मालवा उत्सव में देवी अहिल्याबाई के जीवनकार्यों पर आधारित नृत्य नाटिका की दी गई प्रस्तुति

  
Last Updated:  May 11, 2025 " 05:45 pm"

कला शिविर में ख्यात चित्रकारों ने बनाए चित्र।

इंदौर : लालबाग परिसर में चल रहे मालवा उत्सव में दूसरे दिन लोकमाता देवी अहिल्याबाई होलकर के बहुआयामी व्यक्तित्व और कृतित्व पर आधारित नृत्य नाटिका को दर्शकों की खूब सराहना मिली। इसके अलावा लोकनृत्यों की विविधरंगी छटा भी पेश की गई।

लोक संस्कृति मंच के संयोजक एवं सांसद शंकर लालवानी ने बताया कि शिल्प बाजार में नागालैंड से नारोला नेकलेस फ्लावर आदि लेकर शिल्पकार मालवा उत्सव में आई है। उत्तर प्रदेश से हैंडलूम की बेडशीट लेकर आस मोहम्मद आए हैं। डिंडोरी मध्य प्रदेश से गोंड पेंटिंग जिसे हाथ से बनाने में करीब 3 से 5 दिन लगते हैं लेकर रजनी धुर्वे, सूरज सुकर्मा आदि आए हैं। थाईलैंड युगांडा विदेश से भी शिल्पकार यहां पर आए हैं । फरीदाबाद एवं भोपाल से टेराकोटा का विशाल संग्रह जिसमें कछुआ फ्लावर पॉट बुद्धा आदि शामिल हैं, भी आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। पश्चिम बंगाल की हैंड ब्लॉक प्रिंटिंग की बेडशीट ,जूट के बैग, टीकमगढ़ का प्रसिद्ध ब्रास शिल्प भी मालवा उत्सव में अपनी चमक बिखेर रहा है। पीतल शिल्प, लौह शिल्प, पोचमपल्ली साड़ियां, महेश्वरी साड़ियां, गलीचा, ड्राई फ्लावर, बांस शिल्प, केन फर्नीचर सहित ढेरों आइटम यहां मौजूद हैं।

लोकमाता देवी अहिल्याबाई की शौर्य और भक्ति की गाथा पेश।
लोक संस्कृति मंच के पवन शर्मा, संकल्प वर्मा, दमयंती भाटिया और उनके शिष्यों द्वारा देवी अहिल्याबाई के जीवन पर आधारित नृत्य नाटिका पेश की गई। इस नृत्य नाटिका के जरिए देवी अहिल्याबाई के व्यक्तित्व के सेवा, नेतृत्व, संघर्ष, शौर्य और भक्ति जैसे विभिन्न पहलुओं को खूबसूरती के साथ पेश किया गया। धर्म परंपरा और आधुनिकता के बीच संतुलन बनाते हुए इसे दिखाया गया। इसके अलावा पंजाब का प्रसिद्ध नृत्य भांगड़ा और गुजरात का गरबा भी आकर्षण का केंद्र रहे। डिंडोरी से आए कलाकार द्वारा धोती कुर्ता एवं कौड़ियों की माला पहनकर गुडूम बाजा नृत्य प्रस्तुत किया गया। गुजरात के डांगी जिले से आए कलाकारों में लड़कियों ने खांडवा, नथ एवं साड़ी पहनकर तो लड़कों ने धोती और कमीज पहनकर शानदार नृत्य प्रस्तुत किया एम निमाड़ के गणगौर नृत्य को भी बहुत सराहा गया।

कला शिविर में ख्यात चित्रकारों ने बनाए चित्र।
मालवा उत्सव में लगाए गए कला शिविर में शुभा वैद्य, नारायण पाटीदार, आलोक शर्मा, धीरेंद्र मांडगे, जयप्रकाश चौहान ,विनीता शर्मा जैसे ख्यात चित्रकारों ने अपने मन की भावनाओं को चित्रों के माध्यम से व्यक्त किया। किसी ने तीर्थ स्थल ओंकारेश्वर की पेंटिंग बनाई तो किसी ने प्रकृति को संरक्षित रखने पर जोर दिया। कहीं नारी शक्ति को परिलक्षित किया गया तो किसी ने मालवा उत्सव की बानगी को प्रस्तुत किया।
11 मई के कार्यक्रम :-
दिलीप जोशी एवं जुगल जोशी ने बताया रविवार 11 मई को सांस्कृतिक प्रस्तुतियों में गणगौर, घूमर ,वीर नाट्यम, पंजाबी नृत्य, प्राचीन गरबा, गुडूम बाजा एवं स्थानीय प्रस्तुतियां प्रस्तुत होंगी।

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