आईएमए के मंच पर डॉक्टरों ने दी समूह गायन और नृत्य की मनोहारी प्रस्तुतियां

  
Last Updated:  May 2, 2022 " 06:48 pm"

इंदौर : आईएमए की इंदौर इकाई डॉ. सुमित शुक्ला और डॉ. मनीष माहेश्वरी और डॉ. संजय लौंढे की अगुवाई में नित नए कार्यक्रम आयोजित कर इंदौर व आसपास के जिलों के डॉक्टर्स को अपनी प्रतिभा के सार्वजनिक प्रदर्शन का मौका उपलब्ध करा रही है। डॉक्टर्स भी इन कार्यक्रमों में बढ़-चढ़ कर भागीदारी निभाते हुए इस बात को साबित कर रहे हैं कि वे केवल मरीजों की जिंदगी ही नहीं बचाते बल्कि कला- संस्कृति में रचे- बसे जिंदगी के रंगों को भरपूर अंदाज में जीते भी हैं। पिछले दिनों क्रिकेट की पिच पर अपने जौहर दिखाने के बाद डॉक्टर्स ने रविवार शाम गायन और नृत्य में भी अपनी गहरी रुचि और पकड़ को रेखांकित किया। मौका था आईएमए, इंदौर द्वारा सेंट्रल लैब के सहयोग से आयोजित समूह गायन और नृत्य स्पर्धा का। अभय प्रशाल के समीप स्थित लाभ मंडपम में संपन्न हुई इस स्पर्धा में भाग लेने वाली डॉक्टर्स की टीमों का उत्साह देखने लायक था। पूरी तैयारी के साथ डॉक्टरों ने गायन और नृत्य की प्रस्तुतियां देकर ये साबित किया कि कला और संस्कृति में भी वे कहीं कमतर नहीं हैं।

समूह गायन में हरतरह के पेश किए गए गीत।

समूह गायन में जबरदस्त प्रतिस्पर्धा देखने को मिली। इंदौर के अलावा उज्जैन, देवास, धार आदि स्थानों से भी डॉक्टर्स की टीमों ने स्पर्धा में शिरकत कर अपनी प्रतिभा की बानगी पेश की। मस्ती, रोमांस, उल्लास, देशभक्ति हर मूड के गीत डॉक्टर्स के समूहों ने शिद्दत के साथ पेश किए। खास बात ये रही की संबंधित गीत की पृष्ठभूमि और वेशभूषा को भी प्रतिभागी समूहों ने मंच पर साकार किया। मेरे देश की धरती, मैं रहूं या ना रहूं भारत ये रहना चाहिए, मां तुझे सलाम, तेरी मिट्टी में मिल जावा जैसे गीतों ने देशभक्ति का ऐसा अलख जगाया की खचाखच भरा हॉल वन्दे मातरम और भारत माता की जय के नारों से गुंजायमान हो उठा। अजीज नाजा की कव्वाली ‘आज जवानी पर इतराने वाले कल पछताएगा’ की प्रस्तुति ने जिंदगी के फलसफे को सामने रखा तो दमादम मस्त कलंदर जैसे गीत ने माहौल में मस्ती का रंग घोल दिया। कुल 19 टीमों ने समूह गायन स्पर्धा में भाग लिया। स्पर्धा के निर्णायक थे डॉ. सुहास निरखीवाले, माधवी चांदोलीकर और हर्षवर्धन लिखिते। संगत कलाकर थे ऑक्टोपेड़ पर कपिल राठौर, कीबोर्ड पर अमन देसाई, ढोलक पर रवि खेड़े, तबले पर रोहित शर्मा और गिटार पर प्रशांत गौड।

समूह नृत्यों ने भी खूब जमाया रंग।

कार्यक्रम के दूसरे चरण में समूह नृत्य स्पर्धा संपन्न हुई। इस स्पर्धा में डॉक्टर्स की कुल 9 टीमों ने शिरकत की। कन्या भ्रूण हत्या जैसी कुरीति को उजागर करने के साथ बच्चियों के जीने, पढ़ने और समाज की बेड़ियां तोड़कर हौसलों की ऊंची उड़ान भरने का जज्बा पैदा करने वाली नृत्य प्रस्तुति को खासी दाद मिली। एक अन्य नृत्य प्रस्तुति में कोरोना काल में डॉक्टर्स की मरीजों की जिंदगी बचाने की जद्दोजहद, उखड़ती सांसों को थामकर मरीज को नई जिंदगी देने का जज्बा और समर्पण को दर्शाते हुए कतिपय लोगों और सिस्टम के डॉक्टर्स के प्रति संवेदनहीन रवैए को भी उजागर किया गया। इस नृत्य प्रस्तुति का सबसे मार्मिक दृश्य राजस्थान के अलवर में घटित उस दु:खद घटना पर आधारित था, जिसमें एक मरीज की मौत के बाद हत्या का प्रकरण दर्ज होने पर अर्चना शर्मा नामक महिला डॉक्टर ने खुदकुशी कर ली थी। इस नृत्य प्रस्तुति के लिए हॉल में उपस्थित तमाम दर्शक- श्रोताओं ने खड़े होकर तालियां बजाते हुए अपनी संवेदना का इजहार किया। इसके अलावा मिक्स गानों पर विभिन्न टीमों द्वारा दी गई नृत्य प्रस्तुतियां भी लाजवाब रहीं। इस स्पर्धा में कुल 9 टीमों ने भाग लिया। इनमे उज्जैन, धार, देवास और महू की टीमें भी शामिल थीं। नृत्य स्पर्धा के निर्णायक थे मंजूषा जौहरी, कुमुद कोठारी और ऋषिना नातू।

कार्यक्रम के अतिथि थे ख्यात गायक चिंतन बाकीवाला। उनका आईएमए की ओर से डॉ. सुमित शुक्ला, डॉ. मनीष माहेश्वरी और सेंट्रल लैब की ओर से डॉ. विनीता कोठारी ने स्वागत किया। संचालन डॉ. संजय लौंढे ने किया। यह कार्यक्रम दिवंगत डॉ. सनत मुखर्जी, पंकज जैन और दिनेश सोनकर की स्मृति को समर्पित किया गया था। कार्यक्रम में बेस्ट मेल, बेस्ट फीमेल, बेस्ट कपल और लकी ड्रॉ के जरिए अन्य पुरस्कार भी दिए गए।

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