इंदौर : नवलखा स्थित मनकामेश्वर कांटाफोड़ शिव मंदिर में महाशिवरात्रि के महापर्व पर भगवान भोलेनाथ शेषनाग के सिर पर सवार होकर नृत्य करेंगे। कोलकाता से आए 18 कलाकारों ने पिछले 12 दिनों की अथक मेहनत के बाद यह सुंदर झांकी तैयार की है, जो स्वर्ण महल में स्थापित होगी। मंदिर के गर्भगृह को स्वर्ण महल में तब्दील किया गया है। झांकी के दर्शन गुरूवार को शाम 6 बजे आरती के बाद से प्रारंभ होंगे। सभी भक्तों को कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करना अनिवार्य होगा।
मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष विष्णु बिंदल, संयोजक बी.के. गोयल एवं सचिव अजय खंडेलवाल ने बताया कि कोलकाता से आए इन कलाकारों ने पिछले 12 दिनों में दिन-रात परिश्रम कर इस झांकी का निर्माण किया है। मंदिर के गर्भगृह के सामने की चारों दीवारों को सफेद मयूर, त्रिशूल, स्वस्तिक, डमरू आदि शिवजी को प्रिय वस्तुओं की आकृति से सजाया गया है। चारों ओर 18 रंगीन हेलोजन की रंग-बिरंगी छटा बिखरी रहेगी। चारों दीवारों पर सुनहरी नक्काशी और रोशनी को देखकर दर्शकों को स्वर्ण महल की अनुभूति होगी।
मंदिर में चल रहे शिव-पार्वती विवाह महोत्सव में बुधवार को दूल्हे राजा बने भगवान शिव को उबटन से स्नान कराया गया। गुरूवार सुबह केशर जल से अभिषेक होगा। सांय 6 बजे मंदिर के गर्भगृह में शेषनाग के सिर पर सवार भगवान शिव का नृत्य देखने को मिल सकेगा। इसके पूर्व आरती होगी। इस पूरी झांकी को ‘स्वर्ण महल’ नाम दिया गया है। महिला-पुरूषों के लिए अलग-अलग कतारें रहेंगीं। प्रसाद वितरण की व्यवस्था भी कोरोना गाइड लाइन के अनुसार रहेगी। मंदिर परिसर स्थित सभी देवालयों, विशेषकर माता पार्वती, गणेशजी, कार्तिकेय और नंदी को भी विशेष रूप से श्रृंगारित किया गया है। भक्तों का सैलाब तो पिछले दो दिनों से उमड़ रहा है लेकिन गुरूवार को सांय 6 बजे के बाद इस ‘स्वर्ण महल’ और शेषनाग पर सवार भगवान शिव के नृत्य की झांकी के दर्शन करना इंदौर के भक्तों के लिए आल्हादकारी प्रसंग होगा। महोत्सव की सभी तैयारियां पूरी हो चुकी है। मास्क पहनकर आने वाले भक्तों को ही प्रवेश मिल सकेगा। प्रवेश के पूर्व सेनेटाइजर से हाथ धोने की व्यवस्था भी रखी गई है।