नौकरशाही पर आंख मूंद कर भरोसा करना शिवराज सरकार को पड़ रहा भारी

  
Last Updated:  July 15, 2023 " 06:22 pm"

🔹चुनावी चटखारे/कीर्ति राणा🔹

एक के बाद एक जिले में जिस तरह आदिवासियों की जमीन रसूखदारों को बिकवाने की फाइलें खुल रही हैं उससे यह भी खुलासे हो रहे हैं कि कलेक्टरों पर आख मूंद कर भरोसा करना सरकार के लिए भारी साबित होने लगा है।यही वजह है कि मुख्य धारा से उपेक्षित चल रही आईएएस लॉबी के सुर बदलने लगे हैं। रिटायर हो चुके आईएएस यह कहने से नहीं चूकते कि बार बार मुख्य सचिव को एक्सटेंशन देना भी एक बड़ा कारण हो सकता है।प्रदेश की आईएएस लॉबी बीते कुछ वर्षों में दो धड़ों में बंटती गई है।एक धड़ा वह जो सीएस की गुड लिस्ट वाला होने से फील्ड में और मलाईदार पदों पर बना रहता है।तीन साल का टेन्योर पूरा करने के बाद एक से दूसरे जिले या एक से दूसरे विभागों को चलाने के लिए वहीं गिने चुने आईएएस योग्यतम माने जाते रहे हैं। बार बार फिल्ड में मौका मिलना इनकी कार्यकुशलता भी हो सकती है लेकिन आम पार्टी कार्यकर्ताओं से लेकर प्रशासन-सरकार के तालमेल को समझने वाले लोगों में बीते कुछ वर्षों में यह धारणा मजबूत हुई है कि जो सरकार को खुश रखना जानते हैं उन अधिकारियों की खुशी का सरकार भी ख्याल रखती है।

मालवी भाषा की एक कहावत है, “भरोसे की भैंस, पाड़ो ब्यावै” अर्थात गर्भवती भैंस से अगर मादा शिशु की उम्मीद रखेंगे तो वह नर शिशु को जन्म देती है।आसानी से समझना हो तो भैंस का काम ‘रामभरोसे’ चलता है।आदिवासियों की जमीन बिक्री के मामले बता रहे हैं कि कई जिलों में रामभरोसे ही काम चलता रहा। एडीएम रहते जिन अधिकारियों ने जमीन बिकवाई, बाद में कलेक्टर बने तो मातहत एडीएम की इस कारस्तानी से आंखें मूंद लीं।

शासन चाहे जिस दल का हो, जिलों में पदस्थ कलेक्टरों के लिए मुख्यमंत्री ही सर्वोपरि रहता है। हाल के डेढ़ दशक में तो छोटे-बड़े सभी जिलों में कलेक्टरों पर सरकार के विश्वास का यह आलम रहा है कि जनहित और पार्टी कार्यकर्ताओं के काम कराने में जनप्रतिनिधियों से लेकर कार्यकर्ता तक लाचार साबित होते रहे हैं।

92 हजार एकड़ से अधिक जमीन गैर आदिवासियों को बेची।

एक तरफ जहां सरकार पैसा एक्ट सहित अन्य योजनाओं से खुद को आदिवासियों का सच्चा हितैषी बताने में जुटी हुई है वहीं यह आंकड़ा चौंकाने वाला है कि आदिवासी बहुल जिलों में 92 हजार एकड़ से अधिक जमीन गैर आदिवासियों को बेचने में जिला प्रशासन की भूमिका संदिग्ध रही है।इस जमीन की कीमत ही 20 हजार करोड़ के करीब है।इस धांधली में इंदौर जिला भी पीछे नहीं है यहां भी 139 आदिवासियों की 500 एकड़ से अधिक ऐसी ही भूमि 2004 से 15 के दौरान बेचने की खबरें चर्चा में है। सर्वाधिक अनुमति 2008 से 10 के बीच दी गई हैं।

किसानों के मुआवजे की फसल डकार गए कर्मचारी।

धांधली की फसल किसानों को धनराशि वितरण में भी खूब लहलहाई है।अब तक 12 जिलों में प्राकृतिक आपदा प्रभावित किसानों तक राहत नहीं पहुंचने की जानकारी तो नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह ही सार्वजनिक कर चुके हैं।जो राशि किसानों को दी जानी थी वह पटवारियों और अन्य अमले ने अपने रिश्तेदारों के खाते में डलवा दी।2018 से 2022 चार साल में ही करीब 12.42 करोड़ की राशि का गलत खातों में डालना सामने आ चुका है।बारह जिलों देवास, सीहोर, भिंड, श्योपुर, शिवपुरी, मंदसौर, छतरपुर, खंडवा, सिवनी, आगरमालवा, रायसेन, सतना जिलों में पीड़ित किसानों के लिए आई राशि राजस्व अधिकारियों-कर्मचारियों ने अपने परिचितों के खाते में डलवा दी।अकेले देवास में तो 7 पटवारी, दो लिपिक निलंबित किए जा चुके हैं, 35 लिपिकों की विभागीय जांच चल रही है।

जीत का लक्ष्य रखा 200 सीट,
सौ सीटों पर हालत खराब।

भाजपा ने इस बार दो सौ पार का लक्ष्य रखा है। चुनाव प्रबंधन भी ऐसा ही किया जा रहा है कि 200 सीट तो जीतना ही है, इसीलिए हर बूथ पर पार्टी के पक्ष में 51 फीसदी मतदान की रणनीति बनाई गई है।इस तैयारी के बावजूद अभी जब मुख्यमंत्री और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ने विधायक दल की बैठक ली तो इन सभी के चेहरे तब लटक गए जब मुख्यमंत्री ने वर्तमान में से 100 विधायकों की हालत खराब होने की गोपनीय रिपोर्ट की जानकारी दी।इन 100 विधायकों के खराब रिपोर्ट कार्ड के कारण सामने आए हैं संगठन के काम में रुचि नहीं लेते, अभियानों से दूर, कार्यकर्ताओं से जीवंत संपर्क नहीं।बैठक में विरोधाभास यह भी दिखा कि सीएम ने साफ कह दिया जो जीतने वाला होगा उसी को टिकट मिलेगा।वहीं प्रदेश अध्यक्ष सभी विधायकों को जीत की अग्रिम बधाई दे रहे थे।जैसे सब को टिकट मिल रहे हों, और सभी जीत ही जाएंगे।

21 को प्रियंका की ग्वालियर में तो अगले माह राहुल की ब्योरारी में सभा।

जबलपुर में नर्मदा पूजन और पांच गारंटी का भरोसा दिलाने के बाद प्रियंका वाड्रा 21 जुलाई को ग्वालियर में आमसभा करने आ रही हैं।सिंधिया को लेकर वो क्या कहेगी, सिंधिया कैसे रिएक्ट करेंगे इस पर दोनों दलों के कार्यकर्ताओं में उत्सुकता बनी हुई है।अगस्त में अपनी मोहब्बत की दुकान लेकर राहुल गांधी शहडोल पहुंचेंगे।उनकी सभा के लिए इस जिले के ब्योरारी गांव का चयन किया गया है।समीप के राज्य छत्तीसगढ़ की सीमा से लगे इस गांव में सभा कराने का उद्देश्य यही है कि दोनों राज्यों के आदिवासी उन्हें सुनने आ सकें, छग में भी तो विधानसभा चुनाव है। शहडोल के बाद धार सरदारपुर में भी कांग्रेस बड़े नेताओं की सभा प्लान कर रही है।

पीले चांवल बांटने की कला।

साल में ऐसे आयोजन भाजपा कई बार करती रहती है जिसमें घर- घर पीले चांवल बांट कर लोगों को आमंत्रित किया जाता है। अभी भोपाल आए अमित शाह बड़े नेताओं को पीले चांवल बांटने का टास्क देने के साथ हिदायत दे गए हैं कि 30 जुलाई को फीडबेक लेने फिर आऊंगा।मोशाजी के पदचिह्नों पर चलते हुए प्रदेश नेतृत्व ने भी जिन धुरंधर नेताओं को मार्गदर्शक मंडल वाली राह दिखा रखी थी उन सभी की मनौवल कर के फिर से एक्टिव होने के पीले चांवल बांटना है।पूर्व प्रदेशाध्यक्ष प्रभात झा और ग्वालियर के फायर ब्रांड जयभान सिंह पवैया से लेकर बुंदेलखंड के लिए उमा भारती जैसे जननेताओं की पार्टी बैठकों में सक्रियता नजर आने लगेगी।

जो हमारा, हम उसके..
करणी सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. राज शेखावत ने तो घोषणा कर दी है जो पार्टी क्षत्रिय समाज को अधिक टिकट देगी, उसे करणी सेना समर्थन देगी।भाजपा ने क्षत्रियों का विश्वास जीतने के लिए आयोग गठन की घोषणा तो कर दी है लेकिन समाज के कितने लोगों को टिकट मिलेगा यह तय नहीं।कांग्रेस ने भी पत्ते नहीं खोले हैं लेकिन इन दोनों दलों को करणी सेना ने अपना ऑफर बता दिया है कि जो दल सर्वाधिक टिकट देगा उसे सेना का समर्थन रहेगा।

दीपक के जवाब में ललिता की एंट्री।

पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी के पुत्र दीपक जोशी को कांग्रेस प्रवेश की खुशी मनाने वाले पूर्व मंत्री सज्जन वर्मा, देवास जिला कांग्रेस अध्यक्ष और उनकी मंडली को भाजपा ने जवाब दे दिया है।मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान, पार्टी के प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद और प्रदेश शासन के गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा के समक्ष मुख्यमंत्री निवास में देवास जिला पंचायत अध्यक्ष लीला कटारिया ने कमलनाथ और कांग्रेस की नीतियों से आहत होकर भाजपा की सदस्यता ग्रहण की। जिला पंचायत अध्यक्ष लीलाबाई और उनके पति भेरूलाल कटारिया का कहना है कि वह पहले बीजेपी से जुड़े हुए थे लेकिन कुछ कारणों के चलते फिर कांग्रेस में चले गए थे। प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री चौहान की कार्यप्रणाली से प्रभावित होकर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए हैं।
पंचायत चुनाव में सम्पूर्ण देवास जिले में कांग्रेस को बड़ी सफलता मिली थी। अब यह कांग्रेस व सज्जन वर्मा के लिए किसी झटके से कम नहीं है।

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