*सुरभि की कविता*
ये कैसी मूर्खता कर रहे हो,
क्यूं अपने साथ साथ
दूसरों को भी ले मर रहे हो,
क्या तुम दुनिया से ज़्यादा होशियार हो
जो अपने ही नियमों पे चल रहे हो
ये कैसी मूर्खता कर रहे हो…
देखो ज़रा दूसरे देशों की हालत,
कम पड़ गई है अब तो इबादत
इटली, चाइना और क्या करे जापान,
यूएस, यूके तक हो गया है लॉकडाउन
इस देश की परिस्थिति को क्यूं नकार रहे हो,
ऐसे माहौल में क्यूं जश्न मना रहे हो
ये कैसी मूर्खता कर रहे हो,
क्यूं अपने साथ साथ
दूसरों को भी ले मर रहे हो…
बात बस इतनी सी तो है,
घर बैठने में क्या आपत्ति है
यूं तो वक़्त ना मिलने पर बड़े खफा थे
अब जब मिला है बहुत,
तो क्यूं गवां रहे
ज़रा सोचो उन डॉक्टर्स के बारे में,
जो अपनी जान पे खेल कर
लगे हैं सबको बचाने में
जीवन पड़ा है घूमने फिरने के लिए,
लेकिन उसके लिए भी बचो तो सही
वैसे तो बहुत ज्ञानवान बनते हो,
क्यूं फिर अब जाहिल बने बैठे हो…
ये कैसी मूर्खता कर रहे हो,
क्यूं अपने साथ साथ
दूसरों को भी ले मर रहे हो,
क्या तुम दुनिया से ज़्यादा होशियार हो
जो अपने ही नियमों पे चल रहे हो
ये कैसी मूर्खता कर रहे हो…
कवियित्री:
*सुरभि नोगजा*
*भोपाल*