राष्ट्रीयकृत बैंकों के निजीकरण के खिलाफ की जाएगी देशव्यापी हड़ताल

  
Last Updated:  September 29, 2022 " 11:21 pm"

ऑल इंडिया बैंक एम्प्लॉइज एसो. की केंद्रीय समिति की दो दिवसीय बैठक संपन्न।

एसो. के महासचिव वेंकटाचलम ने केंद्र सरकार के बैंकों के निजीकरण के प्रयासों का किया विरोध।

बैंकों के एनपीए बढ़ने के लिए कॉरपोरेट कंपनियों को ठहराया जिम्मेदार।

इंदौर- ऑल इंडिया बैंक एम्पलाइज एसोसिएशन की केंद्रीय समिति की दो दिवसीय बैठक इंदौर में आयोजित की गई। बैठक में बैंक एम्पलाइज एसो. के 29 राज्यों से आए प्रादेशिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया। बैठक में बैंकों के निजीकरण का विरोध करने के साथ ही बैंक एम्पलाइज के समक्ष विद्यमान चुनौतियों और समस्याओं पर चर्चा की गई।

सरकारी बैंकों के निजीकरण के विरोध में करेंगे हड़ताल।

बैठक के समापन के बाद बैंक एम्प्लाइज एसो. महासचिव सी एच वैंकटाचलम ने मीडिया कर्मियों से चर्चा करते हुए बताया कि केन्द्र सरकार द्वारा सार्वजनिक क्षैत्र की बैंकों का निजीकारण करना विकास विरोधी कदम है। इससे किसान, उद्योग, कारोबारी और आम आदमी सभी का नुकसान होगा, क्योंकि निजी बैंकों का लक्ष्य केवल मुनाफा कमाना भर होता है। ये भी बात सामने आई है कि केंद्र सरकार बैंकों के निजीकरण संबंधी बिल आगामी शीतकालीन सत्र में लाने जा रही है। ऑल इंडिया बैंक एम्पलाइज एसोसिएशन इसके विरोध में देशव्यापी हड़ताल करेगा।

रोजगार सृजन का सबसे बड़ा माध्यम हैं सरकारी बैंक।

श्री वैंकटाचलम ने कहा कि 90 फीसदी खराब लोन कॉरपोरेट कंपनियों के कारण हैं। सरकारी बैंक रोजगार सृजन का सबसे बड़ा माध्यम हैं। सरकारी योजनाओं में लोन उपलब्ध कराकर उन्हें सफल बनाने का काम सरकारी क्षेत्र के बैंक ही कर रहे हैं। कृषि, ग्रामीण विकास, लघु उद्योग, शिक्षा, स्वास्थ्य, महिला सशक्तिकरण, स्टार्टअप्स सहित तमाम क्षेत्रों को वित्तीय मदद देकर लाखों लोगों को रोजगार मुहैया कराने का काम सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक ही कर रहे हैं। जन धन योजना में 98 फीसदी खाते सरकारी बैंकों में ही खोले गए हैं।

खातेदारों का पैसा सार्वजनिक बैंकों में सुरक्षित है।

वैंकटाचलम ने कहा कि लोगों का भरोसा सार्वजनिक क्षेत्र की बैंकों पर है। जनता के 1 लाख 65 हजार करोड़ रूपए सरकारी बैंकों में जमा हैं। बैंकों के निजीकरण का पुराना अनुभव अच्छा नहीं रहा है। कई बैंकों का दिवाला निकल गया और लोगों की जिंदगी भर की कमाई भी डूब गई, जबकि राष्ट्रीयकृत बैंकों में लोगों की जमाराशियां न केवल सुरक्षित हैं बल्कि बढ़ भी रहीं हैं। बैंकों के निजीकरण से केवल अमीर लोगों को फायदा होगा, किसी और का नहीं।

कॉरपोरेट घरानों ने डुबोए बैंकों के लाखों करोड़ रूपए।

बैंक एम्पलाइज एसो. के महासचिव वेंकटचलम ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार की नीतियां कॉरपोरेट घरानों के हितों के अनुकूल हैं। इसीलिए राष्ट्रीयकृत बैंकों का एनपीए बढ़ता चला जा रहा है। बड़ी कंपनियां डिफाल्टर होने के बाद खुद को दिवालिया घोषित कर देती है। आईबीसी छूट के तहत बकाया लोन, वसूली के बजाय अन्य कंपनियों को सस्ते दरों पर बेचे जा रहे हैं। इन सौदों के चलते बैंकों को भारी घाटा उठाना पड़ता है।लोन राशि का अधिकांश हिस्सा बट्टे खाते चला जाता है। बीते कुछ वर्षों में बैंकों के 1 लाख 61 हजार करोड़ रुपए बट्टे खाते में जा चुके हैं। जनता के पैसे का कॉरपोरेट कंपनियां दुरुपयोग कर रहीं हैं।

बारहवें वेतन समझौते के मांगपत्र का मसौदा तैयार।

मध्य प्रदेश बैंक एम्पलाइज एसोसिएशन के चेयरमैन मोहन कृष्ण शुक्ला ने बताया कि
बैंककर्मियों के लिए लागू ग्यारहवें वेतन समझौते की समाप्ति के बाद बढ़ती मंहगाई तथा सरकार की कर्मचारी विरोधी नीतियों के चलते बारहवें वेतन समझौते के मांगपत्र का मसौदा तैयार किया गया है। इसमें आर्थिक मांगों के अलावा बैंककर्मियों की निजी एवं सामाजिक जरुरतों को भी शामिल किया गया है।

मीडिया से चर्चा के दौरान ऑल इंडिया बैंक एम्प्लॉइज एसो. के अन्य पदाधिकारी भी मौजूद रहे।

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