लोक कला और संस्कृति के अनुष्ठान मालवा उत्सव का शुभारंभ

  
Last Updated:  May 9, 2023 " 09:16 pm"

पनिहारी, मटकी ,हुडो रास ,भील भगोरिया, अर्वाचीन गरबा रास, एवं डांगी नृत्य पेश किए गए।

शिल्प बाजार हुआ गुलजार, प्रतिदिन दोपहर 4:00 बजे से प्रारंभ होगा।

इंदौर : लोक कला और संस्कृति के अनुष्ठान ‘मालवा उत्सव’ का मंगलवार 09 मई को लालबाग परिसर में भव्य शुभारंभ हुआ। कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि थे।महापौर पुष्यमित्र भार्गव और सांसद लालवानी भी इस दौरान मौजूद रहे।अतिथियों का स्वागत दीपक लंवगड़े, सतीश शर्मा, रितेश पाटनी, दिलीप सारडा, दीपक पवार, पुनीत साबू , मुकेश पांडे, जुगल जोशी,कपिल जैन ने किया।

कोपेश्वर शिव मंदिर की प्रतिकृति से सजा है मंच।

लोक संस्कृति मंच के संयोजक शंकर लालवानी ने बताया कि महाराष्ट्र और कर्नाटक की सीमा पर स्थित कोल्हापुर जिले में निर्मित कोपेश्वर शिव मंदिर की प्रतिकृति से मालवा उत्सव का मंच सजाया गया है।

पहले दिन इन लोकनृत्यों की पेश की गई बानगी।

पवन शर्मा एवं संकल्प वर्मा ने बताया कि पहले दिन आदिवासी अंचल का भील जनजाति का भगोरिया नृत्य एक नए अंदाज में झूमते हुए लोक कलाकारों द्वारा प्रस्तुत किया गया। इसमें तीर कमान एवं ढोल थाल बजाते हुए प्रस्तुति दी गई। प्राचीन काल में गांव से दूर जब महिलाएं कुए से पानी भरने जाती थी तो आपस में बात करती हुई नृत्य करती हुई चलती थी। उन्हीं बातों को नृत्य मे भाव के द्वारा प्रस्तुत किया गया। बोल थे “कुआं पानी भरने कसी जाऊ रे नजर लग जाए इसके बाद मालवा का मटकी लोकनृत्य जो मांगलिक प्रसंग पर महिलाओं द्वारा किया जाता है की प्रस्तुति दी गई। गुजरात का प्रसिद्ध रास, हुडो रास भी प्रस्तुत किया गया यह गुजरात के सबसे प्राचीन नृत्यो में से एक है।यह नृत्य गुजरात के कोली, मालधारी और रबारी समाज द्वारा किया जाता है। लाल रंग का खंडवा पहनी 8 लड़कियों एवं पीले रंग का धोती कुर्ता पहनकर 13 लड़कों ने शादी ब्याह एवं मांगलिक अवसरों विशेषकर होली पर किया जाने वाला डांगी नृत्य पेश किया। कुनबी जनजाति द्वारा माता की आराधना हेतु यह नृत्य किया जाता है नृत्य मैं पिरामिड बनाना दर्शकों को रोमांचित कर गया। पीली एवं मैरून रंग के परिधान पहनकर पारंपरिक गरबा रास प्रस्तुत करते हुए गुजरात के कलाकारों ने मन मोह लिया। स्थानीय कलाकारों द्वारा कत्थक एवं अन्य नृत्यों की प्रस्तुतियां भी दी गई।

लोक संस्कृति मंच के कंचन गिदवानी एवं पवन शर्मा ने बताया कि शिल्प मेला सायंकाल 4:00 बजे से लालबाग पर प्रारंभ हुआ, जिसमें बड़ी संख्या में कला प्रेमियों की उपस्थिति दर्ज की गई। ट्राइब मेला के नाम से 50 जनजातीय शिल्पकारों का बनाया गया अलग जोन आकर्षण का केंद्र रहा। गुजरात पवेलियन में भी काफी पूछ परख देखी गई।

10 मई को ये होंगे कार्यक्रम।

शिल्प मेला शाम 4:00 बजे से प्रारंभ हो जाएगा वहीं सांस्कृतिक कार्यक्रम 7:30 बजे से पेश किए जाएंगे। इस दौरान पनिहारी, मटकी, प्राचीन गरबा, तलवार रास,नौरता,डांगी नृत्य, भगोरिया एवं स्थानीय कलाकारों के नृत्य पेश किए जाएंगे।

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