इंदौर: ये पहली बार हो रहा है जब मप्र के विधानसभा चुनाव में सड़क, बिजली और पानी कोई मुद्दा नहीं है। प्रदेश की बजाय केंद्र की मोदी सरकार के कामकाज और फैसले पर चुनाव लड़ा जा रहा है। कांग्रेस नोटबन्दी, जीएसटी, राफेल, रोजगार, राम मंदिर और किसानों से जुड़े मुद्दे उठाकर लगातार मोदी सरकार के खिलाफ हमलावर रुख अपनाए हुए है। प्रदेश के मुद्दों पर उनका ज्यादा जोर नहीं है। हैरत की बात ये है कि कांग्रेस की इस सोची- समझी रणनीति में बीजेपी फंसती दिखाई दे रही है।
उसके तमाम नेता कांग्रेस के आरोपों की सफाई देने में जुटे हैं। मोदी और शिवराज सरकार की उपलब्धियों को लोगों तक पहुंचाने में बीजेपी कमजोर साबित हो रही है। हिंदुत्व का मुद्दा भी कांग्रेस ने बीजेपी से छीन लिया है। अपने वचन पत्र में उसने गौशाला निर्माण, राम पथ गमन, नर्मदा न्यास कानून सहित कई ऐसे वादे किए हैं जो हिंदुओं से सीधे जुड़े हैं। 2 लाख तक का कर्ज माफ करने का वादा कर उसने किसानों को अपने पक्ष में करने का प्रयास किया है। बीजेपी सवालों के जवाब देने की कवायद में केंद्र और राज्य सरकार की अच्छे कामों को भी प्रभावी ढंग से सामने नहीं रख पा रही है। लोगों की नाराजगी सीएम शिवराज से ज्यादा प्रत्याशियों के प्रति है। शहरों में तो बीजेपी की हालत फिर भी ठीक है पर ग्रामीण क्षेत्रों में स्थिति अनुकूल नजर नहीं आ रही है। पीएम मोदी की सभाएं भी बीजेपी के पक्ष में माहौल बनाने में उतनी कारगर नहीं दिख रही हैं जितनी उम्मीद जताई जा रही थी।
बहरहाल चुनाव प्रचार के अंतिम दौर में दोनों दलों ने पूरी ताकत झोंक दी है। मतदाताओं को लुभाने की तमाम कोशिशें की जा रही हैं। लोगों की नाराजगी दूर करने में बीजेपी सफल होकर अपनी सत्ता बरकरार रख पाती है या अपनी रणनीति के सहारे कांग्रेस बदलाव लाने में कामयाब होती है ये देखना अब दिलचस्प होगा।
मोदी सरकार के कामकाज पर लड़ा जा रहा मप्र का चुनाव
Last Updated: November 22, 2018 " 03:39 pm"
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