समाज की विशिष्ट प्रतिभाओं का सम्मान, मालविका स्मारिका का किया गया विमोचन।
लोक परंपरा पर आधारित ओवी से भजन एवं लावणी से पोवाड़ा की दम दार प्रस्तुति।
इंदौर : सन 1915 में स्थापित नगर की प्रतिष्ठित साहित्यिक संस्था महाराष्ट्र साहित्य सभा के 62 वे शारदोत्सव के तीसरे और अंतिम दिन विभिन्न क्षेत्र में विशिष्ट उपलब्धि अर्जित करने वाले गुणीजनों का सम्मान किया गया, वहीं 62 वे शारदोत्सव पर केंद्रित स्मारिका का विमोचन भी किया गया। दूसरे सत्र में मराठी लोक परंपरा पर आधारित लोकगीतों से सजे कार्यक्रम की दमदार प्रस्तुति दी गई।
कार्यक्रम के अतिथि श्रीमती सुमित्राताई महाजन(पूर्व लोकसभा अध्यक्ष ),बाबा साहब तरानेकर,मिलिंद महाजन (अध्यक्ष:बृहन्महाराष्ट्र मंडल, नई दिल्ली) दिलीप कुम्भोजकर (प्रधान कार्यवाह बृहन्महाराष्ट्र मंडल, नई दिल्ली), शारदोत्सव अध्यक्ष योगेश सोमण, कार्याध्यक्ष प्रदीप चौधरी ने दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।साहित्य सभा के अध्यक्ष अश्विन खरे,सचिव प्रफुल्ल कस्तूरे भी इस दौरान मंचासीन रहे।
इस वर्ष विभिन्न क्षेत्रों में विशिष्ट उपलब्धियां हासिल करने वाले माधव चितले (पर्यावरणविद) मधुसूदन तपस्वी (समाज सेवा), अनिल गजभिए (साहित्यकार) एवम सचिन कस्तूरे (क्रीड़ा क्षेत्र) को मानपत्र एवं स्मृति चिन्ह भेंटकर सम्मानित किया गया। सरवटे साहित्य पुरस्कार के तहत साहित्यकार डा.अनुराधा भागवत को पुरस्कृत किया गया।साथ ही गत 45 दिनों से नगर के विभिन्न केंद्रों पर आयोजित स्पर्धाओं के संयोजको को भी पुरस्कृत किया गया। अतिथियों के हाथों स्मरणिका “”मालविका”” का विमोचन भी किया गया।
कार्यक्रम के दूसरे सत्र में पुणे के कलाकारों ने “साहित्यातील लोकरंग ” की जोरदार प्रस्तुति दी।महाराष्ट्र की भक्ति और लोक परम्परा पर आधारित इस कार्यक्रम में ओवी से भजन और लावणी से पोवाड़ा जैसे लोक कला के विभिन्न रंगों का दमदार प्रस्तुतिकरण दिया गया। गायन के साथ ढोलक,तबला, झांझ , दिमड़ी की संगत ने कार्यक्रम के आनंद को दुगुना कर दिया। इस सुरीले कार्यक्रम की प्रस्तुति देने वाले कलाकार थे डा.भावार्थ रामचंद्र देखणे, डॉ पूजा देखणे , गोरज देखणे,ऋषिकेश पुजारी और प्रसन्न भुरे।
प्रारंभ में गुणीजनों के मानपत्र का वाचन संगीता नामजोशी,मीनू पोतनीस, संजीव दिघे,कु साक्षी बापट ने किया।समापन भाषण अध्यक्षता कर रहे योगेश सोमण ने दिया।स्वागत अश्विन खरे,प्रफुल्ल कस्तूरे,रंजना ठाकुर,सुधीर दांडेकर,प्रशांत बड़वे,हेमंत पन्हालकर, मनीष खरगोनकर, आकांक्षा कुटुम्बले,पंकज टोकेकर आदि ने किया। संचालन विनीता धर्म ने किया। आभार प्रफुल्ल कस्तूरे ने माना।