इंदौर : राजेंद्र नगर श्रीराम मंदिर में आयोजित नौ दिवसीय श्रीराम जन्मोत्सव के तहत मंगलवार को अपरिचित रामायण विषय पर तीन दिवसीय व्याख्यानमाला का शुभारंभ हुआ।पहले दिन रामायण के खल पात्र रावण के प्रसंगों का वर्णन पुणे महाराष्ट्र के ख्याति प्राप्त इतिहासवेत्ता, रामायण, महाभारत, वेद ,उपनिषद, पुराण जैसे ग्रंथों के गहन अभ्यासक , युवा ओजस्वी वक्ता विक्रम एडके ने सरस वर्णन किया।
भ्रांति है की श्रीराम ने लक्ष्मण को रावण के पास ज्ञान प्राप्ति हेतु भेजा था।
उन्होंने कहा कि यह भ्रांति है की रावण वध के बाद राम ने लक्ष्मण को रावण के पास उसकी मृत्यु के पूर्व ज्ञान प्राप्ति के लिए भेजा था। श्रीराम स्वयं धर्म मूर्ति थे, धर्म के प्रतीक थे। इसलिए यह संभव नहीं है की लक्ष्मण अपने भ्राता की बजाए किसी और से धर्म का ज्ञान लेते। वाल्मीकि रामायण में इस बात का कहीं भी उल्लेख नहीं है। रावण का महिमा मंडन करने हेतु अन्य लेखकों ने इस बात को जोड़ा है।
श्री एडके ने बताया भारतीय संस्कृति में वाल्मीकि रामायण और महर्षि वेदव्यास के महाभारत को इतिहास का दर्जा प्राप्त है। वाल्मीकि ने स्वयं प्रभु श्रीराम, माता सीता और उस समय के काल को साक्षात देखा है इसलिए वाल्मीकि रामायण प्रामाणिक है।
उन्होंने बताया कि रावण का जन्म भी अनाचार,अत्याचार और कुटिलता की वजह से हुआ । कैकसी ने विश्रवा मुनि से छल पूर्वक विवाह किया जिनसे उन्हें रावण और तीन अन्य पुत्र तथा शूर्पणखा पुत्री हुई। रावण का जन्म नाम दशग्रीव था। कैकसी ने रावण के बाल्यकाल से ही उनके मन में कुबेर के प्रति द्वेषभाव भरा। परिणाम यह हुआ की रावण ने कुबेर से भी अधिक धनवान,बलवान होने का प्रण लिया । ब्रह्म देव से वरदान मांगते समय रावण ने मानव को छोड़कर अन्य सभी से अपराजेय रहने का वरदान मांगा क्योंकि उसे अहंकार था की मानव तो उसे कभी पराजित कर ही नहीं सकता।
खलपात्रों के महिमा मंडन का गलत चलन।
श्री एडके ने कहा कि हाल के दिनों में यह प्रचलन चल पड़ा है की इतिहास के खलपात्र को येन केन तरीके से सहानुभूति का पात्र निरूपित किया जाए। रावण और कर्ण को लेकर भी इसी तरह की कथाएं गढ़ी जा रही हैं। जबकि वाल्मीकि रामायण कहती है की रावण में 10 ऐसे दोष थे जिसके लिए उसे कभी भी क्षमा नहीं किया जा सकता। विक्रम एडके ने रावण के समस्त दोषों का विस्तारपूर्वक वर्णन किया। उन्होंने कहा कि उत्तरकांड में रावण को उच्छृंखल और निरंकुश बताया गया है।
दो घंटे से भी अधिक चले व्याख्यान के दौरान रावण के बारे में प्रचलित अनेक कहानियों और धारणाओं का उन्होंने स्पष्टता से वर्णन किया और वस्तुस्थिति को सामने रखा। उन्होंने बताया कि कुबेर जो कि रावण का चचेरा भाई था उससे लंका हड़प कर उसे जान से मारने का प्रयत्न रावण ने किया था । कुबेर से बलपूर्वक लंका और पुष्पक विमान रावण ने छीना था।
श्रीराम जन्मोत्सव के तहत बुधवार शाम 7.30 बजे से श्री राम मंदिर में अपरिचित रामायण व्याख्यानमाला के द्वितीय सत्र में रामभक्त हनुमान के प्रसंगों का वर्णन होगा।