऐतिहासिक धरोहर, प्राकृतिक, धार्मिक और अन्य दृष्टि से समृद्ध नगरीय निकाय क्षेत्रों के विकास के लिए भारत सरकार के पर्यटन और संस्कृति विभाग से अधिकाधिक अनुदान सहायता और कार्य स्वीकृत कराने के लिए शासन स्तर पर आवश्यक कदम उठाएं जाएं। रिक्त पदों पर नियुक्ति का अधिकार नगरीय निकायों को दिया जाए। सौर ऊर्जा सहित अन्य वैकल्पिक उपायों के लिए नगरीय निकायों को भारत सरकार और प्रदेश सरकार द्वारा अनुदान दिया जाए।